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इजरायल और हमास युद्ध के बीच पीड़ित महिलाएं, प्रसव के लिए भटक रहीं, शेल्टर होम में फर्श पर सोने को मजबूर

एक गर्भवती महिला ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनएफपीए को बताया कि मेरा बच्चा हर विस्फोट को महसूस कर रहा था. महिला ने बताया कि वह जिस स्कूल में आश्रय ली हुई है वह वहां जमीन पर सोई थी. उसने बताया एक रात पहले, वह ठंडे फर्श पर सोई थी जो हर बम विस्फोट से हिल जाता था.

israel vs palestine : इजरायल और हमास युद्ध के बीच आज अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का एक बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने यह कहा है कि उन्होंने इजरायल के नेताओं के साथ बातचीत में यह स्पष्ट कहा है कि यदि हमास के साथ युद्ध के दौरान गाजापट्टी के लोगों को मानवीय सहायता की अनुमति नहीं दी जाती तो इजरायली नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा. जो बाइडेन ने यह कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि इजरायल पीड़ित है, बावजूद इसके अगर उसने गाजा के लोगों की पीड़ा को कम नहीं किया तो वह दुनिया भर में अपनी विश्वसनीयता खो देगा. यह एक बयान है, लेकिन सच्चाई यह है कि इस युद्ध से इजरायल तो बुरी तरह प्रभावित हुआ ही है गाजा पट्टी के आम लोगों की भी हालत खराब है.

1,400 से अधिक इजरायली मारे गए

इजराइल ने हमास के हमले के बाद उत्तरी गाजा में रहने वाले 11 लाख फिलिस्तीनियों को दक्षिण की ओर चले जाने का निर्देश दिया था. इसकी वजह यह थी कि वह हमास पर जमीनी कार्रवाई करना चाहता था. इजरायल पर हमास के हमले में 1,400 से अधिक इजरायली मारे गए थे. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया कि गाजा में अभूतपूर्व मानवीय संकट पैदा होने की आशंका है.

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बच्चों का बचपन छीन रहा है मानसिक दबाव हावी

ऐसे में महिलाओं और बच्चों की चिंता वाजिब है. बच्चों का बचपन छीन रहा है और वे मानसिक दबाव में हैं. युद्ध की वजह से उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य सबकुछ बुरी तरह प्रभावित है. वहीं गाजापट्टी की महिलाएं भी गंभीर संकट झेल रही हैं. ReliefWeb में प्रकाशित सूचना के अनुसार गाजापट्टी में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब है. एक गर्भवती महिला ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनएफपीए को बताया कि मेरा बच्चा हर विस्फोट को महसूस कर रहा था. महिला ने बताया कि वह जिस स्कूल में आश्रय ली हुई है वह वहां जमीन पर सोई थी. उसने बताया एक रात पहले, वह ठंडे फर्श पर सोई थी जो हर बम विस्फोट से हिल जाता था.

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प्रसव के लिए जगह नहीं

वहीं एक अन्य महिला ने बताया कि उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी,लेकिन मुझे नहीं पता था कि मैं अपने बच्चे को कहां और कैसे जन्म दूंगी. बम के हमले की वजह से हमने घर खाली कर दिया था. वह किसी तरह एक एम्बुलेंस तक पहुंचने में कामयाब रही, जिसने उसे गाजा की सबसे बड़ी चिकित्सा सुविधा, अल शिफा अस्पताल के प्रसूति वार्ड में पहुंचाया, लेकिन एक बच्ची को जन्म देने के तीन घंटे बाद ही उसे छुट्टी दे दी गई, क्योंकि अस्पताल में जगह नहीं है.

चौथी दुनिया है गाजा पट्टी

पिछले साल ReliefWeb ने ही एक सूचना प्रकाशित की थी जिसमें इस बात का जिक्र था कि अगर आप गाजा जाते हैं तो यह चौथी दुनिया के देश में प्रवेश करने जैसा होता है. यहां कुछ भी सामान्य नहीं है. हर आम आदमी परेशान है, महिलाएं अपने परिवार की चिंता करती हैं. यहां की महिलाओं में शिक्षा का अभाव है. वे बहुत गरीब है, महिलाओं की बहुत कम आबादी काम करती है. यहां की महिलाएं कहती हैं जीवन बहुत कठिन है. वर्षों की हिंसा, नाकाबंदी और लॉकडाउन झेल रहा यह क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार हर क्षेत्र में पिछड़ा है और महिलाएं खराब स्थिति में हैं. उनके अधिकारों की किसी को परवाह नहीं.

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युवा महिलाओं को नहीं मिल रहे अधिकार

अलजजीरा के वेबसाइट पर 2011 में एक महिला पत्रकार जो फिलिस्तीनी हैं और लंदन में रहती हैं ने लिखा था कि एक युवा फिलिस्तीन के तौर पर मैं बताना चाहती हूं कि हम कितना भी पढ़-लिख लें नौकरी की गुंजाइश गाजा में नहीं है. हमारे अधिकारों पर बात करने वाला कोई नहीं है, जो हमें अधिकार देने की बात करते हैं वे भी उनके समर्थन में खड़े हो जाते हैं, जो हमारे अधिकारों के हनन की वजह हैं.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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