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Article 370 Movie Review: रियलिटी-फिक्शन के बीच चलती संवेदनशील कहानी को यामी गौतम का शानदार परफॉरमेंस बनाता है खास

Article 370 Movie Review: कहानी 2016 में बुरहान वानी के एनकाउंटर से शुरू होती है, जिससे कश्मीर में और अधिक अशांति फैल गयी. जिसके बाद उस एनकाउंटर को अंजाम देने वाली ऑफिसर जूनी हक्सर का तबादला कश्मीर से दिल्ली कर दिया जाता है.

फिल्म- आर्टिकल 370
निर्माता – बी 62
निर्देशक- आदित्य सुहास जंभाले
कलाकार- यामी गौतम, प्रियामणि, अरुण गोविल ,वैभव तत्ववादी,किरण करमाकर और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- ढाई

Article 370 Movie Review:

सियासत और समाज एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और फिल्में समाज का आईना होती हैं. इसके साथ ही फिल्मों के जरिये राजनीतिक हितों को साधने का काम भी हमेशा से होता आया है. बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिमामंडन के आरोप प्रत्यारोप से निर्माता आदित्य धर और अभिनेत्री यामी गौतम की आज रिलीज हुई फिल्म आर्टिकल 370 भी बच नहीं पायी है, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह फिल्म जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के प्रभाव को खत्म करने की ऐतिहासिक फैसले की कहानी को रूपहले पर्दे पर सामने लेकर आयी है. यह एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म है इसलिए दर्शक एक विशेष जुड़ाव शुरुआत से ही फिल्म से महसूस करते हैं. हालांकि फिल्म का पहला भाग काफी स्लो रह गया है और फिल्म कुछ और खामियों से भी बच नहीं पायी है ,लेकिन कलाकारों के जानदार परफॉरमेंस और असल तथ्यों वाली इस कहानी को कहने का थ्रिलर अन्दाज कहानी को एंगेजिंग बना गया है.

आर्टिकल 370 के रद्द करने के ऐतिहासिक घटना की है कहानी

फिल्म की घोषणा के साथ ही यह बात साफ हो गयी थी की यह फिल्म आर्टिकल 370 के रद्द होने की कहानी को सामने लेकर आएगी. यह फिल्म उसी ऐतिहासिक फ़ैसले की प्लानिंग और प्लॉटिंग की कहानी को सामने लेकर आया है. फिल्म की कहानी को छह चैप्टर्स में कहा गया है. कहानी 2016 में बुरहान वानी के एनकाउंटर से शुरू होती है, जिससे कश्मीर में और अधिक अशांति फैल गयी. जिसके बाद उस एनकाउंटर को अंजाम देने वाली ऑफिसर जूनी हक्सर का तबादला कश्मीर से दिल्ली कर दिया जाता है. जूनी नौकरी छोड़ने का फ़ैसला करती है और इसी बीच दिल्ली में पीएमओ सचिव राजेश्वरी (प्रियामणि) उससे मुलाक़ात करती है और उसे एनआईए का प्रमुख बनाकर घाटी में अमन और शांति लाने के भेज देती है. इसके पीछे का मकसद बड़ा है. सबकुछ संभल ही रहा होता है कि पुलवामा अटैक की दिल दहला देने वाली घटना सामने आती है और अनुच्छेद 370 को हटाए जाने कोई बात सीधे तौर पर सामने आ जाती हैं , जो कश्मीर को एक विशेष प्रावधान और एक विशिष्ट दर्जा देता है. अनुच्छेद के तहत, राज्य अपना संविधान, ध्वज और स्वायत्तता बना सकता है. जिससे आतंकी ख़ुद को को बचा रहे हैं. जिसके बाद कहानी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बारे में है. संवैधानिक तरीक़े से यह सब कैसे होता है. यही आगे की फिल्म कहती है.

फिल्म की खूबियां और खामियां

आदित्य धर ने निर्देशक के तौर पर उरी की कहानी को सामने लेकर आये थे. निर्माता के तौर पर उन्होंने एक बार फिर असल घटना को चुना है.छह चैप्टर्स में आर्टिकल 370 के रद्द होने के घटनाक्रम को दिखाया गया है. ढाई घंटे से अधिक रनटाइम वाली इस फिल्म का नरेटिव थोड़ा स्लो रह गया है. ख़ासकर फिल्म का फर्स्ट हाफ स्लो रह गया है. फर्स्ट हाफ को ज़बरदस्ती खींचा गया है और वह कुछ भी ऐसा नया पहलू सामने नहीं ला पायी है ,जो इंटरनेट पर मौजूद ना हो या कश्मीर पर आधारित अब तक की फिल्मों में ना दिखाया गया हो. दूसरा भाग ध्यान आकर्षित करने में कामयाब होता है. राजेश्वरी और उनकी टीम आर्टिकल 370 में खामियां ढूंढने का फैसला करती है, जिससे कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया जा सके. वह पहलू बेहद रोचक है ,लेकिन मन में यह सवाल भी आता है कि यह सिनेमैटिक लिबर्टी है या हक़ीकत जिसे पर्दे पर इस अंदाज से दिखाया जा रहा है.

