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रामगढ़ के डटमा मोड़ में सीसीएल की अधिग्रहित जमीन पर लोगों ने किया कब्जा, चहारदीवारी खड़ी कर बनायी दुकानें

रामगढ़ जिले के डटमा मोड़ कुजू में सीसीएल की अधिग्रहित 1.41 एकड़ जमीन पर कई लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया है. कब्जा जमाने वालों में कई रसूखदार लोग व विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता शामिल हैं. कब्जा करने वाले लोगों ने सामने दुकानें खड़ी कर दी.

Ramgarh News: रामगढ़ जिले के डटमा मोड़ कुजू में सीसीएल की अधिग्रहित 1.41 एकड़ जमीन पर कई लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया है. कब्जा जमाने वालों में कई रसूखदार लोग व विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता शामिल हैं. कब्जा करने वाले लोगों ने सामने दुकानें खड़ी कर दी. वहीं पीछे चहारदीवारी बना कर पूरी जमीन कब्जे में ले ली है. सीसीएल के सीएमडी तक को भी इसकी जानकारी है. कुजू क्षेत्रीय सीसीएल प्रबंधन ने इसकी सूचना अनुमंडल पदाधिकारी व कुजू ओपी प्रभारी को भी दिया है.

अनुमंडल पदाधिकारी ने लगायी है धारा 144

अनुमंडल पदाधिकारी ने लगभग एक माह पूर्व इस जमीन पर धारा 144 लगा दी तथा इसकी अंतिम सुनवाई भी होने वाली है. सीसीएल प्रबंधन का यह भी कहना है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने सीसीएल के पक्ष में अपना फैसला इस जमीन को लेकर सुनाया है. जानकारी के अनुसार कुजू क्षेत्र में 60 के दशक में मणिचंद चटर्जी की खदाने चलती थीं. 1973 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीय करण के बाद कुजू प्रक्षेत्र के जीएम कार्यालय डटमा मोड़ कुजू में था. जीएम कार्यालय का पुरान भवन अभी भी मौजूद है. 80 के दशक में नये जीएम कार्यालय का निर्माण हुआ तथा वहा कार्यालय स्थानांतरित कर दिया गया. जहां पुराना जीएम कार्यालय व पुराना क्षेत्रीय वित्त कार्यालय अभी मौजूद है. वहां सीसीएल की 1.41 एकड़ जमीन मौजूद है. इसका खाता नंबर 110 प्लॉट नंबर 1699 है. पुराने जीएम कार्यालय में सीसीएल कोलये की गुणवत्ता की जांच का लैैब है. सुरक्षा कर्मी भी मौजूद रहते हैं. इसके बावजूद जमीन लूट का खेल जारी है.

धारा 144 के बावजूद जमीन पर काम जारी है

अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा जमीन पर धारा 144 लागाने के बावजूद जमीन घेरने के लिए चहारदीवारी व अन्य कार्य जारी है. चर्चा है कि कुछ लोगों ने इस जमीन के कागजात भी बना लिये हैं. लेकिन अधिग्रहित जमीन का कागजात कैसे बना यह जांच का विषय है.

जीएम ने कहा – जमीन सीसीएल की

कुजू जीएम एमके मिश्रा का कहना है कि राष्ट्रीयकरण के दौरान ही 1.41 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी. अधिग्रहण की सूचना भारत सरकार के गजट में भी प्रकाशित हुई थी. श्री मिश्रा का कहना है कि चटर्जी परिवार ने इस जमीन को अपनी बताते हुये 1982 में हजारीबाग लोअर कोर्ट में मुकदमा दायर किया था. 1992 में कोर्ट ने अपना दिया कि यह जमीन भारत सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई है. कोई भी निर्णय लेने से पहले भारत सरकार से इस बाबत पूछा जाना आवश्यक है. इस फैसले के बाद चटर्जी परिवार ने अपील किया तथा फैसला 2004 में आया. फैसला में चटर्जी परिवार की बातों को सुन कर फैसला देने की बात कही गई. इसके बाद सीसीएल इस निर्णय खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील किया. जिसका फैसला 2019 में सीसीएल के पक्ष में आया.

रिपोर्ट : नीरज अमिताभ / अजय कुमार

Rahul Kumar
Rahul Kumar
Senior Journalist having more than 11 years of experience in print and digital journalism.

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