World Snake Day | सरायकेला, धीरज कुमार: पर्यावरण संरक्षण के लिए धरती पर निवास करने वाले सभी जीव एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं. यही वजह है कि सभी जीवों का संरक्षण बेहद आवश्यक है. सरायकेला जिले के राजा बारीक एक ऐसे ही सर्प मित्र हैं, जिन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में ही पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीव प्राणियों की रक्षा का भर उठा लिया था. राजा बारीक जब 10वीं के छात्र थे तभी उन्होंने पहली बार जीव की रक्षा की. उसके बाद से उन्होंने आज तक हजारों जीवों की रक्षा की है.
2009 में रांची से लिया सांप पकड़ने का प्रशिक्षण
वन्य जीव प्राणियों की रक्षा का संकल्प ले चुके स्नेक कैचर राजा बारीक ने वर्ष 2009 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रांची के किसी संस्थान से वन्य जीव प्राणियों का रेस्क्यू करने का विधिवत प्रशिक्षण लिया. छह माह के प्रशिक्षण के बाद राजा बारीक अपने जिला वापस लौटे और उसके बाद से उन्होंने अपना रेस्क्यू का अभियान शुरू किया.
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अब तक 13 हजार से अधिक सांपों का कर चुके हैं रेस्क्यू
स्नेक कैचर राजा बारीक वर्ष 2009 के बाद से अब तक करीब 13 हजार से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं. इनमें विषैले और बिना विष वाले दोनों प्रकार के सांप शामिल हैं. प्रशिक्षण लेने के बाद राजा बारीक निस्वार्थ भाव से बिना किसी से कोई शुल्क लिए सांप और अन्य वन्य जीवों का रेस्क्यू करते हैं. वर्ष 2023 में वे सरायकेला वन प्रमंडल के साथ जुड़े. इसके बाद उन्होंने आधिकारिक रूप से सांप का रेस्क्यू किया.
सरायकेला-खरसावां जिले में 10 प्रजाति के सांप
स्नेक कैचर राजा बारीक ने बताया कि सरायकेला-खरसावां जिले में 10 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. इनमें तीन प्रजाति विषैले और बाकी के 7 प्रजाति बिना विष वाले सांप हैं. जिले में पाए जाने वाले विषैले सांपों में कोबरा, कॉमन करैत और बैंडेड करैत शामिल हैं, जबकि बिना विष वाले सांपों में अजगर, रैट स्नेक (धामन), वाटर स्नेक (ढोंड़), हरहरा, दूध बोड़ा, वुल्फ स्नेक और वन सुंदरी है. उन्होंने बताया की वन सुंदरी बहुत ही दुर्लभ प्रजाति का सांप है जो कभी-कभी ही नजर आता है.
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