खरसावां.
हरिभंजा में इस बार प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा खास होगी. इस वर्ष प्रभु जगन्नाथ नये रथ पर गुंडिचा मंदिर (मौसीबाड़ी) पहुंचेंगे. यहां रथयात्रा की तैयारी जोरों पर चल रही है. ओडिशा के कारीगर रथ का निर्माण कर रहे हैं. महाप्रभु का रथ आकार लेने लगा है. छह पहिये वाले इस रथ में अलग-अलग कलाकृतियां भी रेखांकित की जा रही है. महाप्रभु के रथ में इस बार नयी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. लकड़ियों को चाईबासा के डिपो से मंगाया गया है. रथ निर्माण के बाद इसकी रंगाई-पुताई की जायेगी. रथ में विभिन्न विग्रहों की प्रतिमूर्तियां उकेरी जायेंगी.अक्षय तृतीय से हो रहा रथ का निर्माण
हरिभंजा में प्रभु जगन्नाथ के रथ का निर्माण कार्य अक्षय तृतीया से हो रहा है. अक्षय तृतीय पर विधिवत पूजा-अर्चना कर कारीगरों द्वारा रथ का निर्माण कार्य शुरू किया गया. एक सप्ताह के भीतर रथ का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा. रथ को आकर्षक रूप दिया जा रहा है. रथ के गुंबद को भी आकर्षक रूप से सजाया जा रहा है. इसके लिए पुरी से कपड़ा मंगाया गया है. रथ यात्रा के दिन रथ की प्रतिष्ठा की जायेगी. इसके बाद प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व देवी सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे.प्रभु जगन्नाथ का मंदिर बना आकर्षण का केंद्र
हरिभंजा का जगन्नाथ मंदिर पूरे जिले के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां वर्ष 2015 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था. मंदिर को करीब से देखने के लिए सालों भर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लग रहता है. मंदिर के बाह्य दीवारों में भगवान विष्णु के दशावतार की अलग-अलग मूर्तियां लगायी गयी हैं. जबकि मंदिर के अंदर दस दिगपाल, जय-विजय समेत कई मूर्तियां बनायी गयी हैं.11 को देवस्नान पूर्णिमा
27 जून को रथयात्रा
इस वर्ष प्रभु जगन्नाथ की स्नानयात्रा 11 जून को आयोजित की जायेगी. इसी दिन 108 कलश पानी प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा व सुदर्शन की प्रतिमाओं को महास्नान कराया जायेगा. इसके ठीक 15 दिनों के बाद प्रभु जगन्नाथ का नेत्रोत्सव सह नव यौवन दर्शन होंगे. 27 जून को प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ नये रथ पर सवार हो कर गुंडिचा मंदिर (मौसीबाड़ी) के लिए रवाना होंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है