Dr Panda started his career as a management trainee in SAIL in 1992 सेल की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में निभायी है महत्वपूर्ण भूमिका Rourkela News : डॉ अशोक कुमार पंडा ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक (वित्त) का कार्यभार संभाला है. डॉ पंडा ने 1992 में सेल में प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में अपना करियर शुरू किया था. बुरला इंजीनियरिंग कॉलेज (वर्तमान के वीर सुरेंद्र साईं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक, एक्सआइएमबी, भुवनेश्वर से वित्तीय प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और बरहामपुर विश्वविद्यालय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में पीएचडी धारक डॉ पंडा मेहनत, प्रतिबद्धता और समर्पण के बल पर तेजी से पदानुक्रम में आगे बढ़े. 2018 में उन्हें महाप्रबंधक (जिसका नामांकन बाद में मुख्य महाप्रबंधक में बदल दिया गया) के रूप में पदोन्नत किया गया और निगमित कार्यालय, नयी दिल्ली में तैनात किया गया. 2021 में डॉ पंडा को भिलाई स्टील प्लांट में मुख्य महाप्रबंधक प्रभारी (वित्त) के रूप में स्थानांतरित किया गया और इसके तुरंत बाद उन्हें कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) के पद पर पदोन्नत किया गया. सेल के निदेशक (वित्त) के रूप में कार्यभार संभालने से पहले डॉ पंडा निगमित कार्यालय, नयी दिल्ली में कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) के रूप में कार्यरत थे. अपने करियर के दौरान डॉ पंडा ने सेल के विभिन्न संयंत्रों और इकाइयों में विभिन्न पदों पर काम किया. उनकी विशेषज्ञता वित्तीय लेखांकन से लेकर लागत और बजट, व्यवसाय योजना, कोषागार संचालन, कराधान और रणनीतिक प्रबंधन तक है. अपने कार्यकाल के दौरान डॉ. पंडा ने पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए सेल की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, जिसमें डीलीवरेजिंग प्रयास, लागत अनुकूलन, रेल मूल्य निर्धारण रणनीति, अचल संपत्ति बिक्री नीति, कर अनुकूलन, ई-चालान कार्यान्वयन और सेल इकाइयों में डिजिटल चालान शुरू करने सहित कई अन्य प्रमुख पहलों का नेतृत्व किया है. अपनी निगमित जिम्मेदारियों के अलावा, डॉ पंडा ने सेल के कई संयुक्त उद्यमों और सहायक कंपनियों के बोर्ड में नामित निदेशक के रूप में काम किया है, जिससे कंपनी के वित्तीय प्रशासन को और मजबूती मिली है. वित्त क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के अलावा, उन्होंने खनन, संयंत्र संचालन, परियोजनाओं आदि के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके लिए उन्हें लागत प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए जवाहर पुरस्कार 2012 जैसे पुरस्कार मिले हैं. वे युवा प्रबंधकों के लिए चेयरमैन ट्रॉफी में उपविजेता भी रहे, जिसने उनके करियर के शुरुआती दौर में उनके नेतृत्व और समस्या समाधान कौशल को उजागर किया. डॉ. पंडा ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों, व्यावसायिक बैठकों आदि के लिए व्यापक रूप से यात्रा की है. उन्होंने विदेशी और घरेलू संस्थानों से कई प्रशिक्षण प्राप्त किये हैं.
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