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पांचवें चरण का मतदान आगामी 20 मई को होगा

बैरकपुरस, हावड़ा, उलबेड़िया, श्रीरामपुर, हुगली और आरामबाग लोकसभा क्षेत्रों के लिए मतदान होगा.

बनगांव, बैरकपुरस, हावड़ा, उलबेड़िया, श्रीरामपुर, हुगली और आरामबाग लोकसभा क्षेत्रों के लिए मतदान होगा. बनगांव की बात करें तो आगामी चार जून को जब मतगणना होगी तब बनगांव का नतीजा सीएए के राजनीतिक प्रभाव का प्रमुख दस्तावेज होगा. नतीजा इस बात को भी प्रभावित करेगा कि मतुआ महासंघ का नेतृत्व ‘बड़ो मां’ के बाद किसे जायेगा. मतुआ एससी समुदाय है जिसके लोग देश विभाजन के बाद भारत में आये थे. राजनीतिक विचारधारा में भी वह बटें हैं. सीएए का समर्थन उनका एक बड़ा हिस्सा करता है. उनकी यह लंबे अरसे से मांग रही थी. एससी उम्मीदवार के लिए आरक्षित इस सीट में 2011 के सेंसस के मुताबिक 21.7 फीसदी मतदाता एससी, 2.6 फीसदी एसटी हैं. अन्य धार्मिक समुदायों में हिंदू 73.46 फीसदी हैं और मुस्लिम 25.82 फीसदी हैं. हावड़ा लोकसभा हावड़ा लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो इसके सात विधानसभा क्षेत्रों में तृणमूल का दबदबा है. फुटबॉलर प्रसून बनर्जी ने 2013 का उपचुनाव जीता था. तृणमूल सांसद अंबिका बनर्जी के निधन के बाद यह उपचुनाव हुआ था. हावड़ा में मतदाताओं की बड़ी तादाद गैरबांग्लाभाषी हैं. इनमें अधिकांश बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मूलनिवासी हैं. उलबेड़िया लोकसभा उलबेड़िया लोकसभा क्षेत्र हावड़ा जिले में है. कभी ब्रिटिश राज में यह जूट प्रशंसकरण का प्रमुख केंद्र था. हालांकि समय के साथ यह उद्योग खत्म होता गया. अब यहां कोई बड़ी जूट मिल नहीं है. वर्तमान में यहां हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं की कमोबेश समान तादाद है. यह लोकसभा क्षेत्र बंगाल में उन गिनेचुने क्षेत्रों में है जहां इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (आइएसएफ) का उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है. वाममोर्चा के शासनकाल में माकपा के हन्नान मोल्ला ने रिकॉर्ड आठ बार यहां से जीत हासिल की थी. उन्हें 2009 में तृणमूल के सुल्तान अहमद ने हराया था. इस बार के चुनाव में तृणमूल की सजदा अहमद, भाजपा के अरुण उदय पाल चौधरी और कांग्रेस के अजहर मल्लिक के बीच मुकाबला है. वाममोर्चा की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन किया जा रहा है. हुगली क्षेत्र हुगली का औपनिवेशिक इतिहास रहा है. बैंडेल में पुर्तगाली सेटलमेटं था. चंदननगर एक फ्रेंच कालोनी थी, चुंचुड़ा एक डच कालोनी थी. यहां भाजपा की लॉकेट चटर्जी और तृणमूल की रचना बनर्जी के बीच मुकाबला है. दोनों का ही ताल्लुक फिल्म जगत से रहा है. इसी लोकसभा क्षेत्र में सिंगूर भी है जो टाटा की नैनो फैक्टरी के कारण देश भर में सुर्खियों में आया था. आरामबाग लोकसभा आरामबाग लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां के सात विधानसभा क्षेत्रों में से चार में भाजपा और तीन में तृणमूल ने गत विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. यह लोकसभा सीट एससी के लिए आरक्षित है. यानी पांचवें चरण के चुनाव में सीएए से लेकर अल्पसंख्यक गणित के प्रमुख फैक्टर बनने की संभावना है. श्रीरामपुर क्षेत्र श्रीरामपुर कभी डेनिश सेटलमेंट था. 1845 में अंग्रेजों ने इसे हासिलकिया. वर्तमान में इसका शहरीकरण हो चुका है और यह औद्योगिक क्षेत्र भी है.

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