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काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामलाः कोर्ट ने दिया पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश, जानिए क्या है पूरा मामला

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने पुरातात्विक सर्वे कराए जाने का आदेश दिया है. बता दें वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है. जिसको लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है.

वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने पुरातात्विक सर्वे कराए जाने का आदेश दिया है. बता दें वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है. जिसको लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है. जिसपर सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पुरातात्विक सर्वे कराए जाने का फैसला सुनाया है. आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया को इस मामले में जांच करने के आदेश दिए है.

5 लोगों की टीम बनाकर हो जांचः इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि, पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाए, और पूरे परिसर का रिसर्च करे. वहीं कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो पांच लोगों की टीम बनेगी उसमें दो अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी शामिल हों. कोर्ट ने इलाके की खुदाइ करने को कहा है, साथ ही कहा है कि इसका खर्चा राज्य सरकार उठाएगी.

पिछले हफ्ते पूरी हुई थी सुनवाईः इससे पहले बीते हफ्ते काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में लंबी सुनवाई हुई थी. इस दौरान दोनों पक्षों में इस मामले पर बहस हुई थी. दोनों पक्षों का बहस सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला 8 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित कर लिया था.

गौरतलब है कि साल 2019 के दिसंबर में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से सिविल कोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया था. इस आवेदन में उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करवाने का अनुरोध किया था. लेकिन साल 2020जनवरी में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की ओर से सर्वेक्षण की मांग का प्रतिवाद दायर किया गया था. जिसपर आज कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया.

1991 में पहली बार दायर की गई थी याचिकाः गौरतलब है कि, पहली बार साल 1991 में स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा की अनुमति के लिए कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि, मगल शासक औरंगजेब ने 1664 में काशी मंदिर को नष्ट कर वहां मस्जिद का निर्माण कराया था. जबकि आज से करीब 2 हजार साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था.

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Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar Digital Desk
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