Rath Yatra | सरायकेला-खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : ओडिशा के जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर खरसावां व हरिभंजा में रथ यात्रा के धार्मिक परंपराओं और रस्मों को निभाया जा रहा है. रथ यात्रा के 5वें दिन कल मंगलवार की रात हेरा पंचमी पर रथ भांगिनी परंपरा को सभी धार्मिक रस्मों के साथ पूरा जायेगा. ये परंपरा खरसावां व हरिभंजा के गुंडिचा मंदिरों के सामने मंगलवार को रात 8 बजे निभायी जायेगी.
क्या होती है रथ भांगिनी परंपरा?
कल मंगलवार की देर शाम माता लक्ष्मी श्री मंदिर से गुंडिचा मंदिर पहुंच कर मुख्य द्वार के समीप खड़ी महाप्रभु श्री जगन्नाथ के रथ ‘नंदीघोष’ को क्रोधित होकर तोड़ेंगी. इसके बाद मान मनौव्वल कर पुजारियों द्वारा माता लक्ष्मी को वापस मंदिर ले जाया जाएगा. इसे रथ भांगिनी परंपरा कहा जाता है. मंगलवार की शाम आयोजित होने वाली रथ भांगिनी परंपरा को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. खरसावां व हरिभंजा के गुंडिचा मंदिरों के सामने खड़े ‘नंदीघोष’ रथ को तोड़ कर इस परंपरा का निर्वाहन किया जायेगा.
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रथ भंगनी परंपरा में मां लक्ष्मी के भक्तों की विशेष भूमिका
हेरा पंचमी के मौके पर खरसावां व हरिभंजा में होने वाले रथ भंगिनी अनुष्ठान में प्रभु जगन्नाथ नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी के भक्तों की विशेष भूमिका रहती है. इसमें अधिकांश महिलाएं होती है. मंगलवार की रात मां लक्ष्मी के भक्त जगन्नाथ मंदिर के निकटवर्ती लक्ष्मी मंदिर से पूजा अर्चना कर मां लक्ष्मी के कांस्य प्रतिमा को एक पालकी पर लेकर गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगे. यहां मंदिर के चौखट पर दस्तक देने के बाद सभी रस्मों को निभाया जायेगा. इसके पश्चात श्रद्धालु मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पालकी पर ले कर प्रभु जगन्नाथ के रथ नंदिघोष के पास पहुंचेंगे तथा रथ के एक के हिस्से की कुछ लकडियों को तोड़ कर वापस अपने मंदिर में पहुंचेंगे.
क्या है रथ भांगिनी परंपरा की धार्मिक मान्यता?
हेरा पंचमी भगवान जगन्नाथ की पत्नी देवी लक्ष्मी से जुड़ी है. भाई-बहन के साथ गुंडिचा मंदिर गये प्रभु जगन्नाथ के पांच दिन बाद भी श्रीमंदिर वापस नहीं लौटने पर मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है. पति से नाराज देवी लक्ष्मी उनके रथ का पहिया तोड़ देती हैं.
रथ भंगिनी के इन परंपराओं के आयोजन के संबंध में जगन्नाथ मंदिर के मुख्य सेवायत बताते हैं कि ‘पत्नी को छोड़ कर भगवान जगन्नाथ भाई-बहन के साथ मौसी से मिलने जाना उनकी पत्नी लक्ष्मी को रास नहीं आता. रथ यात्रा के 5वें दिन भी प्रभु जगन्नाथ के वापस नहीं लौटने पर मां लक्ष्मी का गुस्सा सातवें आसमान पर होता है.’ ‘ पति की बेरुखी से तमतमायी लक्ष्मी जी सीधे मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंच जाती हैं. इस दौरान पति-पत्नी में बहस भी होती है. तभी गुस्साये लक्ष्मी जी अपने पति प्रभु जगन्नाथ के रथ ‘नंदिघोष’ की एक लकड़ी निकालकर उसके पहिया को आंशिक रुप से तोड़ देती हैं और वापस अपने घर (मंदिर) चली जाती हैं.’
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