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PHOTO: विश्व पर्यावरण दिवस पर आपका मन मोह लेंगी धनबाद के टुंडी जंगल की ये तस्वीरें, पढ़ें डिटेल रिपोर्ट

2017 में हुए सर्वे के अनुसार उस समय धनबाद का कुल वन क्षेत्र 204 वर्ग किलोमीटर था. पांच सालों में यह बढ़ कर 218.18 वर्ग किलोमीटर पहुंच गया है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया इस साल फिर से धनबाद के वन क्षेत्र का सर्वे करायेगी.

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कुछ वर्षों में सड़क चौड़ीकरण के लिए धनबाद जिले में 11 हजार 725 पेड़ कट गये. शहर के प्रमुख क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का असर दिख भी रहा है. खासकर शहर में पेड़ों की कटाई होने से सड़क पर छायादार जगह नहीं बची है. बावजूद इसके पांच सालों में जिले में 14.18 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़े हैं.

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यह आंकड़ा फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआइ) द्वारा साल 2022 में जारी किये गये अंतिम सर्वे रिपोर्ट के आधार पर है. 2017 में हुए सर्वे के अनुसार उस समय धनबाद का कुल वन क्षेत्र 204 वर्ग किलोमीटर था. पांच सालों में यह बढ़ कर 218.18 वर्ग किलोमीटर पहुंच गया है. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया इस साल फिर से धनबाद के वन क्षेत्र का सर्वे करायेगी.

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इससे पूर्व वन व पर्यावरण विभाग तैयारियों में जुट गया है. वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के अनुसार धनबाद वन विभाग और नगर निगम द्वारा लगातार किये जा रहे पौधरोपण का लाभ धनबाद को मिला है. पांच साल पहले हुए सर्वे के अनुसार धनबाद में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 2040 वर्ग किलोमीटर का लगभग 10 प्रतिशत यानी 204 वर्ग किलोमीटर हिस्सा वन क्षेत्र में आता था.

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शहर में पेड़ों की कटाई की गयी, लेकिन पौधरोपन टुंडी, तोपचांची निरसा समेत अन्य जगहों पर हुए. यही वजह है कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में टुंडी और ताेपचांची के इलाकों में वन क्षेत्र में इजाफा हुआ. 5 सालों में वन व पर्यावरण विभाग के अलावा अन्य संगठनों ने भी बड़े पैमाने पर पौधे लगाये हैं. एक पेड़ की कटाई पर 5 पौधे लगाने का नियम है. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार नियमानुसार पौधे लगाये गये.

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फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, वन भूमि को तीन रूप में चिह्नित करती है. इनमें घना वन क्षेत्र (वीडीएफ), मॉडरेट वन क्षेत्र (एमडीएफ) और ओपेन फॉरेस्ट (ओएफ) शामिल है. घना वन क्षेत्र में 70 फीसदी या उससे अधिक इलाके में धूप नहीं दिखती, जो धनबाद में नहीं है. एमडीएफ वन क्षेत्र में 40 से 70 फीसदी वन भूमि पर धूप की रोशनी नहीं आती. ओपेन फॉरेस्ट वैसे जंगल को कहा जाता है, जहां 10 से 40 फीसदी धूप की रोशनी वन भूमि पर पड़ती है.

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फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2017 से 2022 तक जिले के वन क्षेत्र में झाड़ियों की संख्या कम हुई है. रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 20 वर्ग किलोमीटर इलाके में झाड़ियां थी. 2019 में 19.52 व 2022 में यह घटकर 16.05 वर्ग किलोमीटर तक रह गयी है.

इन सड़कों को बनाने के लिए काटे गये पेड़

  • गोल बिल्डिंग- काको मठ सड़क के लिए 5,811 पेड़ काटे गये

  • सिटी सेंटर-बरवाअड्डा सड़क के निर्माण के लिए 414 पेड़ काटे गये

  • महुदा-गोविंदपुर सड़क को बनाने के लिए 3,000 पेड़ काटे गये

  • राजगंज-पिंड्राजोड़ा सड़क बनाने के लिए 2,500 पेड़ काटे गये

Prabhat Khabar Digital Desk
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यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

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