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West Singhbhum News :जगन्नाथपुर में आदिवासी रिवाज से चारों बच्चों का हुआ अंतिम संस्कार, एसआइटी ने आठ ग्रामीणों से पूछताछ की

पुआल के ढेर पर खेल रहे चार बच्चे जिंदा जल गये थे, अनुमंडल स्तर के पदाधिकारी दूसरे दिन भी गांव पहुंचे, रोते-बिलखते हुए परिवारों ने अपने जिगर के टुकड़ों को दफनाया

जगन्नाथपुर. पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर प्रखंड स्थित गितिलिपि गांव के रामोसाई टोला में मंगलवार को भी मातमी सन्नाटा पसरा रहा. सोमवार को पुआल के ढेर पर घर बनाकर खेल रहे चार बच्चे (तीन लड़के व एक लड़की) जिंदा जल गये थे. मंगलवार को मासूम के शवों का आदिवासी रीति-रिवाज से अपने-अपने आंगन में अंतिम संस्कार किया गया. वहीं, इस मामले में गठित एसआइटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) ने मुखिया सहित आठ ग्रामीणों से पूछताछ कर बयान लिया. घटना कैसे हुई? इसका पता नहीं चल पाया है.

बच्चों के अंतिम संस्कार के मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी महेंद्र छोटन उरांव, बीडीओ सत्यम कुमार, अंचल अधिकारी मनोज मिश्रा, एलआरडीसी अनिता केरकेट्टा, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राफेल मुर्मू, थाना प्रभारी संजय सिंह मौजूद रहे.

कैसे लगी आग ? कहीं से चिंगारी आयी या कुछ और

अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राफेल मुर्मू ने बताया कि अबतक आठ ग्रामीणों का बयान लिया गया है. उन्होंने बताया कि तेज धूप के कारण पुआल पूरी तरह सूखे हुए थे. ऐसे में आशंका है कि गर्मी और तेज हवा में कही से चिंगारी आयी होगी या बच्चों ने खेल-खेल में कुछ किया होगा. घटनास्थल पर कोई बड़ा व्यक्ति नहीं था. सभी काम करने या जंगल गये थे. बिरंग गागराई नामक महिला ने सबसे पहले देखा. वह बच्चों की आवाज सुनकर बचाने दौड़ी थी, लेकिन उन्हें बचा नहीं सकी. लोगों को बुलाकर पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास किया गया था.

आंसुओं में बीती रात, नहीं आयी नींद

ज्ञात हो कि घटना के बाद चाईबासा सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद बच्चों के शव सोमवार की शाम करीब 7:20 बजे गांव लाये गये थे. डीसी और डीडीसी ने विधायक सोनाराम सिंकु के हाथों परिजनों को एक-एक लाख की राशि दी थी. घटना के बाद तीनों परिवार में मातम पसरा रहा. परिवार वालों के साथ ग्रामीणों को पूरी रात नींद नहीं आयी. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल रहा.

शोकाकुल परिवारों के साहस बन खड़े रहे ग्रामीण

मुखिया जितेन्द्र पूर्ति ने बताया कि गांव में इतनी बड़ी घटना दुखद है. तीन परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. ग्रामीण पूरी रात परिजनों के साथ साहस बन कर खड़े रहे. आदिवासी रीति-रिवाज के मुताबिक आस-पास के घर वालों ने चावल इकट्ठा कर एक जगह खाना बनाकर सभी को खिलाया. इस दुख की घड़ी में रिश्तेदार भी साथ रहे. रिश्तेदार और ग्रामीण परिजनों को शांत करने में लगे रहे.

मेरे घर का चिराग बुझ गया : अर्जुन

बेटे प्रिंस चातर की मौत की सूचना पाकर ओडिशा से अपने गांव पहुंचा अर्जुन चातर की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे. उसने कहा कि मेरा घर का चिराग बुझ गया. घटना के बारे में सुनते ही मेरा पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी. किसी तरह मैं काम छोड़ कर घर के लिए रवाना हो गया. घर पर मैंने अपने बेटे का जला शव देखा. पिता के होते बेटे की मौत होना, सबसे बड़ा दुर्भाग्य है.

गांव में पसरा रहा सन्नाटा, काम पर नहीं गये ग्रामीण

घटना के दूसरे दिन सुबह से गांव में सन्नाटा पसरा रहा. गांव में दूर-दूर तक कोई नहीं दिख रहा था. गांव के हर घर से लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए. गांव के लोग काम पर या जंगल नहीं गये.

एसआइटी में शामिल पदाधिकारी

अनुमंडल पदाधिकारी महेंद्र छोटा उरांव, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राफेल मुर्मू, प्रखंड विकास पदाधिकारी सत्यम कुमार, अंचल अधिकारी मनोज मिश्रा व अन्य.

शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को सौंपी

जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के गितिलिपी गांव में आग से जले चारों बच्चों के शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मंगलवार को डॉ गणेश बिरुली ने पुलिस को सौंप दी. पुलिस ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर सरकार से परिजनों को लाभ मिलेगा. पोस्टमार्टम के क्रम बच्चों के चाचा, मामा व अन्य रिश्तेदार चाईबासा आये थे.

बाल संरक्षण विभाग व डालसा ने पीड़ित परिवारों को मदद का दिया भरोसा

घटना को लेकर बाल संरक्षण विभाग के विकास दोदराजका और डालसा सचिव राजीव कुमार सिंह, पीएलवी प्रमिला पात्रो मंगलवार गितिलिपी गांव पहुंचे. पीड़ित परिवारों से बातचीत की. सचिव ने कहा कि डालसा के प्रावधान के तहत सुविधाएं जल्द उपलब्ध करायेंगे. बाल संरक्षण विभाग ने बताया कि पीड़ित परिवार यदि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए हॉस्टल में रखकर पढ़ाना चाहते हैं, तो प्रयास किया जायेगा.

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