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पूर्वी सिंहभूम के चाकुलिया और बहरागोड़ा में सात साल से अधूरा पड़ा मॉडल स्कूल का निर्माण

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सरकारी मॉडल स्कूल भवन निर्माण चाकुलिया और बहरागोड़ा में दम तोड़ रही है. 3-3 करोड़ की लागत से मॉडल स्कूल भवन का निर्माण कार्य वर्ष 2015-16 में शुरू हुआ. 7 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है.

राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना सरकारी मॉडल स्कूल भवन निर्माण पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया और बहरागोड़ा में दम तोड़ रही है. 3-3 करोड़ की लागत से मॉडल स्कूल भवन का निर्माण कार्य वर्ष 2015-16 में शुरू हुआ. 7 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक भवन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका. बच्चों के बैठ कर पढ़ाई करने से पहले ही भवन जर्जर होने लगा है.

दीवारों में आने लगी दरार

जानकारी के मुताबिक निर्माणाधीन भवन झाड़ियों से घिर चुका है. भवन की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं. कुल मिलाकर चाकुलिया और बहारागोडा में नवनिर्मित मॉडल स्कूल भवन सरकारी पैसों के दुरुपयोग का का बेहतर नमूना पेश कर रही है. विभाग द्वारा समय रहते यदि ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो करोड़ों की लागत से बनी यह भवन खंडहर में तब्दील हो जायेगा.

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चाकुलिया: तीन कमरों में चल रही है 5 कक्षाएं

एक तरफ करोड़ों की राशि खर्च करने के बावजूद विद्यालय भवन अधूरा खड़ा है. दूसरी ओर जिन भवनों में मॉडल स्कूल संचालित हो रहे हैं, वहां बच्चों के बैठने की व्यवस्था भी नहीं है. चाकुलिया स्थित केएनजे हाई स्कूल परिसर में वर्तमान में मॉडल स्कूल संचालित हो रही है. जिनमें महज 3 कमरे हैं और कक्षा 6 से दसवीं तक के पांच कक्षाओं की पढ़ाई कराई जा रही है.

बहरागोड़ा: एक कमरे में होती है 3-3 कक्षाएं

बहरागोड़ा प्रखंड मुख्यालय हिंदी मध्य विद्यालय में कक्षा 6 से लेकर 12 तक के बच्चे यहां पढ़ते हैं. यहां पर कुल 140 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. कमरे के अभाव में एक कक्षा में 3-3 कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाना हो रहा है.

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कैंपस परिसर में माफियाओं की नजर

बहरागोड़ा निर्माणाधीन स्कूल परिसर मे अब खनन माफियाओं की नजर पड़ गई है. यहां पर लोगों के यातायात कम होने के कारण स्कूल परिसर से मिट्टी मुरूम की जमकर खनन किया जा रहा है. स्कूल परिसर के मुख्य द्वार से करीब 20 फुट की दूरी में मुरम की खुदाई जोर-शोर चल रही है. जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. विभाग से लेकर प्रशासन भी इस दिशा में पूरी तरह से मौन है.

सुविधा के नाम पर वर्तमान सरकारी स्कूलों से भी फिसड्डी साबित मॉडल स्कूल

सरकारी मॉडल स्कूल राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना माना जाता है. इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों से बच्चों का चयन कर मॉडल स्कूलों में नामांकन कराया जाता है. जहां बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाती है. वर्ष 2012 में मॉडल स्कूल का संचालन शुरू हुआ. संसाधनों को विकसित करने का काम भी शुरू हुआ. परंतु तब से लेकर आज तक पुरानी व्यवस्था में ही स्कूल का संचालन हो रहा है. नाम को तो बच्चों की पढ़ाई अंग्रेजी में कराई जा रही है, परंतु सुविधा के नाम पर वर्तमान सरकारी स्कूलों से भी फिसड्डी साबित हो रही है मॉडल स्कूल. इसके बावजूद शिक्षकों की कर्तव्यनिष्ठा के कारण पिछले कई वर्षों से चाकुलिया और बहरागोड़ा सरकारी मॉडल स्कूल में मैट्रिक की शत प्रतिशत रिजल्ट हो रही है.

एक नजर में मॉडल स्कूल निर्माण

  • वर्ष 2012 से शुरुआत

  • वर्ष 2015 से भवन निर्माण शुरू, आज भी अधूरी

  • 3-3 करोड़ की लागत से चाकुलिया और बहरागोड़ा में बन रही है मॉडल स्कूल भवन

  • चाकुलिया मॉडल स्कूल में कक्षा 6 से दसवीं तक होती है पढ़ाई, बच्चों की कुल संख्या 60

  • बहारागोड़ा मॉडल स्कूल में कक्षा 6 से बारहवीं तक होती है पढ़ाई, बच्चों की कुल संख्या है 140

  • चाकुलिया सरकारी मॉडल स्कूल में शिक्षकों की संख्या 5

  • बहरागोड़ा सरकारी मॉडल स्कूल में शिक्षकों की संख्या 5

  • चाकुलिया केएनजे हाई स्कूल परिसर स्थित भवन में हो रही है मॉडल स्कूल की पढ़ाई

  • बहरागोड़ा प्रखंड मुख्यालय हिंदी मध्य विद्यालय में हो रही है मॉडल स्कूल की पढ़ाई

क्या कहते हैं चाकुलिया मॉडल स्कूल में प्राचार्य

कमरों के अभाव में पढ़ाई में काफी दिक्कतें आ रही है. नई भवन का निर्माण पूर्ण कर लिया जाए तो संसाधन का अभाव नहीं होगा. बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए नए भवन का निर्माण पूर्ण कराना अत्यंत आवश्यक है.

कनक कुमार, प्रधानाचार्य, मॉडल स्कूल चाकुलिया

क्या कहते हैं बहरागोड़ा मॉडल स्कूल के प्राचार्य

3 कमरों में कक्षा 6 से बारहवीं तक के 7 कक्षाओं को पढ़ा पाना काफी मुश्किल हो रहा है. नया भवन बन जाता तो उन्हें बच्चों को पढ़ाने में काफी सुविधा होती. उन्होंने कहा कि कम शिक्षकों में पढ़ाई संभव है, परंतु कम कमरे में पढ़ाई संभव नहीं हो पा रही है.

जालंधर पात्र, प्रधानाचार्य, बहरागोड़ा मॉडल स्कूल

रिपोर्ट : राकेश सिंह/प्रकाश मित्रा

Rahul Kumar
Rahul Kumar
Senior Journalist having more than 11 years of experience in print and digital journalism.

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