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झारखंड के इस मंदिर में फल-फूल और मिठाई की जगह चढ़ाये जाते हैं पत्थर, खास है इसकी वजह

क्या आपने कभी ऐसे मंदिर के बारें में सुना है,जहां लोग प्रसाद के रूप में फल-फूल मिठाइ नहीं बल्कि पत्थर चढ़ाते हैं. ऐसा आपने कहीं नहीं सुना होगा. लेकिन यह सच है कि मंदिर में मिठाई की जगह पत्थर के प्रसाद चढ़ाये जाते हैं. यह मंदिर झारखंड के हजारीबाग में स्थित है. हर साल मकर संक्रांति पर मेला भी लगता है.

झारखंड में एक से बढ़कर एक ऐसे भव्य और अनोखे मंदिर और मान्यताएं देखने को मिलती है. हजारीबाग के बड़कागांव में स्थित पंच वाहिनी मंदिर इनही में से एक है. इस मंदिर में भक्त मन्नत पूरी करने के लिए मां को पत्थर चढ़ाते हैं. इस मंदिर में पांच माताओं की पूजा होती है. इसी कारण यहां पांच पत्थर चढ़ाने की परंपरा है. भक्त यहां देवी पर पत्थर चढ़ाते हैं और मन्नत मांगते हैं. मकर संक्रांति पर यहां विशेष पूजा होती है. दुनिया के हर मंदिरों में मिठाइयों से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं, लेकिन झारखंड के इस मंदिर में पत्थरों का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

दूर-दूर से लोग आते हैं स्नान करने

बता दें कि पंच वाहिनी मंदिर के नीचे गुफानुमा जलकुंड है, जहां दूर-दूर से लोग स्नान कर पूजा अर्चना-करते हैं. इसी स्थल के पत्थरों को मंदिर में चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है. पंच वाहिनी मंदिर में पत्थर चढ़ाकर पूजा होती है, मनोकामना पूरी होने के बाद पत्थर उताराने की भी मान्यता है. यहां 5 पत्थर चढ़ाने का विशेष महत्व है.

क्या है पंच वाहिनी मंदिर का इतिहास

ग्रामीणों का कहना है कि पंच वाहिनी मंदिर का पुराना इतिहास रहा है. कर्णपुरा राज के राजा दलेल सिंह की लिखित पुस्तक शिव सागर के अनुसार 1685 ईसवी में रामगढ़ राज्य की राजधानी बादम बनी. उसी दौरान रामगढ़ रांची के छठे राजा हेमंत सिंह ने अपने किले की स्थापना बादम के बादमाही नदी के तट पर किया. हेमंत सिंह के बाद राजा दलेल सिंह ने इस किले को बचाने के लिए हराहरो नदी की धारा को बदलने के लिए चट्टान को काटा दिया. इसके बाद नदी ने अपना रास्ता बदल लिया. कहा जाता है कि अगर नदी का रास्ता नहीं बदला जाता तो किले पर भी आफत पड़ सकता था. किले को बचाने के लिए राजा हेमंत सिंह 5 देवियों की पूजा अर्चना करते थे. आज भी इन्हीं देवियों की पूजा होती है.

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मंदिर में पत्थर चढ़ाने से होती है मुरादें पूरी

पंच वाहिनी मंदिर के पुजारी कहते हैं कि पत्थर चढ़ाकर मन्नत मांगने से मां हर कष्ट हर लेती हैं और भक्तों की सारी मुरादें पूरी कर देती हैं. यह अस्था ही है जिससे भक्त माता के मंदिर तक खींचे चले आते हैं. यहां हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर मेला भी लगता है. यह मेला 4 दिनों तक चलता है. यह मेला बड़कागांव, केरेडारी, टंडवा उरीमारी, रामगढ़ व हजारीबाग क्षेत्र में प्रसिद्ध है.

Nutan kumari
Nutan kumari
Digital and Broadcast Journalist. Having more than 4 years of experience in the field of media industry. Specialist in Hindi Content Writing & Editing.

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