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west singhbhum news: ”अंगारों पर चल, कांटों पर लेट” मां केरा से मांगी मन्नतें

मां केरा की आराधना में उमड़े तीन राज्यों के श्रद्धालु, केरा मेला में दिखा हठभक्ति का अनूठा संगम

चक्रधरपुर .

चैत्र मेला के अंतिम दिन भक्तों ने मां भगवती केरा और पाउड़ी मंदिर में अपनी हठभक्ति दिखाई. हजारों श्रद्धालुओं ने अंगारों पर चलकर और कांटों पर लेटकर अग्निपरीक्षा दी. चक्रधरपुर का ऐतिहासिक चार दिवसीय केरा मेला का समापन सोमवार को भक्तों ने दहकते अंगारों पर चलकर और कांटों पर लेटकर किया. अंतिम दिन मां भगवती की आराधना के लिए झारखंड, ओडिशा और बंगाल के श्रद्धालु पहुंचे. लगभग 30 हजार से अधिक लोगों की भीड़ उमड़ी. अंतिम दिन भक्तों ने अंगारों पर नंगे पैर चलकर व कांटों पर लेटकर मां केरा से मन्नतें मांगी. मन्नतधारियों में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल थे.

भक्तों ने कालिका घट का घंटों इंतजार किया

अंगारों पर चलने व आग पर लेटने का कार्यक्रम अपराह्न चार बजे बजे से शुरू हुआ. इस वर्ष भक्तों को लंबे समय तक कालिका घट का इंतजार करना पड़ा. वहीं मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही. मेला में पॉकेटमारों की भी चांदी रही. इसका खामियाजा कमेटी को भुगतना पड़ा. केरा मेला संचालन समिति के संरक्षक कामाख्या प्रसाद साहु, अध्यक्ष अभिजीत भट्टाचार्य, इंदीवर सिंहदेव समेत अन्य सदस्यों मेला के संचालन में लगे रहे. संरक्षक श्री साहु व अध्यक्ष श्री भट्टाचार्य ने कहा कि ऐतिहासिक केरा मेला मां की कृपा की शांति पूर्वक संपन्न हो गया. पॉकेटमारों से पीड़ित भक्तों को राशि देकर उनके घरों तक भेजा गया. प्रत्येक साल केरा मेला में पॉकेटमार सक्रिय रहते हैं.

कालिका घट लेकर एक किमी दूरी तय करने में लगे 11 घंटे

केरा मेला के अंतिम दिन कालिका घट सुबह छह बजे मंदिर से डाहणीडुबा के लिए निकला. कालिका घट मंदिर तक लौटने में 11 घंटे का समय लगा. कालिका घट की पूजा अर्चना व बलिदान करने को लेकर हजारों भक्तों का एक किलोमीटर तक तांता लगा रहा. सुबह छह बजे से कालिका घट का प्रस्थान हुआ. दिन के चार बजे केरा मंदिर में प्रवेश किया. यहां विशेष पूजा अर्चना की गयी. केरा मंदिर में कालिका घट का विशेष पूजा अर्चना करने के पश्चात भक्तों ने आग पर चलकर व कांटों पर लेटकर हठभक्ति दिखायी.

नियंत्रण कक्ष से मेला की निगरानी

केरा मेला संचालन समिति की ओर से मंदिर के समीप नियंत्रण कक्ष बनाया गया था. यहां से मेला की निगरानी की जा रही थी. केरा मेला शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. मेला में सैकड़ों दुकानों सजी थीं. दिनभर केरा मंदिर में चहल पहल का माहौल रहा. मेला में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे.

ढोल नगाड़े की धुन थिरकते रहे श्रद्धालु

उमस भरी गर्मी के बीच भक्ति की अटूट संगम केरा मेला में देखने को मिला. केरा मंदिर से डाहणीडुबा की दूरी मात्र एक किमी है. जिस जिस मार्ग से कालिका घट गुजर रहा थी भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना व पशुओं की बलि दी गयी. कड़े धूप में भक्त भक्ति में लीन रहे. दंडवत होकर घंटों कालिका घट का इंतजार करते रहे. माता भगवती के आह्वान पर बजाये गये ढोल नगाड़े की धुन में भक्त घंटों थिरकते रहे. कालिका घट को केरा मंदिर पहुंचने के बाद आधा घंटा तक माता भगवती की पूजा अर्चना हुई. इसके बाद लगभग चार बजे से भक्तों ने कांटों पर लेटना व आग पर चलने का कार्यक्रम शुरू किया. इस अनूठा परंपरा को देखने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी.

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