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Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 मिशन में शामिल वैज्ञानिकों की शैक्षणिक योग्यता क्या है, जानें?

अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री पूरी की. आइए जानते हैं इसरो के अन्य वैज्ञानिकों की शैक्षणिक योग्यता के बारे में...

Chandrayaan-3: इसरो का चंद्रयान-3, 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. 14 जुलाई को 41 दिन की चंद्र यात्रा पर रवाना हुए चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ और इस प्रौद्योगिकी में भारत के महारत हासिल करने से पूरे देश में जश्न का माहौल है. आज हम आपको इस सफल मिशन के पीछे की टीम से मिलवाएंगे और उनकी शैक्षणिक योग्यताएं जानेंगे.

एस सोमनाथ

अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री पूरी की. उन्होंने स्वर्ण पदक के साथ संरचना, गतिशीलता और नियंत्रण में विशेषज्ञता हासिल की.

एम शंकरन

एम शंकरन, जो यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के निदेशक हैं, ने 1986 में भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली से भौतिकी में मास्टर डिग्री प्राप्त की है. इसके बाद, वह इसरो सैटेलाइट सेंटर (ISAC) में शामिल हो गए, जिसे अब यूआरएससी के नाम से जाना जाता है.

डॉ वी नारायणन

डॉ वी नारायणन लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के निदेशक हैं. वह एक रॉकेट प्रणोदन विशेषज्ञ हैं जो 1984 में इसरो में शामिल हुए थे. डॉ वी नारायणन आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने 1989 में प्रथम रैंक के साथ क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एमटेक किया है. उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी भी की है और रजत पदक प्राप्तकर्ता हैं. आईआईटी खड़गपुर से एमटेक में प्रथम रैंक और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से स्वर्ण पदक. उन्हें सत्यबामा विश्वविद्यालय, चेन्नई से डॉक्टर ऑफ साइंस (मानद कारण) की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया है.

डॉ एस उन्नीकृष्णन नायर

डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) और भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) तिरुवनंतपुरम में निदेशक हैं. डॉ. एस उन्नीकृष्णन नायर ने केरल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक, आईआईएससी बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमई और आईआईटी मद्रास से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है. उन्होंने NALSAR से दूरसंचार और अंतरिक्ष कानून में एमए भी किया है.

पी वीरमुथुवेल

पी वीरमुथुवेल चंद्रयान 3 के परियोजना निदेशक हैं. पी वीरमुथुवेल ने विल्लुपुरम के रेलवे स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की और एक निजी पॉलिटेक्निक कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा किया. पी वीरमुथुवेल ने चेन्नई के एक निजी कॉलेज से स्नातक और एक अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने आईआईटी मद्रास से पीएचडी की है.

कल्पना कालाहस्ती

कल्पना कालाहस्ती, जो चंद्रयान -3 मिशन के लिए उप परियोजना निदेशक थीं, का जन्म बेंगलुरु, कर्नाटक में हुआ था और उन्होंने आईआईटी-खड़गपुर से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बी.टेक. की पढ़ाई की.

Chandrayaan-3 Latest Update: से जुड़ी लेटेस्ट अपडेट

2 सितंबर को 11:50 बजे लॉन्च किया जाएगा आदित्य-L1 मिशन

PSLV-C57/आदित्य-L1 मिशन को लेकर ISRO ने जानकारी दी कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला, आदित्य-L1 का लॉन्च श्रीहरिकोटा से 2 सितंबर को 11:50 बजे निर्धारित है.

तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ रविवार को जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया. इसरो के अनुसार, ‘चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा. ग्राफिक चित्रण के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने कहा, हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है. यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है.

विस्तृत अवलोकन जारी

इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है. इसरो ने एक बयान में कहा, इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं. प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं. विस्तृत अवलोकन जारी है.

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Bimla Kumari
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I Bimla Kumari have been associated with journalism for the last 7 years. During this period, I have worked in digital media at Kashish News Ranchi, News 11 Bharat Ranchi and ETV Hyderabad. Currently, I work on education, lifestyle and religious news in digital media in Prabhat Khabar. Apart from this, I also do reporting with voice over and anchoring.

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