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जानें फिल्म के बारे में

दूसरी ओर ज़ूनी और उनकी एनआईए टीम पर कश्मीर में शांति को बरकरार रखने की ज़िम्मेदारी मिलती है, आर्टिकल 370 रद्द होने के दौरान किसी निर्दोष कश्मीरी का खून ना बहे. क्या सब कैसे संभव होगा. यह सब सेकेंड हाफ को रोचक बना गया है. आनेवाले इलेक्शन के मद्देनज़र पोलिटिकल व्यूज वाली फिल्में इनदिनों हिन्दी सिनेमा की पसंद है ,लेकिन उनसे जुड़ा डिस्क्लेमर भी हमेशा ध्यान आकर्षित कर जाता है. इस फ़िल्म की भी शुरुआत डिस्क्लेमर के साथ होती है,लेकिन यह डिस्क्लेमर ज़्यादा देर तक स्क्रीन पर ठहर गया है ,जैसे हर दर्शक को यह बताना चाहता हो कि इस कहानी में बहुत कुछ फिक्शनल है. यह पहलू अखरता है. इसके साथ ही इस फ़िल्म के मेकर्स भले ही इस फ़िल्म को प्रॉपेगेंडा फिल्म कहने से इंकार कर रहे हैं ,लेकिन फ़िल्म का नैरेटिव इस बात से इंकार नहीं कर पाया है. अजय देवगन की आवाज ने सूत्रधार की भूमिका में सीधे तौर पर शुरुआत में कश्मीर के हालात का ज़िम्मेदार पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बता दिया है.

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक

सिर्फ यही नहीं फ़िल्म के आखिर में किसी आम कश्मीरी को दिखाने के बजाय प्राइम मिनिस्टर को दिखाया जाता है कि वह आर्टिकल 370 को रद्द करना उनका दशकों पुराना सपना है. फिल्म में आम कश्मीरी के नजरिये को भी जोड़ने की ज़रूरत थी ,आर्टिकल 370 को रद्द करने पर उनकी क्या सोच थी ,जूनी के नज़रिये से उसे दिखाना जायज़ नहीं लगता है. आखिरकार वह भारतीय इंटेलिजेंस ब्यूरो से जुड़ी हुई है. फिल्म के संवाद अच्छे बन पड़े हैं ,लेकिन कुछ सुने सुनाये हुए हैं. इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक प्रभावी है ।फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफ़ी कहानी के अनुरूप है. फिल्म के मेकर्स की इस बात की भी तारीफ बनती है कि उन्होंने महिला पात्रों के जरिये इस अहम कहानी को कहा है. नवोदित निर्देशक आदित्य की मानें तो यह असल ज़िंदगी से प्रेरित किरदार हैं इसलिए उन्होंने उसे वैसा ही रखा.

प्रियामणि और यामी गौतम की शानदार परफॉरमेंस

अभिनेत्री यामी गौतम एनआईए ऑफिसर की भूमिका में हैं. उन्होंने अपने किरदार को पूरे जोश,जुनून और ग़ुस्से के साथ जिया है. वे कश्मीर के हालात,पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेट्स पर एक आम कश्मीरी के दर्द को भी अपने किरदार के ज़रिये सामने लेकर आती हैं. फिल्म का दूसरा सबसे अहम चेहरा प्रियामणि हैं, उन्होंने शांति और संयमितता से अपने किरदार को जिया है और वह अपनी मौजूदगी और परफॉरमेंस से काफ़ी प्रभावित करती हैं. छोटी सी भूमिका के बावजूद किरण करमरकर असर छोड़ते हैं. पार्लियामेंट में स्पीच वाले सीन को जिस तरह से रिक्रिएट किया गया है. वह काफ़ी असरदार है. अरुण गोविल भी का अभिनय भी प्राइम मिनिस्टर की भूमिका में काफी सधा हुआ है. वैभव तत्ववादी,राज जुत्शी,दिव्या सेठ, सहित बाक़ी के कलाकारों ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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