Shiv Dham in Jharkhand | शचींद्र कुमार दाश / हिमांशु गोप: सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में कई प्राचीन और रहस्यमयी शिवलिंग हैं. इन शिवलिंगों की उपस्थिति आज भी एक अबूझ पहेली बनी हुई है. कुकडू प्रखंड के जारगो स्थित महादेव बेड़ा में ऐसा ही एक प्रसिद्ध शिवलिंग है. इस शिवलिंग की महिमा अपरंपार है. यहां भोलेनाथ भक्तों की सच्चे मन से मांगी हर कामना पूरी करते हैं. यह प्राचीन कालीन शिवलिंग दूर-दूर तक विख्यात है. पवित्र सावन माह में जारगो महादेवबेड़ा मंदिर में झारखंड समेत पंश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िसा के दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
गाय रोजाना शिवलिंग पर चढ़ाती थी दूध
कुकडू के प्रसिद्ध जारगो महादेवबेड़ा में प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार एक चरवाहा उस स्थान पर अपने गाय-बैलों को चराने के लिए लाता था. इसी दौरान एक दुधारू गाय प्रतिदिन एक ही स्थान पर जाकर अपना दूध देती थी. कई दिनों से चरवाहा इस बात पर गौर कर रहा था. एक दिन चरवाहे ने इसकी पड़ताल की. जब वहां जाकर देखा तो उस स्थान पर एक प्राचीनकालीन शिवलिंग मिला. उन्होंने इसकी जानकारी गांव वालों को दी.
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अथक प्रयास के बाद भी नहीं हिला शिवलिंग
इसकी जानकारी मिलते ही ग्रामीण वहां एकत्रित हुए और उस शिवलिंग को अन्यत्र स्थापित करने के लिए ले जाने का प्रयास किया. अथक प्रयास के बाद भी ग्रामीण शिवलिंग को उठाने में असफल रहे. जब काफी प्रयास के बाद भी शिवलिंग नहीं हिला, तो ग्रामीणों ने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया. आज इस मंदिर में बाबा का आशीर्वाद लेने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. महादेव बेड़ा जारगो को लोग छोटे वृंदावन के नाम से भी जानते हैं.
मंदिर प्रागंण में राधा कुंज और उनकी अष्ठ सखियां
महादेवबेड़ा में अब मंदिरों की श्रृंखला है. इस मंदिर प्रागंण में राधा कुंज स्थित है और इसके साथ ही राधा जी की अष्ठ सखियां रंगदेवी, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंग विद्या व इंदुलेखा के भी मंदिर हैं. इसके अलावा महाबली हनुमान मंदिर का भी निर्माण कराया गया है. यह धाम अपने आप में प्रकृति की एक अद्भुत देन है चारों ओर वन-जंगल, नदी से घिरी हुई इसकी मनमोहक दृश्य लोगों को आनंदित करता है.
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