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पूर्वी सिंहभूम में छह माह से आंगनबाड़ी सेविका व सहिया मानदेय के लिए लगा रही चक्कर, घर चलाना हुआ मुश्किल

मासिक मानदेय पर काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को छह माह से मानदेय नहीं मिला है. इसी तरह सहायिकाएं भी 4750 मासिक मानदेय के लिए छः माह से रुके मानदेय के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रही हैं.

पूर्वी सिंहभूम (बरसोल), गौरब पाल : बहरागोड़ा प्रखंड के लगभग 235 सहिया व 230 सेविकाओं का मानदेय बीते दिसंबर महीना से व पोषाहार की राशि बीते जनवरी महीने से नहीं मिलने काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बताया गया कि गर्भवती महिलाओं की सेहत सुधार व बच्चों के पोषण में अहम भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां खुद कुपोषण का शिकार होकर भूखमरी के कगार पर पंहुच गयी है. छह महीने से रुके मानदेय लेने के लिए प्रखंड कार्यालय तथा बैंक का चक्कर लगाने को मजबूर हैं.ये महिलाएं बहुत ही कम मानदेय पाकर सरकार द्वारा हर छोटी-मोटी विभागीय कार्य पूरे लगन के साथ करती है. कोरोना काल में भी आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिका अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए दिखी थी.रुके मानदेय के लिए बाल पोषाहार केंद्र से लेकर जिले के आला अधिकारियों तक शिकायत कर चुकी है.

घर गृहस्थी चलाना मुश्किल हो गया

बरसोल के आंगनबाड़ी कार्यकर्ती मीरा डे, बसंती मांडी, सुकुल मणि हंसदा, पुतुल मानी सोरेन, चंदना दास, चांदमुनी मुर्मु, लष्मी टुडू, बनलता सेनापति आदि ने बताया कि पिछले छः महीने से मानदेय न मिलने के कारण हम लोग के घर गृहस्थी चलाना मुश्किल हो गया. बच्चों की फीस के साथ तमाम तरह की परेशानियां झेलनी पड़ रही है. जबकि सरकार के एक इशारे पर हम लोग विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए सभी कार्यों को निष्ठा पूर्वक करती चली आ रही हैं. मानदेय न मिलने से बच्चों के एडमिशन से लेकर सारी व्यवस्थाएं रुकी हुई है. अब तो दुकानदार राशन भी देना बंद कर दिया है समझ में नहीं आ रहा हम लोग घर कैसे चलाएं.

26 जुलाई से आंगनबाड़ी केंद्र में पोषाहार बंद करेंगी

जब तक पोषाहार व मानदेय राशि भुगतान नहीं होगा तब तक हम केंद्रों का संचालन करेंगे परंतु 26 जुलाई से पोषाहार बंद रखेंगे. आंगनबाड़ी सेविकाओं को बीएलओ व सीबी का कार्य भी करा जाता है. लेकिन प्रोत्साहन राशि आज तक नहीं मिली है.

छह माह से मानदेय के लिए लगा रहे हैं चक्कर

नो हजार पांच सौ मासिक मानदेय पर काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को छः माह से मानदेय नहीं मिला है. इसी तरह सहायिकाएं भी 4750 मासिक मानदेय के लिए छः माह से रुके मानदेय के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रही हैं. बच्चों की फीस तथा रसोई के खर्च के लिए इन आंगनबाड़ियों को उधारी का सहारा लेना पड़ रहा है.

क्यों रुका हुआ है कहना मुश्किल

बहरागोड़ा के प्रभारी सीडीपीओ समेत बीडीओ राजेश साहू का कहना है कि मानदेय और पोषाहार के मामले में हम लोग जिला को कई बार सूचित कर चुके हैं. लेकिन इनका मानदेय जिला से ही आएगा. क्यों रुका हुआ है कहना मुश्किल है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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