Rourkela News: एनआइटी राउरकेला ने भारतीय रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर ड्रोन स्वार्म और अनुप्रयोगों में प्रगति विषय पर एक राष्ट्रीय बूट कैंप का आयोजन किया. यह पांच दिवसीय कार्यक्रम 21 से 25 जुलाई, 2025 तक एमसीटीई, म्हो (इंदौर) में आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय सेना के अधिकारियों और रक्षा पेशेवरों को अत्याधुनिक ड्रोन स्वार्म तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया.
एआइ-पावर्ड यूएवी संचालन का हुआ प्रदर्शन
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्वार्म इंटेलिजेंस और इंटर-ड्रोन समन्वय, फ्लाइट सिस्टम्स आर्किटेक्चर और यूएवी डायनेमिक्स, साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल, विजन-आधारित नेविगेशन और रियल-टाइम स्वार्म नियंत्रण, और मल्टी-एजेंट मिशन प्लानिंग जैसे विषयों पर सत्र आयोजित किये गये. कार्यक्रम में सिम्युलेटेड स्वार्म मिशनों और एआइ-पावर्ड यूएवी संचालन के प्रदर्शन के साथ समापन हुआ. एनआइटी राउरकेला के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें प्रोफेसर पीएस बालाजी, डॉ चिकेश रंजन और सुभाशीष भोई शामिल थे. प्रोफेसर जे श्रीनिवास इस परियोजना के प्रमुख अन्वेषक हैं. एरोविद्या वेंचर्स के सुबोध के दास और स्पोर्टी जी हन्निकेरी ने भी कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय सेना को ड्रोन स्वार्म तकनीक में प्रशिक्षित करना और देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना था. कार्यक्रम में सैन्य कर्मियों, अकादमिक विशेषज्ञों, ड्रोन प्रौद्योगिकीविदों और अनुसंधान नेताओं ने भाग लिया.
यह कार्यक्रम भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम : प्रो राव
एनआइटी राउरकेला के निदेशक प्रोफेसर के उमामहेश्वर राव ने कहा कि यह कार्यक्रम एनआइटी राउरकेला के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और हमें इस पहल के लिए रक्षा मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का आभार व्यक्त करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. एनआइटी राउरकेला भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बना रहा है, जिससे देश की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत किया जा सके. यह कार्यक्रम एनआइटी राउरकेला को एक राष्ट्रीय हब के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा, जो एयरोस्पेस नवाचार, क्षमता निर्माण और रणनीतिक साझेदारी में उत्कृष्टता प्राप्त करता है.
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