Bhubaneswar News: ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री आदिबंध तियारी योजना (एमएटीवाइ)-3.0 की अवधि 2025-26 से 2029-30 तक और पांच वर्षों के लिए बढ़ा दी. मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस बारे में निर्णय लिया गया. इस संबंध में जल संसाधन विभाग द्वारा एक प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें कहा गया था कि इस योजना का उद्देश्य उन क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई सुविधाएं प्रदान करना है, जहां वे पारंपरिक रूप से नदियों पर अस्थायी बांधों पर निर्भर हैं.
2,738.00 करोड़ रुपये है योजना के लिए अनुमानित व्यय
मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने संवाददाताओं को बताया कि इस योजना के तहत 3,313 नये चेकडैम (छोटे बांध) बनाने तथा 3,529 मौजूदा चेकडैम में सुधार करने की योजना है, जिससे 57,525 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित होगी तथा 41,713 हेक्टेयर मौजूदा सिंचाई क्षमता बहाल होगी. आहूजा ने कहा कि सिंचाई के अलावा चेकडैम मॉनसून के बाद की अवधि में गांवों को पेयजल सुविधा भी प्रदान करेंगे, भूजल पुनर्भरण में सहायता करेंगे तथा जल-संकटग्रस्त ब्लॉक में खरीफ सिंचाई को बढ़ायेंगे. उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए अनुमानित व्यय 2,738.00 करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि इस योजना से किसानों को लाभ मिलेगा तथा राज्य की कृषि उत्पादकता में सुधार होगा. मंत्रिमंडल ने कानून, वित्त और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमइ) विभागों के अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी.
मंत्रिमंडल ने कई प्रमुख संशोधनों को दी मंजूरी
ओडिशा मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने, खाद्य प्रसंस्करण, कानूनी सेवाओं, सिंचाई और कराधान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतियों में महत्वपूर्ण संशोधनों को मंजूरी दी है. ओडिशा खाद्य प्रसंस्करण नीति, 2016 में एक बड़ा बदलाव किया गया है, जो राजकोषीय प्रोत्साहनों के सुचारू कार्यान्वयन के लिए इसे 2022 की नीति के अनुरूप बनाता है. एमएसएमइ के लिए पहले की त्रि-स्तरीय अनुमोदन प्रणाली में संशोधन किया गया है. अब कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) एक करोड़ रुपये तक की निवेश वाली परियोजनाओं का प्रबंधन करेगी, उद्योग निदेशक की अध्यक्षता वाली राज्य डीएलसी 1-10 करोड़ रुपये तक के निवेश का प्रबंधन करेगी और एमएसएमइ सचिव के अधीन राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) 10-50 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की देखरेख करेगी. इस व्यापक बदलाव का उद्देश्य अनुमोदनों का विकेंद्रीकरण और खाद्य प्रसंस्करण निवेश में तेजी लाना है. न्यायिक लंबित मामलों को देखते हुए मंत्रिमंडल ने ओडिशा विधि अधिकारी नियम, 1971 में संशोधन को मंजूरी दे दी है, ताकि ओडिशा राज्य अभियोजन सेवा (ओएसपीएस) के अंतर्गत और अधिक अधिकारियों की भर्ती की जा सके और मामलों का तेज़ी से निपटारा हो सके. इसके अलावा, ओडिशा वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 में संशोधनों में प्लांट और मशीनरी की स्पष्ट परिभाषाएं, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के लिए ट्रैक-एंड-ट्रेस जैसी नयी अनुपालन प्रणालियां और लचीली रिटर्न-फाइलिंग प्रक्रियाएं शामिल हैं. दंड और अपील प्रक्रियाओं को भी सुव्यवस्थित किया गया है. अंत में, नये राष्ट्रीय आपराधिक कानून लागू होने के साथ, ओडिशा के अधीनस्थ न्यायालयों में भर्ती और प्रशिक्षण में सुधार लाने तथा बेहतर कानूनी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक कर्मचारी सेवा नियमों में बदलाव किये जा रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है