सरायकेला.
प्रभात खबर के 14 जुलाई के अंक में ‘जर्जर ममता वाहन बना खतरे का सफर’ शीर्षक से खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया है. इस पर संज्ञान लेते हुए जिले के सिविल सर्जन डॉ सरयू प्रसाद सिंह ने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को पत्र लिखकर जांच का निर्देश दिया है. सीएस ने जिले के सभी सीएचओ को अपने अधीनस्थ सभी ममता वाहनों की स्थिति, संचालित वाहन से संबंधित एमओयू और वाहन के सभी कागजात 18 जुलाई तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.यह है मामला
दरअसल, सरायकेला-खरसावां जिला में नियमों को ताक पर रख कर ममता वाहन संचालित किये जाने का मामला प्रकाश में आया है. ममता वाहन में संचालित अधिकतर वाहन वर्षों पुराने हैं. उन वाहनों में कोई कागजात अपडेट है और न ही फिटनेस. कुछ वाहन तो 15 वर्ष पुराने हैं. वहीं कुछ दूसरे राज्यों के निबंधित वाहन भी चल रहे हैं.
कई ममता वाहनों का नहीं मिल रहा रिकॉर्ड, मरीजों की सुरक्षा पर उठे सवाल
कई ममता वाहनों के नंबर जब आरटीओ के ऐप में डाले गये तो उनका कोई विवरण नहीं मिला. यानी इन वाहनों के कागजात कहीं भी अपडेट नहीं हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन वाहनों का कोई वैध रिकॉर्ड मौजूद नहीं, उनसे लायेव ले जाये जा रहे मरीजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी होगी. यदि कभी ये वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं, तो उसमें सवार मरीजों को न तो किसी प्रकार का लाभ मिल पायेगा और न ही कोई जवाबदेही तय की जा सकेगी. चिंता की बात यह है कि बिना वैध दस्तावेज वाले इन वाहनों को वर्क ऑर्डर कैसे जारी किया गया और अब तक उनकी जांच क्यों नहीं की गयी. यह पूरा मामला ममता वाहनों की व्यवस्था और मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है.
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