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काशी विश्वनाथ धाम में मंदिर से लेकर प्रांगण तक का बदलेगा स्वरूप, लोकार्पण से पहले तैयारियां जोरों पर

Kashi Vishwanath Temple Corridor: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण के साथ ही सभी को काशी विश्वनाथ मंदिर के पुराने स्वरूप को भी देखने का जल्द ही मौका मिलेगा.

श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के लोकार्पण के पूर्व बाबा के स्वर्ण शिखर को पूरे तरीके से भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है. श्रद्धालुओ के लिए 29 और 30 को बाबा के दरबार सुबह 6 से शाम 6 बजे दर्शन पूजन बंद था. वहीं आज 24 घंटे के लिए बाबा दरबार परिक्षेत्र में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर निर्माण के साथ ही सभी को काशी विश्वनाथ मंदिर के पुराने स्वरूप को भी देखने का जल्द ही मौका मिलेगा. कॉरिडोर निर्माण कार्य पूरा होने के साथ ही मंदिर की दीवारों को एनामेल पेंट से भी मुक्ति मिलेगी. धाम के लोकार्पण के पहले ही भक्तो को चमकते हुए स्वर्णशिखर के दर्शन होंगे. इसके लिए दीवारों के सरंक्षण और सफाई का काम शुरू हो गया है.

बाबा विश्वनाथ के स्वर्णशिखर की सफाई करवाई जा रही है. इसके लिए काशी विश्वनाथ मन्दिर को तीन दिनों के लिए बंद किया जाएगा. 29 और 30 नवंबर को 12-12 घंटे और 1 दिसंबर को 24 घंटे के लिए मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद रहेगा.

बाबा विश्वनाथ के स्वर्णशिखर की सफाई करवाई जा रही है. दो चरणों में मंदिरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण का काम कराया जा रहा है. ये सभी कार्य दो चरणों में पूरे हो रहे हैं. पहले चरण में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत क्षेत्र के 17 मंदिर शामिल हैं और दूसरे चरण में धाम के शेष आठ मंदिरों के संरक्षण का काम बाद में किया जाएगा. इसके लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार व संरक्षण के लिए मंदिर को तीन दिनों के लिए बंद किया जाएगा.

मंदिरों से हटाये जा रहे इस एनामेल पेंट को बाबा विश्वनाथ के मंदिर की दीवारों पर 2008 में तत्कालीन मंडलायुक्त सीएन दुबे ने मनमाने ढंग से चढ़वा दिया था. उस दौरान इसका काफी विरोध हुआ था. कुछ दिनों बाद ही पता लगा कि एनामेल पेंट की वजह से मंदिर के गर्भ गृह में लगे पत्थरों का क्षरण शुरू हो गया था. दीवारों में लगे चुनार के पत्थरों पर एनामेल पेंट के कारण नमी लॉक होने से पत्थर खराब होने लगे.

इसके बाद इसे ठीक करने के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला और आईआईटी रुड़की की मदद ली थी, लेकिन उनकी रिपोर्ट के आधार पर काम शुरू नहीं हो सका. भक्तों को काशी विश्वनाथ के पुराने स्वर्णशिखर आभा के दर्शन करने को मिलेंगे.

मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि मैं काशी की जनता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस पूरे कार्य को पूरा करने में सभी का सहयोग प्राप्त हुआ है. हम लोग 29,30 नवम्बर सुबह 6 से शाम 6 बजे तक मंदिर में दर्शन पर रोक थी और 1 दिसंबर को 24 घंटे आम श्रद्धलुओं के लिए मंदिर बंद कर रहे हैं. ताकि मंदिर परिसर में जो मार्बल लग रहे हैं उसकी सफाई हो सके और बाकी जो छोटे-मोटे कार्य छूटे हैं उन्हें भी पूरा कर लिया जाए. 2 दिसंबर को मंदिर खुलेगा तो उसका भव्य और दिव्य स्वरुप दिखेगा जो जनता को समर्पित होगा.

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इनपुट : विपिन कुमार

Prabhat Khabar News Desk
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