Rourkela News : राउरकेला जिला कांग्रेस कमेटी में गुटीय संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है. पार्टी के लिए एकजुट होकर काम करने की बजाय अग्रणी नेता एक-दूसरे से लड़ने में व्यस्त हैं. इनमें कुछ नेता हाइकमान द्वारा चुने गये अध्यक्ष की बात मान रहे हैं. लेकिन अधिकतर नेता और कार्यकर्ता मनमाना रवैया अख्तियार किये हुए हैं. वे एक तो जिलाध्यक्ष द्वारा तय किये गये कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेते हैं, दूसरे अपने समर्थकों के साथ उसी तरह का कार्यक्रम आयोजित करते नजर आते हैं.
गुटबाजी ने पंजे को किया कमजोर, चुनावों में प्रदर्शन रहा निराशाजनक
राउरकेला जिला कांग्रेस में इस स्थिति की जानकारी हाइकमान को मिलने के बाद विगत एक दशक में छह बार अध्यक्ष बदले जा चुके हैं. इसके बावजूद सभी नेता और कार्यकर्ता एकजुट नहीं हो रहे हैं. गुटीय संघर्ष के कारण राउरकेला में कांग्रेस कमजोर होती जा रही है. आम चुनाव से लेकर पंचायत चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पिछले 10 वर्षों में (अगस्त 2015 से जून 2025 तक) राउरकेला जिला कांग्रेस में छह अध्यक्ष बदले जा चुके हैं. कोई दो महीने, कोई एक साल तो कोई दो साल तक पद पर रहा. बदले गये सभी छह अध्यक्षों में से अधिकतर अंतरिम ही बने हुए हैं. अगस्त, 2015 में बीरेन सेनापति जिला कांग्रेस अध्यक्ष थे. वे जून 2018 तक इस पद पर रहे. बाद में रवि राय को जिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी. एक साल बाद 2019 में पूर्व विधायक जॉर्ज तिर्की के कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें राउरकेला जिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी. 2022 के पंचायत चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन और हाइकमान से सहयोग नहीं मिलने के कारण जॉर्ज तिर्की ने कांग्रेस अध्यक्ष पद और प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया.
2022 से अंतरिम अध्यक्ष के भरोसे है पार्टी
अगस्त 2022 के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवव्रत बिहारी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया. वे 2023 तक अध्यक्ष पद पर रहे. उनके अध्यक्ष रहने के दौरान पार्टी के नेताओं के बीच गुटबाजी कम नहीं हुई. 2024 में देवब्रत बिहारी की जगह युवा नेता रश्मि पाढ़ी को अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी. फरवरी में राहुल गांधी की पदयात्रा हुई थी. राहुल गांधी की पदयात्रा की विफलता कहें या कोई और कारण, करीब दो महीने बाद ही रश्मि पाढ़ी को जिला अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और रवि राय को एक बार फिर अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गयी. वहीं दो दिन पहले ज्ञानेंद्र दास को अंतरिम जिलाध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि बाद में यह फैसला बदलने से उन्हें अब जिला को-ऑर्डिनेटर का पद मिला है. बार-बार जिला अध्यक्ष बदलने के बावजूद राउरकेला के सभी नेता और कार्यकर्ता एकजुट नहीं हो पाये.
एआइसीसी ने 24 घंटे में पलटा अंतरिम जिला अध्यक्ष बनाने का फैसला
पीसीसी अध्यक्ष भक्त चरण दास ने सोमवार को ओडिशा के 32 सांगठनिक जिलों के लिए अंतरिम जिलाध्यक्ष की घोषणा की थी. राउरकेला जिला के लिए ज्ञानेंद्र दास व सुंदरगढ जिला में निर्मल नायक को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था. लेकिन बुधवार को एआइसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) ने प्रदेश अध्यक्ष के फैसले को पलट दिया है. साथ ही नये दिशानिर्देश जारी किये गये हैं, जिसमें कांग्रेस के सांगठनिक जिलों में जिला अध्यक्ष का चयन करने के लिए जल्द ही एआइसीसी की टीम दौरा करेगी. जिन लोगों को अंतरिम जिला अध्यक्ष बनाया गया है, वे अब जिला को-ऑर्डिनेटर के तौर पर कार्य करेंगे.
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