Mahakumbh 2025 : महाकुंभ मेले की समाप्ति के बाद अब गंगा की रेती पर दुर्लभ प्रजाति के नन्हे इंडियन स्कीमर के वेलकम की तैयारी शुरू हो चुकी है. महाकुंभ की शुरुआत में 150 जोड़े इंडियन स्कीमर के पहुंचे, जो दिसंबर से लेकर फरवरी अंत या मार्च की शुरुआत तक अंडे देते हैं. अब 150 जोड़ों के साथ ही इन दुर्लभ प्रजाति के नन्हे इंडियन स्कीमर को जंगली जानवरों से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर वाचर तैनात कर दिए गए हैं.
वाइल्डलाइफ की टीम भी अलर्ट मोड में है. दुनिया के इस सबसे बड़े मेले में 90 से अधिक प्रजातियों के देशी और विदेशी पक्षी पहुंचे हैं. प्रदूषण को रोकने में भी यह काफी कारगर साबित होते हैं. महाकुंभ में इन्हें देखने देश–विदेश से लोग जुटते हैं. इसी के मद्देनजर यहां बर्ड फेस्टिवल का भी आयोजन किया गया है. इसी के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्लान तैयार किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ साथ स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे.

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इंडियन स्कीमर के 150 जोड़ों ने संगम की रेती को बनाया आशियाना
डीएफओ प्रयागराज अरविंद कुमार यादव ने बताया कि महाकुंभ के दौरान 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के साथ-साथ इंडियन स्कीमर के 150 से अधिक जोड़े संगम क्षेत्र में पहुंचे हैं. यहां वे प्राकृतिक वातावरण में घुल-मिल गए. ये पक्षी जंगली जानवरों से अपने अंडे को बचाने के लिए संगम की रेती में छुपा देते हैं. जिन्हें बचाने और इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार की तरफ से भी कई तरह के इंतजाम किए गए हैं. दुर्लभ प्रजाति के अंडों और नन्हे पक्षियों को जंगली जानवरों और अन्य खतरों से बचाने के लिए बड़ी संख्या में वाचर तैनात किए गए हैं. इसके अलावा वाइल्डलाइफ की टीम को भी लगाया गया है. जो पक्षियों की सुरक्षा के साथ-साथ उनकी गणना का भी काम कर रहे हैं. वन्यजीव सुरक्षा को लेकर वाइल्डलाइफ की टीम लगातार गश्त कर रही है. ताकि पक्षियों और उनके अंडों को किसी भी तरह के खतरे से बचाया जा सके.
