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जल संरक्षण और आजीविका योजना से सशक्त हो रहे ग्रामीण, 22 गांवों की बदली तस्वीर

Rain water Harvesting: खरसावां के 22 गांवों में जल संरक्षण योजना के जरिये ग्रामीण सशक्त हो रहे हैं. योजना से न केवल जल संरक्षण बल्कि कृषि और आर्थिक क्षेत्र में भी ग्रामीणों को सफलता मिल रही है. ये गांव समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

Rain water Harvesting | खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश: सरायकेला-खरसावां जिला के कुचाई प्रखंड के छोटा सेगोई व अरुवां पंचायत के 22 गांवों में पानी बचाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है. जानकारी के अनुसार, जल छाजन (Rain water Harvesting), संरचना संवर्द्धन, आजीविका विस्तार और कृषि वृद्धि के माध्यम से ग्रामीण जीवन स्तर को सशक्त और खुशहाल बनाने की दिशा में सार्थक पहल किया गया है. राजनगर की ‘सहयोगी महिला संस्था’ ने इन 22 गांवों में जल छाजन और आजीविका योजना से हो रहा परिवर्तन एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया है.

समृद्धि की ओर अग्रसर गांव

‘जल संरक्षण से हरियाली, हरियाली से कृषि और कृषि से आर्थिक सशक्तिकरण’ इस कड़ी में ग्रामीणों का सहयोग और संस्थागत प्रयास मिलकर गांवों को समृद्धि की ओर अग्रसर कर रहा है. संस्था की ओर से झारखंड राज्य जल छाजन मिशन के तहत कुचाई प्रखंड के 22 गांवों में जल छाजन से काफी हद तक हरियाली आयी है.

संस्था द्वारा “पानी बचाओ” के नारे को व्यवहार में लाते हुए इन गांवों में वर्षा जल का संचयन, भूगर्भ जल का संरक्षण और जल का समुचित उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है. जल छाजन परियोजना के तहत “गांव की मिट्टी गांव में, खेत का पानी खेत में” सिद्धांत को अपनाते हुए खेतों के हर मेड़ पर पेड़ लगाकर हरियाली बढ़ाने का अभियान चलाया जा रहा है.

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ये संरचनाएं बनी वरदान

इन 22 गांवों में जल संरचनाओं की बहुआयामी पहल की गई है, जिनमें टीसीबी (ट्रेंच कम बंड), वाटर ट्रेंच, फिल्ड बंडिंग, तालाब, डोभा, मिट्टी के चेक डैम और नालों में लूज बोल्डर तथा ब्रास वुंड जैसी संरचनाएं बनाकर वर्षाजल को खेतों में रोकने और सिंचाई योग्य जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है. जल छाजन कार्य से क्षेत्र के 4600 हेक्टेयर भूमि में कृषि योग्य बनाया गया है.

वहीं, लूज बोल्डर का प्रयोग कर 222 नग गली-प्लग का निर्माण कराया गया है. वाटर एवजोरवेशन टफेंच व मेड़बंदी तकनीक का उपयोग कर 962 हेक्टयर भूमि का उपचार किया गया है. इसके अलावे 16 स्थानों पर ब्रुश वुड़ चेक डेम, चार अमृत सरोवर, 75 तालाब, 17 डोभा, 16 मिट्टी के चेक डेम, दो स्प्रिंग सेड़ बनाया गया. इन संरचनाओं के माध्यम से 4.581 लाख घन मीटर प्रवाह जल को रोक कर संग्रहित किया जा रहा है. इससे रवी फसल के लिये 229.05 हेक्टयर भूमि को सिंचाई का पानी मिल सकेगा. साथ ही सुखा पड़ने की स्थिति में 921.2 हेक्टयर भूमि पर दो इंच गहराई तक धान के खेतों को जीवन रक्षक सिंचाई व्यवस्था देने में भी सफलता मिलेगी.

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स्थानीय नेतृत्व और तकनीकी सहयोग बनी सफलता की कुंजी

इस कार्यक्रम की सफलता में संस्था के सचिव जवाहर लाल महतो, आजीविका विशेषज्ञ चिंतामणी गोप और सामाजिक कार्यकर्ता श्याम चांद प्रमाणिक की अहम भूमिका रही है. इन्होंने योजनाओं की जमीनी निगरानी करते हुए ग्रामीणों को प्रेरित किया और तकनीकी सहायता दी. संस्था द्वारा संचालित आजीविका कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 365 परिवारों को बकरी पालन, सुअर पालन और बतख पालन के माध्यम से स्वरोजगार भी उपलब्ध कराया गया है.

इन गांवों में चल रही योजना

कुचाई प्रखंड के बड़ा सेगोई, छोटा सेगोई, छोटा बांड़ी, बडाबांडी, गुंफू, चंपद, कारालोर, तोंडांगडीह, जामदा, दामादिरी, पुनीबुड़ी, ईचाहातु, जोडासरजम, सेरेंगदा, अरुवां, डोरो, धातकीडीह, लोपटा, मांगुडीह, बायांगा, केरकेट्टा व जिलिंगदा में जल छाजन योजना चल रही है.

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Rupali Das
Rupali Das
नमस्कार! मैं रुपाली दास, एक समर्पित पत्रकार हूं. एक साल से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं. यहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पहले दूरदर्शन, हिंदुस्तान, द फॉलोअप सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी काम करने का अनुभव है.

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