खरसावां.
सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए सोमवार को वट सावित्री का व्रत रखेंगी. सरायकेला, खरसावां, चांडिल, बड़ाबांबो समेत विभिन्न जगहों पर महिलाएं 25 मई को वट सावित्री की पूजा करेंगी. सोमवार को वट सावित्री व्रत को लेकर व्रतियों ने आवश्यक सामग्रियों की खरीदारी की. वट सावित्री का व्रत भी महिलाएं पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं. इस दिन वट वृक्ष (बरगद) के नीचे पूजन किया जाता है. वट वृक्ष पर सुहागिनें जल चढ़ाकर कुमकुम, अक्षत लगाती हैं. फिर पांच, ग्यारह, इक्कीस या इक्यावन बार वृक्ष की परिक्रमा कर वट में रोली बांध कर पति की लंबी आयु की मुरादें मागतीं हैं. पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद सती सावित्री की कथा सुनती हैं. कहा जाता है कि इस कथा को सुनने से सौभाग्यवती महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कई जगहों पर घरों में भी बरगद की डाली लगाकर पूजा की जाती है. पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं यह व्रत व पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक वट सावित्री व्रत और पूजन से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति सहित संतान की कामना भी पूरी होती है. वट सावित्री व्रत में फलों का ही भोग चढ़ाने व प्रसाद के रूप में फलों का सेवन करने का प्रचलन है.
पूजा की विधि
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद सुहागिन नया वस्त्र धारण करती हैं. वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं खूब सजती-संवरती हैं. सबसे पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद वट वृक्ष के पास जाकर जल अर्पित कर पूजा की जाती है. माता सावित्री को वस्त्र व सोलह शृंगार चढ़ाया जाता है. फल-फूल अर्पित करने के बाद पेड़ की परिक्रमा की जाती है.
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