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Jagannath Temple: मंदिर प्रशासन की नींद हराम… जगन्नाथ मंदिर में बढ़ गये चूहे, पर मारने की अनुमति नहीं

जगन्नाथ संस्कृति के एक शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने कहा कि हालांकि चूहें गरवा गृह (गर्भगृह) में उपद्रव पैदा करते हैं, लेकिन सेवादारों को जानवरों को मारने या उन्हें मंदिर के अंदर जहर देने की अनुमति नहीं है.

पुरी में 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर में चूहों का कहर इस कदर बढ़ गया है कि उनसे छुटकारा पाने के लिए हैमलिन के बांसुरीवाले की कहानी याद आ जाती है. हैमलिन का बांसुरीवाला, एक जर्मन लोककथा है. चूहों ने मंदिर के अधिकारियों की नींद हराम कर रखी है क्योंकि उन्हें इनसे निजात पाने का कोई ठोस तरीका नहीं सूझ रहा है. चूहों की आबादी कोविड-19 महामारी के मद्देनजर श्रद्धालुओं की अनुपस्थिति के दौरान कई गुना बढ़ी गई है और ये ‘रत्न सिंघासन’ (पवित्र वेदी) पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा के परिधानों को कुतरते रहते हैं.

कोविड-19 के दौरान बढ़ी चूहों की संख्या, मूर्तियों को खतरा

मंदिर की देखभाल में लगे लोग (सेवादारों) और पुजारियों ने चेतावनी दी है कि चूहें देवताओं की लकड़ी से बनी मूर्तियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, हालांकि मंदिर के प्रशासक जितेंद्र साहू ने ऐसी आशंका को खारिज कर दिया. एक सेवादार रामचंद्र दासमहापात्र ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद चूहों की संख्या में वृद्धि हुई है. चढ़ाए गए फूलों को चूहे खा जाते हैं और देवताओं के मूल्यवान परिधानों को कुतर कर ले जाते हैं.

जाल बिछा चूहों को जिंदा पकड़ा जा रहा, फिर छोड़ा जा रहा बाहर

जगन्नाथ संस्कृति के एक शोधकर्ता भास्कर मिश्रा ने कहा कि हालांकि चूहें गरवा गृह (गर्भगृह) में उपद्रव पैदा करते हैं, लेकिन सेवादारों को जानवरों को मारने या उन्हें मंदिर के अंदर जहर देने की अनुमति नहीं है. मंदिर के प्रशासक जितेंद्र साहू ने कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) चूहों के खतरे से वाकिफ है. साहू ने कहा कि हम चूहों को जिंदा पकड़ने के लिए जाल बिछा रहे हैं और वर्षों से अपनाए गए प्रावधानों के अनुसार उन्हें बाहर छोड़ रहे हैं. हमें मंदिर में चूहे मारने की दवा का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. देवताओं की काष्ट मूर्तियों को कोई खतरा नहीं है. उन्हें नियमित रूप से चंदन और कपूर से पॉलिश किया जा रहा है.

Piyush Pandey
Piyush Pandey
Senior Journalist, tech enthusiast, having over 10 years of rich experience in print and digital journalism with a good eye for writing across various domains.

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