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FASTag Annual Pass: गाड़ी मालिकों को फायदा तो टोल ऑपरेटरों को नुकसान, क्रिसिल ने किया आगाह

FASTag Annual Pass: फास्टैग वार्षिक पास योजना 15 अगस्त 2025 से निजी वाहनों के लिए लागू होगी, जिससे यात्रियों को 80% तक की टोल बचत होगी. हालांकि इससे टोल ऑपरेटरों के राजस्व में 4-8% की कमी हो सकती है. क्रिसिल का कहना है कि समय पर मुआवजा तंत्र लागू करना जरूरी होगा, ताकि राजस्व घाटे की भरपाई हो सके. एनएचएआई का मजबूत भुगतान रिकॉर्ड और पर्याप्त नकदी प्रवाह के चलते फिलहाल टोल ऑपरेटरों की क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर बनी हुई है.

FASTag Annual Pass: भारत सरकार ने 15 अगस्त 2025 से निजी वाहनों (कार, वैन, जीप) के लिए फास्टैग वार्षिक पास की घोषणा की है1 यह पास 3,000 रुपये की कीमत पर उपलब्ध होगा और 200 ट्रिप या एक साल (जो भी पहले हो) तक मान्य होगा. यह योजना राष्ट्रीय राजमार्गों और राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे पर लागू होगी और इससे नियमित यात्रा करने वाले यात्रियों को भारी बचत होगी. लेकिन, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रेटिंग्स ने आगाह किया जा रहा है कि सरकार के इस कदम से प्राइवेट टोल ऑपरेटरों की कमाई में गिरावट आ सकती है.

यात्रियों को बंपर बचत का लाभ

वर्तमान में, एक निजी वाहन औसतन 70-80 रुपये प्रति ट्रिप टोल शुल्क देता है. अगर वार्षिक पास का पूरा उपयोग किया जाए, तो प्रति ट्रिप लगभग 55-65 रुपये की 80% तक की बचत संभव है. यह उन यात्रियों के लिए बेहद लाभकारी होगा जो अक्सर टोल सड़कों से गुजरते हैं.

टोल ऑपरेटरों को होगा राजस्व नुकसान

हालांकि, यह नई योजना निजी टोल ऑपरेटरों के राजस्व पर 4-8% तक असर डाल सकती है. क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, वर्तमान में कुल टोल ट्रैफिक का 35-40% निजी वाहनों का होता है, जो राजस्व के लिहाज से 25-30% योगदान देता है. यदि इनका एक-तिहाई हिस्सा वार्षिक पास खरीदता है, तो टोल कलेक्शन में जोरदार गिरावट हो सकती है.

समय पर मुआवजा तंत्र आवश्यक

क्रिसिल का मानना है कि इस संभावित राजस्व हानि की भरपाई के लिए समय पर और स्पष्ट मुआवजा ढांचे को अंतिम रूप देना आवश्यक होगा. यदि इसमें देरी होती है, तो इससे टोल ऑपरेटरों की नकदी प्रवाह और कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. हालांकि, वर्तमान में क्रेडिट जोखिम प्रोफाइल स्थिर है, क्योंकि अधिकांश टोल प्रोजेक्ट्स के पास पर्याप्त नकदी रिजर्व है.

एनएचएआई की भूमिका और ट्रैक रिकॉर्ड

क्रिसिल रेटिंग्स की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुआवजा भुगतान की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की होगी. एन्युटी मॉडल परियोजनाओं में एनएचएआई का भुगतान ट्रैक रिकॉर्ड अब तक सकारात्मक रहा है, जो प्रतिपक्ष जोखिम को सीमित करता है.

क्या बढ़ती लोकप्रियता बढ़ा सकती है चिंता?

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि वार्षिक पास को अपेक्षा से अधिक अपनाया जाता है, तो इससे अंतरिम राजस्व नुकसान ज्यादा हो सकता है. इसलिए इस पर लगातार निगरानी रखना जरूरी होगा. क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर मुआवजा छह महीने देर से मिलता है, तब भी डीएससीआर (डेब्ट सर्विस कवेरज रेशियो) पर सीमित असर पड़ेगा.

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संतुलित लाभ और जोखिम

फास्टैग वार्षिक पास एक ओर जहां यात्रियों को बड़ा आर्थिक लाभ देगा, वहीं दूसरी ओर यह टोल ऑपरेटरों के लिए आर्थिक और परिचालनिक चुनौती बन सकता है. इस बदलाव की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि मुआवजा प्रक्रिया कितनी शीघ्रता और स्पष्टता से लागू की जाती है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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