Jharsuguda News: झारसुगुड़ा के कोलाबीरा ब्लॉक के गुडीगांव गांव निवासी 60 वर्षीय मित्रभानु पटेल ने उन्नत कृषि के जरिये सफलता की नयी परिभाषा गढ़ी है. अटूट समर्पण के साथ, पटेल ने अपनी जमीन को एक मॉडल फार्म में बदल दिया है और एक प्रगतिशील किसान के रूप में क्षेत्र में ख्याति अर्जित की है. वे अपने समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत बन गये हैं.
एक एकड़ में की है आम की बागवानी
पटेल के एक एकड़ के बगीचे में हेमसागर, लंगडा, आम्रपाली, केशर, नीलम, दशहरी और आइनी पलेई सहित कई किस्म के आम उगा रखा है. इतना ही नहीं, ग्राफ्टेड तकनीक का इस्तेमाल कर वे एक ही पेड़ पर पांच किस्म के आम का उत्पादन कर रहे हैं. उन्नत ड्रिप सिंचाई और पानी में घुलनशील उर्वरकों का उपयोग कर वे अपना उत्पादन कई गुना बढ़ा रहे हैं. पिछले साल दो एकड़ में लगाये गये 200 थाई अमरूद के पेड़ों से उन्होंने दो क्विंटल अमरूद का उत्पादन किया था, जिससे उन्हें अच्छी खासी आय हुई थी. इस साल भी बेहतर लाभ मिलने की उम्मीद उन्होंने जतायी है.
गाय, मछली व बतख पालन से भी कर रहे बेहतर आय
फलों के अलावा श्री पटेल नींबू, हल्दी, अदरक और अन्य सब्जियां भी उगाते हैं, जिन्हें वे झारसुगुड़ा के बाजारों में बेचते हैं. उन्होंने अपने फार्म में गाय का पालन किया है, जिससे रोजाना 20 लीटर दूध बेच रहे हैं. साथ ही बतख और बकरियां भी पाल रखी है. पिछले दो वर्षों से, उन्होंने बायो फ्लोक विधि से मछली पालन शुरू किया है. कंक्रीट के टैंक में तिलापिया, रोहू और भाकुर की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आय में और वृद्धि हुई है. अपने फार्म में बेहतर उत्पादन के लिए श्री पटेल आधुनिक कृषि तकनीक पर निर्भर हैं. जिसे उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रमों और किसान मेला में सीखा है. वे बिना कृषि श्रमिकों के केवल मशीनरी के जरिये यह सफलता हासिल कर रहे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से पा चुके हैं पुरस्कार
मित्रभानु पटेल की उपलब्धियों ने उन्हें एक अलग पहचान दिलायी है. पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी वे इसके लिए पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. इसके अलावा कई कृषि मेलों में उन्हें सम्मानित किया गया है. पत्नी मंदाकिनी उनके अथक कार्यों की प्रशंसा करती हैं, जबकि उनके बेटे रमाकांत, अपने परिवार के गौरव और समृद्धि के लिए पिता द्वारा उन्नत तकनीक के उपयोग को श्रेय देते हैं. जिला कृषि अधिकारी पृथ्वीराज मंडल ने श्री पटेल की विनम्रता और सफलता की प्रशंसा की है. कहा कि फसल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण कार्यक्रमों और योजनाओं में शामिल होकर खुद का ज्ञान-कौशल निखारा है.
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