LUCKNOW NEWS: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) के एक स्थानीय नेता द्वारा दीवारों पर लिखवाए गए एक स्लोगन ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. स्लोगन सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसता है जिसमें लिखा गया है “काश आपकी नसों में सिंदूर की जगह गर्म खून बहता.”
दीवारों पर उभरा विवाद
लखनऊ के हजरतगंज, चौक और आलमबाग जैसे प्रमुख इलाकों की दीवारों पर यह स्लोगन लाल रंग से लिखा गया पाया गया. स्लोगन के साथ समाजवादी पार्टी का लोगो भी अंकित किया गया था. स्थानीय लोगों ने जब इस पर ध्यान दिया, तो सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल हो गईं.
सपा नेता की पहचान और मंशा
सूत्रों के अनुसार, इस अभियान के पीछे समाजवादी पार्टी के युवा इकाई से जुड़े एक स्थानीय नेता का हाथ है, जिनका उद्देश्य “नरम होती राजनीति में जोश भरना और जनता का ध्यान बेरोजगारी, महंगाई जैसे असल मुद्दों की ओर लाना” बताया जा रहा है. हालांकि पार्टी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
बीजेपी ने जताई आपत्ति
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता ने इस स्लोगन को “अशोभनीय, अपमानजनक और स्त्रीविरोधी” करार दिया. उनका कहना है कि इस तरह के शब्दों से प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुँचती है. उन्होंने चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है.
प्रशासन की कार्रवाई
लखनऊ नगर निगम की टीम ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दीवारों से स्लोगन हटाने का काम शुरू कर दिया है. नगर आयुक्त ने बताया कि किसी भी तरह की गैरकानूनी दीवार लेखन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल का हो.
सोशल मीडिया पर दो हिस्सों में बंटे लोग
जहां एक ओर सपा समर्थकों ने इसे “साहित्यिक और जोशीला” करार दिया, वहीं दूसरी ओर कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे “घृणित और भड़काऊ” बताया. ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस स्लोगन को लेकर बहस छिड़ गई है.
क्या है राजनीतिक संदेश?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्लोगन एक तरह से प्रधानमंत्री की ‘नरम छवि’ पर हमला करता है और सपा की रणनीति है कि भावनात्मक और उग्र भाषा के माध्यम से युवा मतदाताओं को आकर्षित किया जाए. यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि 2024 के आम चुनावों के बाद भी देश की राजनीति में शब्दों की तल्खी बरकरार है. आने वाले समय में इस तरह के अभियान और भी देखने को मिल सकते हैं, खासकर जब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.