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Nirbhaya case : कंगना रनौत की तीखी टिप्‍पणी, बोलीं- फैसला सुनाने में 7 साल लग गये…

Kangana Ranaut on Nirbhaya gang rape : सात वर्षों के लंबे इंतजार और कानूनी जद्दोजहद के बाद निर्भया को इंसाफ‍ मिला. 20 मार्च की सुबह निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को तिहाड़ जेल के फांसी घर में फंदे पर लटका दिया गया.

सात वर्षों के लंबे इंतजार और कानूनी जद्दोजहद के बाद निर्भया को इंसाफ‍ मिला. 20 मार्च की सुबह निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को तिहाड़ जेल के फांसी घर में फंदे पर लटका दिया गया. इस मामले को लेकर बॉलीवुड के कई कलाकार लगातार प्रतिक्रिया देते आ रहे हैं जिनमें तापसी पन्नू, रवीना टंडन, प्रीति जिंटा, रितेश देशमुख जैसे सितारे शामिल हैं. अब कंगना रनौत का बयान सामने आया है.

कंगना रनौत ने देश की न्‍यायिक प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे सुधारने की जरुरत है. स्‍पॉटब्‍वॉय से खास बातचीत में कंगना ने कहा,’ हमारी न्यायिक प्रणाली काफी पुरानी और अनुचित है. एक भयानक बलात्कार और हत्या के मामले पर फैसला देने में सात साल लग गए, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. मुझे याद है कि जब मैं निर्भया के लिए कैंडल मार्च में हिस्सा ले रही थी, तब मैं क्वीन की शूटिंग कर रही थी. इस तरह के क्रूर अपराध के लिए त्वरित न्याय होना चाहिए था. हमारी न्‍याय प्रणाली ने निर्भया की मां और पूरे परिवार पर सात साल तक अत्याचार किया.”

उन्‍होंने आगे कहा,’ इस मामले में न्याय देने में इतना समय लग गया कि लोगों के दिमाग में यह घटना धुंधली हो गई. मुझे लगता है कि निर्भया की मां का नाम आशा देवी मेरी मां से जुड़ा है क्‍योंकि मेरी मां का नाम भी आशा है. मुझे अभी भी याद है जब मेरी बहन रंगोली पर एसिड अटैक हुआ था और आरोपी को जमानत मिल गई थी. वो समय था जब हम अपनी न्यायपालिका पर गुस्सा महसूस कर रहे थे कि आरोपी को जमानत क्यों दी गई और पीड़िता को भुगतना पड़ा. रंगोली की आंख खराब हो गई थी.’

कंगना ने इंटरव्‍यू में कहा,’ मैंने उसका रेटिना ट्रांसप्लांट करवाया लेकिन यह केवल इसलिए संभव था क्योंकि मैं एक अभिनेत्री थी, कोई आम आदमी नहीं. यह अभी भी वैसा ही बना हुआ है. जिस समय हम लोगों ने आगे बढ़ने की कोशिश की, लगातार सवाल उठने लगे थे हम आरोपियों को आज़ाद घूमने दे रहे हैं. जरा सोचिए निर्भया की मां सात साल से ऐसे लोगों का सामना कर रही हैं. लोग चाहकर भी उसे सदमे से उभरने नहीं देते थे. हमने उसके परिवार पर सात साल तक अत्याचार किया.’

गौरतलब है कि पांच मार्च को एक निचली अदालत ने चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी किया था. अदालत को बृहस्पतिवार को सूचित किया गया कि सभी दोषी अपने सभी कानूनी और संवैधानिक विकल्पों का इस्तेमाल कर चुके हैं और उनके बचने के लगभग सभी रास्ते बंद हो चुके हैं. जिसके बाद 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी पर लटका दिया गया.

Budhmani Minj
Budhmani Minj
Senior Journalist having over 10 years experience in Digital, Print and Electronic Media.Good writing skill in Entertainment Beat. Fellow of Centre for Cultural Resources and Training .

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