खरसावां. उत्कल सम्मेलनी जिला समिति व ओड़िया शिक्षक-शिक्षकों ने खरसावां के गोपबंधु चौक के समीप उत्कल दिवस मनाया. इस दौरान राजमहल चौक स्थित उत्कल शिरोमणि गोपबंधु दास की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर ओड़िया, भाषा, साहित्य व संस्कृति के उत्थान का संकल्प लिया गया. कार्यक्रम की शुरुआत ओड़िया शिक्षकों ने उत्कल जननी गीत प्रस्तुत कर किया. सेवानिवृत्त शिक्षक कामाख्या प्रसाद षाड़ंगी ने कहा कि अपनी सभ्यता, संस्कृति के प्रति समर्पण रखना हम सभी का परम कर्तव्य है. समाज के विकास में तत्पर रहने वाले पं गोपाबंधु दास व उत्कल गौरव मधुसूदन दास ने अपना पूरा जीवन भाषा, संस्कृति के विकास को लेकर समर्पित कर दिया था. वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी रहे हैं.
1903 में उत्कल सम्मेलनी का गठन हुआ था : सुमंत
उत्कल सम्मेलनी के जिलाध्यक्ष सुमंत मोहंती ने कहा कि पंडित गोपाबंधु दास व उत्कल गौरव मधुसूदन दास के अथक प्रयास से 1903 में उत्कल सम्मेलनी का गठन हुआ था, इसके बाद 1 अप्रैल 1936 में स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश के गठन में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. कार्यक्रम का संचालन जिला पर्यवेक्षक सुशील षाड़ंगी ने किया. मौके पर बिराजा पति, सुशील षाड़ंगी, अजय प्रधान, सपन मंडल, सुजीत हाजरा, रंजीत मंडल, जयजीत षाड़ंगी, चंद्रभानु प्रधान, सपना टोप्पो, रचिता मोहंती, कुंती मंडल, बबीता मंडल आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है