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मानसून के बाद ओडिशा में चक्रवात की आशंका, मुख्य सचिव ने हाई लेवल मीटिंग में दिए ये निर्देश

अधिकारियों को अभी से अलर्ट मोड में रहने के लिए कहें. जिलाधिकारियों को भी कहा गया है कि अपने जिले के अधिकारियों को सहयोग एवं समन्वय के साथ काम करने के लिए अभी से प्रेरित करें. अफसरों से कहा गया है कि 10 अक्टूबर तक वे चक्रवाती तूफान से निबटने की सभी तैयारी कर लें.

मानसून का सीजन देश के किसानों के लिए राहत लेकर आता है. लेकिन, जब यह जाता है, तो ओडिशा सरकार की टेंशन बढ़ जाती है. वहां के लोगों की चिंता बढ़ जाती है. खासकर तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की. यही वजह है कि ओडिशा के सीनियर ऑफिसर्स की मीटिंग्स का दौर शुरू हो गया है. जिलाधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए जा रहे हैं. उन्हें 29 अक्टूबर 1999 और उसके बाद आए बड़े चक्रवातों की याद दिलाई जा रही है. बताया जा रहा है कि अक्टूबर और नवंबर का महीना ओडिशा के लिए कितना संवेदनशील होता है. इन दो महीनों को ओडिशा में ‘चक्रवात काल’ के रूप में जाना जाता है. खासकर मानसून की वापसी के बाद के 45 दिनों को. यही वजह है कि मुख्य सचिव ने अलग-अलग विभागों के अधिकारियों के साथ बैठकर कर उनसे कहा है कि चक्रवात और उसके बाद की स्थितियों पर नियंत्रण के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को अभी से अलर्ट मोड में रहने के लिए कहें. जिलाधिकारियों को भी कहा गया है कि अपने जिले के अधिकारियों को सहयोग एवं समन्वय के साथ काम करने के लिए अभी से प्रेरित करें. अफसरों से कहा गया है कि 10 अक्टूबर तक वे चक्रवाती तूफान से निबटने की सभी तैयारी कर लें. सभी व्यवस्था भी सुनिश्चित कर लें.

ओडिशा के सीएस ने की हाई लेवल मीटिंग

ओडिशा के मुख्य सचिव पीके जेना ने हाई लेवल मीटिंग ली और अधिकारियों से कहा कि सभी विभागों के साथ समन्वय बनाने का काम अभी से शुरू कर दें. उन्होंने अफसरों से कहा है कि ऐसी स्थिति से निबटने के लिए पहले से एक एसओपी आपके पास मौजूद है. उस पर अभी से काम करना शुरू कर दें. आपात स्थिति से निबटने के लिए विभागों के अधिकारियों से कहें कि वे मिलकर काम करें. मुख्य सचिव को भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख एचआर बिस्वास ने बताया कि 10 अक्टूबर तक मानसून की वापसी हो जाएगी, ऐसे संकेत मिल रहे हैं. इसके बाद के 45 दिनों तक पूरी तरह अलर्ट रहने की जरूरत है.

अक्टूबर-नवंबर में समुद्र में उठते हैं बड़े चक्रवात

एचके बिस्वास ने ओडिशा सरकार को बताया है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के लौटने के बाद ओडिशा में चक्रवात काल शुरू हो जाता है. इस दौरान ही समुद्र में बड़े चक्रवात उठते हैं. ओडिशा अब तक कई बार चक्रवात झेल चुका है. हजारों लोगों की जानें जा चुकीं हैं. अरबों रुपए की आधारभूत संरचनाओं का नुकसान हो चुका है. यहां तक कि वनों और पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो चुका है. इसलिए अभी से सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है. वर्ष 1999 में आए महा चक्रवात को अभी भी ओडिशा नहीं भूला है. 29 अक्टूबर 1999 को आए इस महा चक्रवात ने भारी तबाही मचाई थी. 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.

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1999 के महा चक्रवात में हुई थी 10 हजार से अधिक मौतें

इसके बाद भी कई चक्रवात आए, जिसने ओडिशा के इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण को तहस-नहस कर दिया. 1999 के महा चक्रवात के बाद अक्टूबर 2013 में ‘फैलिन’ चक्रवात आया था. इसका सबसे ज्यादा असर गंजाम, पुरी और खुर्दा जिले में हुआ था. हजारों गांव प्रभावित हुए थे. पिछले दिनों ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में जो बैठक हुई, उसमें विकास आयुक्त, विशेष राहत आयुक्त, भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख एचके बिस्वास, 12 विभागों के प्रमुख, विशेष राहत आयुक्त, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के प्रमुख, ओडिशा राज्य आपदा मोचन बल (ओएसडीआरएफ) के प्रमुख और अग्निशमन सेवा विभाग के महानिदेशक शामिल हुए. मुख्य सचिव ने राज्य में पहले आए चक्रवातों के मद्देनजर संवेदनशील क्षेत्रों के जिलाधिकारियों से कहा कि विभागों के बीच सहयोग और समन्वय पर अभी से जोर दें, ताकि जब आपदा आए, तो उससे निबटने में आसानी हो. उसके असर को न्यूनतम किया जा सके.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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