24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Kargil Vijay Diwas 2023: लखनऊ के जांबाजों ने दिखाया था अद्भुत पराक्रम, जानें रियल लाइफ के हर हीरो की कहानी

देश 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस पर अपने सैनिकों के शौर्य को नमन कर रहा है. 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय वीर जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे से कारगिल की ऊंची चोटियों को आजाद कराया था. इस युद्ध में लखनऊ के जांबाजों ने भी अपनी शहादत थी, जिनके प्रति प्रदेशवासी अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं.

Kargil Vijay Diwas: देश 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में कारगिल युद्ध की 24वीं वर्षगांठ मना रहा है. 1971 के युद्ध में शिकस्त के बाद लगातार छेड़े गए छद्म युद्ध के रूप में पाकिस्तान ने ऐसा ही छ्द्म हमला कारगिल में 1999 में किया, जिसमें भारत के वीर जवानों ने उसको करारा सबक सिखाया था.

कारगिल युद्ध में लखनऊ शहर के कई जांबाजों ने मोर्चा लिया था. कैप्टन मनोज पांडेय, राइफलमैन सुनील जंग, लांसनायक केवलानंद द्विवेदी, कैप्टन आदित्य मिश्र और मेजर रीतेश शर्मा जैसे जांबाजों के पराक्रम के आगे दुश्मन के नापाक मंसूबे ध्वस्त हो गए थे. इन रणबांकुरों ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर विजय पताका फहराई.

कारगिल युद्ध के इन वीरों की स्मृतियां आज भी कई जगह संजोकर रखी गई हैं. शहीद स्मारक के सामने कारगिल वाटिका में लगी उनकी प्रतिमा और वीरगाथा का वर्णन लोगों के दिलों में देशभक्ति की जज्बा जगाने करने का काम कर रहा है. कारगिल विजय दिवस के मौके पर यहां कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां शहीदों को नमन करेंगे. मध्य कमान मुख्यालय की ओर से छावनी स्थित युद्ध स्मारक स्मृतिका पर बलिदानियों को पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी.

लंबी छुट्टी लेकर आने का वादा करके गए थे राइफलमैन सुनील जंग

छावनी के तोपखाना बाजार के रहने वाले सुनील जंग 11 गोरखा राइफल्स में बिना घरवालों को बताए 16 वर्ष की आयु में भर्ती हो गए थे. पिता नर नारायण जंग भी सेना से सेवानिवृत्त हुए थे. परिजनों के मुताबिक कारगिल युद्ध से कुछ दिन पहले ही सुनील घर आया था. अचानक उसकी यूनिट से बुलावा आ गया. जाते समय सुनील ने कहा था कि मां अगली बार लंबी छुट्टी लेकर आऊंगा.

Also Read: यूपी में बिजली डिमांड 28 हजार मेगावाट के पार, अखिलेश यादव बोले- भाजपा सरकार ने एक यूनिट भी नहीं बढ़ाया उत्पादन

घर से जाने के बाद राइफलमैन सुनील जंग 10 मई 1999 को 1/11 गोरखा राइफल्स की एक टुकड़ी के साथ कारगिल सेक्टर पहुंचे. तीन दिनों तक सुनील जंग ने दुश्मनों से मोर्चा लिया. 15 मई को एक गोलीबारी में कुछ गोलियां उनके सीने में जा लगीं. अंतिम सांस तक सुनील के हाथ से बंदूक नहीं छूटी.

लांसनायक केवलानंद द्विवेदी छुट्टी के बीच पहुंचे थे लड़ाई के मोर्चे पर

लांसनायक केवलानंद द्विवेदी की पत्नी कमला द्विवेदी की तबीयत खराब थी. वह पत्नी को देखने के लिए 26 मार्च 1999 को अपने घर आए थे. इस बीच उनकी यूनिट से एक तार आया, जिसमें कहा गया कि कारगिल में दुश्मन से मोर्चा लेने के लिए तुरंत जम्मू-कश्मीर में अपनी यूनिट को रिपोर्ट करें. लांसनायक केवलानंद द्विवेदी जम्मू पहुंचकर 15 कुमाऊं रेजीमेंट की टुकड़ी में शामिल हुए.

कारगिल पहुंचकर उन्होंने आखिरी बार 30 मई 1999 की सुबह अपनी पत्नी को फोन किया और मातृभूमि की रक्षा के लिए कारगिल के अग्रिम मोर्चे पर जाने की बात कही. उन्होंने पत्नी से बच्चों और परिवार का ख्याल रखने को कहा. इसके बाद छह जून की रात केवलानंद द्विवेदी बलिदानी हो गए. वीरता के लिए उनको वीरचक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया.

