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Lal Bahadur Shastri Death Anniversary 2024 पर जानें देश के दूसरे प्रधानमंत्री से जुड़ी अहम बातें

Lal Bahadur Shastri Death Anniversary 2024: लाल बहादुर शास्त्री जी का असली नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था. शास्त्री की उपाधि उन्हें काशी विद्यापीठ से स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद मिली जिसके बाद वह अपने नाम के आगे शास्त्री लगाने लगे.

Lal Bahadur Shastri Death Anniversary 2024: आ 11 जनवरी है. आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री की पुण्‍य तिथि है. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले शास्त्री जून 1964 से जनवरी 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. अपनी साफ सुथरी छवि और सदागीपूर्ण जीवन के प्रसिद्ध शास्त्री ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद नौ जून 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था. यहां जानें देश के दूसरे प्रधानमंत्री से जुड़ी अहम बातें

  • देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में पहली बार 17 साल की उम्र में जेल गए लेकिन बालिग न होने की वजह से उनको छोड़ दिया गया.

  • शास्त्री जी जब जेल में थे तब उनकी पत्नी चुपके से उनके लिए दो आम छिपाकर ले आई थीं लेकिन इस पर खुश होने की बजाय उन्होंने उनके खिलाफ ही धरना दे दिया. उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कैदियों को जेल के बाहर की कोई चीज खाना कानून के खिलाफ है.

  • शास्त्री ने देश की आजादी में भी खूब महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान करीब सात तक जेल में भी रहे.

  • साल 1946 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तब उन्हें उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया.

  • साल 1951 लाल बहादुर शास्त्री नई दिल्ली आ गए. यहां उन्होंने रेल, परिवहन और संचार, वाणिज्य और उद्योग मंत्री सहित कैबिनेट में कई पदों पर काम किया.

  • रेलमंत्री के रूप में उनकी कार्यकाल के दौरान एक रेल दुर्घटना में कई लोगों की जान चली गई. इससे वो इतने हताश हुए कि दुर्घटना के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए पद से इस्तीफा दे दिया.

  • साल 1964 में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. उन्होंने देश की खाद्य और डेयरी उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया.

  • 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने देश में ‘भोजन की कमी’ के बीच सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए ‘जय जवान’ ‘जय किसान’ का नारा दिया. उस समय उन्होंने अपना वेतन तक लेना बंद कर दिया था.

  • 11 जनवरी, 1966 में ताशकंद में उनकी मृत्यु हो गई. वहां वो पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति एम अयूब खान के साथ युद्धविराम की घोषणा पर हस्ताक्षर करने और युद्ध को समाप्त करने पहुंचे थे.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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