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झारखंड: लिप्पन आर्ट से अपनी अलग पहचान बना रहा कंचन सिंह, बचपन के शौक को बनाया इनकम का जरिया

कंचन बताता है कि बचपन से ही रंगोली व घर की दीवारों पर कलर से डिजाइन बनाना और इस तरह की कलाकारी करना पसंद था. महीनों रिसर्च कर बारीकी को समझा. बहुत सारे परीक्षण और त्रुटियों से गुजरने के बाद वह उत्पाद तैयार करने में सफल रहा. इसके बाद गांव में ही कामकाज की शुरुआत कर दी.

गालूडीह (पूर्वी सिंहभूम), परवेज: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले की बड़ाखुर्शी पंचायत के दारिसाई गांव का कंचन सिंह लिप्पन आर्ट से क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रहा है. कंचन की कलाकृतियों को देखकर उसकी तारीफ किए बिना कोई नहीं रह पाता. एक हादसे के बाद कुछ अंगुलियां ठीक से काम नहीं करती हैं. फिर भी उसने इस जुनून को जिंदा रखा है. उसने बताया कि उसने कोई फाइन आर्ट्स का कोर्स नहीं किया. वह एक गरीब परिवार से है. पिता हरिश्चंद्र सिंह किसान हैं. आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण दसवीं तक ही पढ़ाई कर पाया. पिता खेतीबाड़ी कर किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण करते हैं.

बचपन से ही रंगोली व कलाकारी का शौक था

कंचन बताता है कि बचपन से ही रंगोली व घर की दीवारों पर कलर से डिजाइन बनाना और इस तरह की कलाकारी करना पसंद था. महीनों रिसर्च कर बारीकी को समझा. बहुत सारे परीक्षण और त्रुटियों से गुजरने के बाद वह उत्पाद तैयार करने में सफल रहा. इसके बाद गांव में ही कामकाज की शुरुआत कर दी.

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गुजरात की है पारंपरिक कला

लिप्पन आर्ट गुजरात की पारंपरिक कला है, जिसे क्ले, कांच और नेचुरल कलर से बनाया जाता है. फिलहाल वह ऑर्डर के हिसाब से बना रहा है. ऑर्डर आना भी शुरू हो गया है. ज्यादा नहीं लेकिन धीरे-धीरे इस कला से वह कमाई भी कर रहा है.

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किसान का बेटा है कंचन

कंचन सिंह एक गरीब परिवार से है. पिता हरिश्चंद्र सिंह किसान हैं. आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण दसवीं तक ही पढ़ाई कर पाया. पिता खेतीबाड़ी कर किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण करते हैं.

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पांच हजार रुपये से की शुरुआत

कंचन ने बताया कि शुरुआत में पांच हजार रुपये खर्च कर बाजार से लिप्पन आर्ट बनाने का सामान लाया था. हम ग्राहकों की अनूठी और चुनौतीपूर्ण मांगों को समझने के लिए तैयार हैं. हम हमेशा नवीन और आकर्षक डिज़ाइन बनाने के इच्छुक रहते हैं, जो ग्राहकों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेंगे.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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