कैप्टन मनोज पांडेय ने हैंड ग्रेनेड से हमला कर खालूबार पोस्ट पर लहराया तिरंगा

कारगिल युद्ध में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण खालूबार पोस्ट पर कब्जा करना भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी. यही वह पोस्ट थी, जहां से जांबाजों को आगे बढ़ने की सबसे बड़ी रुकावट दूर हो सकती थी. अल्फा कंपनी की कमान 24 साल के युवा अधिकारी कैप्टन मनोज कुमार पांडेय को सौंपी गई. मनोज को अपनी टुकड़ी के साथ खालूबार पोस्ट पर तिरंगा लहराने की जिम्मेदारी मिली.

कैप्टन मनोज पांडेय अपनी कंपनी के साथ आगे बढ़ते रहे। बहादुरी के साथ उन्होंने खालूबार पोस्ट पर हमला किया. तीन बंकरों को नष्ट करते हुए वह चौथे बंकर पर पहुंचे ही थे कि उनको गोलियां लग गईं. घायल होने के बाद भी 24 साल के इस वीर ने हैंड ग्रेनेड से हमला कर खालूबार पोस्ट पर विजयश्री हासिल की.

इस जांबाजी के लिए कैप्टन मनोज पांडेय को वीरता का सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन मनोज कुमार पांडेय के नाम पर जून 2023 में अंडमान-निकोबार के एक द्वीप का नाम रखा गया है. लखनऊ का सैनिक भी स्कूल उनके नाम से जाना जाता है. इसी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में चयनित हुए.

कैप्टन आदित्य मिश्र ने तार जोड़कर बनाया संपर्क

कैप्टन आदित्य मिश्र के पिता ले. जनरल जीएस मिश्र की कई जगह तैनाती हुई. इसलिए कैप्टन आदित्य मिश्र देश के कई शहरों में पढ़ाई के बाद आठ जून 1996 को भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में अधिकारी बने. सिग्नल कोर के अधिकारी कैप्टन आदित्य मिश्र 19 जून 1999 को अपनी यूनिट लद्दाख स्काउट के साथ बटालिक सेक्टर पहुंचे.

उन्होंने प्वाइंट 5203 को दुश्मनों के कब्जे से मुक्त कराया. टीम वापस अपने बेस पर पहुंची. लेकिन, कब्जे में लिए गए बंकर में संचार लाइन का नेटवर्क बिछाना जरूरी था. वह दोबारा संचार नेटवर्क बिछाने गए. वहां उनका दुश्मनों से आमना-सामना हुआ, जहां दुश्मन से मोर्चा लेते हुए वह शहीद हुए.

मेजर रीतेश शर्मा की रेजीमेंट ने मश्कोह घाटी को दुश्मन से कराया मुक्त

लामार्टीनियर कालेज से पढ़ाई के बाद मेजर रीतेश शर्मा ने बीएचयू में दाखिला लिया. उनका चयन कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज से हुआ. नौ दिसंबर 1995 को मेजर रीतेश शर्मा पासिंग आउट परेड के बाद सेना में अफसर बने. मई 1999 में आर्मी ट्रेनिंग कालेज महू में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह 15 दिनों की छुट्टी पर अपने घर लखनऊ आए थे. इस बीच सूचना मिली कि कारगिल क्षेत्र में चार जाट की पेट्रोलिंग टुकड़ी का कुछ पता नहीं चल रहा है. वह वापस अपनी यूनिट 17 जाट रेजीमेंट पहुंचे.

मेजर रीतेश ने अपनी टुकड़ी के साथ प्वाइंट 4875 पर तिरंगा लहराया. छह व सात जुलाई की रात मश्कोह घाटी को फतह करते समय मेजर रीतेश घायल हो गए. सीओ के आदेश पर उन्होंने बेस में वापस आने से पहले कमान कैप्टन अनुज नैयर को सौंप दी.

उनकी 17 जाट रेजीमेंट ने मश्कोह घाटी को दुश्मन के कब्जे से मुक्त कराया, जिस पर यूनिट को मश्कोह सेवियर का खिताब दिया गया. इसके बाद घायल रीतेश शर्मा स्वस्थ हुए. फिर 25 सितंबर 1999 को कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा पर आतंकियों से मुठभेड़ में वह घायल हो गए. छह अक्टूबर 1999 को नार्दर्न कमांड अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel