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लोहरदगा के अखिलेश एक एकड़ जमीन में उगाते हैं कई किस्म के फूल, पश्चिम बंगाल से लेकर ओडिशा तक है बाजार

लोहरदगा जिले के कुड़ू के अखिलेश कुमार सिंह इन दिनों युवाओं के प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. कभी वे दलहन उगाकर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पा चुके हैं. इन दिनों वे फुलों की खेती कर चर्चा में हैं. उनका बाजार रांची, जमशेदपुर,‌ बोकारो, धनबाद से लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा तक हैं.

लोहरदगा जिले के कुड़ू के अखिलेश कुमार सिंह इन दिनों युवाओं के प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. कभी वे दलहन उगाकर राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पा चुके हैं. इन दिनों वे फुलों की खेती कर चर्चा में हैं. दलहन की बेहतरीन खेती करने पर उन्हें राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. वे कुडू के चंदलासो के रहने वाले हैं. फूलों की खेती का बाजार उन्होंने कुछ इस कदर बनाया है कि कुडू ने ओडिशा तक उनके उगाए फूल बिक रहे हैं. आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी…

एक एकड़ जमीन में करते हैं फूलों की खेती

फूलों की खेती करने वाले अखिलेश कुमार सिंह का बाजार केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं है. रांची, जमशेदपुर,‌ बोकारो, धनबाद से लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा समेत अन्य राज्यों के फूल व्यवसाय से जुड़े व्यापारी कुड़ू पहुंच रहे हैं. वहीं अखिलेश को मुंहमांगी कीमत भी दे रहे हैं. अखिलेश लगभग एक एकड़ में कई किस्म के फूलों की खेती कर रहे हैं. फूल से न केवल अखिलेश की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है बल्कि वे एक दर्जन मजदूरों को रोजगार भी दिए हुए हैं.

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इकोनोमिक्स में की है पीजी तक की पढ़ाई

प्रखंड के चंदलासो गांव निवासी अखिलेश कुमार सिंह अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर हैं. परिवार की हालत से हमेशा परेशान रहने वाले अखिलेश शुरुआत से ही खेती-बाड़ी में हाथ आजमाते रहे हैं. साल 2013 में अरहर की रिकार्ड तोड़ पैदावार कर राष्ट्रीय स्तर पर कृषि कर्मण पुरस्कार से तत्तकालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तथा तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार के हाथों सम्मानित हो चुके हैं. उनका जब दलहन, तेलहन तथा खरीफ खेती से मन भर गया तो कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने को लेकर साल 2019 से फूल की खेती में जुट गए.

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से ली है ट्रेनिंग

अखिलेश कुमार सिंह ने ‌‌‌‌‌‌बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से फूलों की खेती का प्रशिक्षण लिया है. साल 2018 में इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर ट्रेनिंग सेंटर ग्रेटर नोएडा में फूलों की संरक्षित खेती तथा फूलों को नष्ट होने से बचाने के लिए छह माह का प्रशिक्षण लेने के बाद गांव लौटे. यहां आकर वे जिला उद्यान अधिकारी से मिल कर फूलों की खेती करने के लिए मदद मांगी. अखिलेश के जुनून को देखते हुए जरबेरा की खेती के लिए 90 प्रतिशत अनुदान पर नेट हाउस ड्रिप के साथ मल्चिंग करके पौधा मिला. यहीं से अखिलेश ने शुरुआत की. साल 2020 में जरबेरा की खेती लगभग पचास डिसमिल में की. इसमें लागत बीस हजार लगा. वहीं तीन महीने में लगभग 50 हजार की कमाई की. जरबेरा बेचने के लिए दो सप्ताह रांची गए. इसके बाद फूलों के व्यवसायियों ने खुद संपर्क कर फूल खरीदने लगे.

इन फूलों की करते हैं खेती

वर्तमान में अखिलेश कुमार सिंह छह प्रकार के फूल जिसमें जरबेरा, गेंदा, ग्लेडियोलस, एलोवेरा शामिल हैं, कि खेती कर रहे हैं. खेती के माध्यम से गांव के बेरोजगार युवाओं को कृषि से जोड़ते हुए रोजगार दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक बार जरबेरा का पौधा लगाने से लगातार 3 वर्षों तक फूल मिलता है. गेंदा फूल का लगभग 6 महीने तक लगातार तोड़ाई की जा सकती है. ग्लेडियोलस की खेती एक बार करने के बाद पुनः उसी का बीज का उपयोग किया जाता है. फूलों की खेती में कीटनाशकों का प्रयोग भी नहीं होता ना ही ज्यादा निकाय – गुड़ाई का खर्च होता है.

फूल खेती के लिए किसानों को करेंगे प्रोत्साहित

प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी किशोर उरांव ने बताया कि प्रखंड में फूल की खेती के बेहतर अवसर हैं. चंदलासो पंचायत से फूल की खेती शुरू हुई है. इसे प्रखंड के दूसरे पंचायतों तक लेकर जायेंगे तथा प्रखंड में फूल की खेती को लेकर किसानों को प्रोत्साहित करेंगे.

रिपोर्ट : अमित कुमार राज, कुडू

Prabhat Khabar Digital Desk
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