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Nadaprabhu Kempegowda: सुतार परिवार के तीन पीढ़ियों ने बनाई केम्पेगौड़ा की प्रतिमा, देखें तस्वीरें

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इस संबंध में बताया, यह शहर के संस्थापक की पहली और सबसे ऊंची कांस्य प्रतिमा है. ‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी' नामक यह प्रतिमा बेंगलुरु के विकास के लिए केम्पेगौड़ा के योगदान को याद करती है.

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बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा की 108 फुट ऊंची कांस्य से बनी प्रतिमा का शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनावरण किया. बता दें कि केम्पेगौडा़ की प्रतिमा का निर्माण एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों की है. इस प्रतिमा का डिजाइन और अवधारणा पद्म भूषण से सम्मानीत राम वी सुतार ने की है. जबकि प्रतिमा को उनके बेटे अनिल सुतार ने आकार दिया है. वहीं, राम सुतार के पौत्र समीर सुतार ने प्रतिमा को स्थापीत केंद्र सरकार से समन्वय करने में सहयोग किया था.

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सुतार परिवार की देशभर में मूर्तिकार के रूप पहचान है. केम्पेगौड़ा के अलावा सुतार परिवार ने सरादर वल्लभभाई पटेल और महात्मा गांधी की प्रतिमा पर भी काम किया है. इस संबंध में सुतार परिवार के सदस्य समीर सुतार ने टीओआई से बात करते हुए कहा कि केम्पेगौड़ा की प्रतिमा बनाने में उन्हें 9 महीने का समय लग गया. उन्होंने कहा, इससे पहले, मॉडल के तौर पर 3 फुट और 8 फुट की प्रतिमा का निर्माण किया गया था. उन्होंने कहा कि 108 फुट की प्रतिमा का निर्माण उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में किया गया था, जबकि बेंगलुरु में प्रतिमा को एसेंबल किया गया है.

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समीर सुतार ने आगे कहा कि केम्पेगौड़ा के बारे में काफी कम लोगों को जानकारी है. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के संस्थापक नादप्रभु केम्पेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के शासक थे. उन्होंने अपने जीवन काल में कई ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण कराया है.

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सुतार ने बताया कि प्रतिमा में इस्तेमाल किया गया कांस्य भारत से ही लिया गया है. उन्होंने कहा कि केम्पेगौड़ा की प्रतिमा में करीब 85 करोड़ रुपये की लागत आई है. उन्होंने कहा, प्रतिमा के जरिए लोगों को केम्पेगौड़ा के जीवन और उनकी उपलब्धियों को विश्वभर में फैलाना है.

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वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इस संबंध में बताया, यह शहर के संस्थापक की पहली और सबसे ऊंची कांस्य प्रतिमा है. ‘‘स्टैच्यू ऑफ प्रॉस्पेरिटी” (समृद्धि की प्रतिमा) नामक यह प्रतिमा बेंगलुरु के विकास के लिए केम्पेगौड़ा के योगदान को याद करती है. यह प्रतिमा 218 टन वजनी (98 टन कांसा और 120 टन इस्पात) है. इसे यहां केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर स्थापित किया गया है। इसमें लगी तलवार चार टन की है.

(भाषा- इनपुट के साथ)

Piyush Pandey
Piyush Pandey
Senior Journalist, tech enthusiast, having over 10 years of rich experience in print and digital journalism with a good eye for writing across various domains.

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