चक्रधरपुर.चक्रधरपुर में इस वर्ष अप्रैल माह में ही जून जैसी प्रचंड गर्मी महसूस की जा रही है. तेज धूप और लू के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. दोपहर होते ही सड़कों पर सन्नाटा छा जाता है, लोग घरों में दुबकने को विवश हैं. बढ़ते तापमान के साथ भू-जलस्तर भी तेजी से गिर रहा है, जिसका असर कुओं, तालाबों और चापाकलों पर साफ़ देखा जा सकता है. खासकर रेलवे क्षेत्र में स्थित पुराने कुएं अब सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं, वहीं अधिकतर चापाकल भी जवाब देने लगे हैं
जल्द बारिश नहीं हुई तो स्थिति भयावह
रेलवे क्षेत्र में करीब एक दर्जन कुएं हैं जो अब भू-जलस्तर में गिरावट के कारण प्रभावित हो चुके हैं. यदि जल्द बारिश नहीं हुई तो स्थिति और भयावह हो सकती है. ग्रामीण, राहगीर और पशु-पक्षी अब भी इन पारंपरिक जल स्रोतों पर निर्भर हैं. अप्रैल में ही कुएं सूखने से जल संकट की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
कुएं बन गए कूड़ेदान, दूषित हो रहा पानी
रेलवे स्टेशन, रेलवे अस्पताल, अकाउंट्स कॉलोनी, पांच मोड़ समेत अन्य कॉलोनियों में मौजूद अधिकतर कुएं अब जर्जर स्थिति में हैं. नियमित सफाई के अभाव में लोग इनमें कूड़ा, पॉलिथीन और प्लास्टिक की बोतलें फेंक देते हैं. कई बार जानवरों के अवशेष भी पाए जाते हैं. इस कारण कुओं का पानी अब उपयोग लायक नहीं रहा, बावजूद इसके कुछ होटल और दुकानों में इसी पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहा है.जलापूर्ति स्रोतों में बदलाव से रेलवे को मिली राहत
भू-जलस्तर में गिरावट को देखते हुए रेलवे ने समय रहते जलापूर्ति की दिशा में वैकल्पिक कदम उठाए हैं. रेलवे कॉलोनियों की जलापूर्ति अब संजय नदी डैम, बर्टन लेक और 12 डीप बोरिंग के माध्यम से की जा रही है. इसी कारण गर्मी में भी कॉलोनियों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न नहीं हो रही है. यहां सालभर दो पालियों में जलापूर्ति सुचारु रूप से की जाती है.
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