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Exclusive: अयोध्या में 48 दिनों तक होगी रामलला की पूजा-अर्चना, आठ दिन तक प्राण-प्रतिष्ठा

प्राण प्रतिष्ठा एक विधि है, जो 6-8 दिन की होती है. इसके बाद 48 दिन का पूजन भी होता है, जिसे मंडल पूजा कहते है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा में भगवान की प्रतिमा को अन्न, जल, फल और औषधियों में निवास कराया जाता है.

अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का इंतजार भारत समेत पूरी दुनिया के लोग कर रहे हैं. मंदिर परिसर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत 16 जनवरी को ही शुरू हो गई है, लेकिन इसकी विधिवत पूजा 23 जनवरी से शुरू होगी. अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने प्राण प्रतिष्ठा और उससे जुड़ी कुछ अनछुए पहलुओं के बारे में जानकारी दी है. आइए, हम जानते हैं कि उन्होंने राम मंदिर निर्माण और उसमें मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा में क्या कहा.

काफी जद्दोजहद के बाद खड़ा हुआ भव्य मंदिर का ढांचा

अयोध्या राम मंदिर निर्माण और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सभी देशवासियों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कराया गया है. इसकी खासियत यह है कि इस भव्य मंदिर को सिर्फ पत्थरों से तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि इस राम मंदिर के निर्माण में कई प्रकार की बाधाएं आई हैं. सबसे बड़ी बाधा वह जमीन ही थी, जहां पर राम मंदिर का निर्माण कार्य कराया जाना था. उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टिकोण से सरयू नदी के तट पर होने की वजह से निर्माण स्थल की जमीन काफी बलुई थी, जिस पर निर्माण कार्य कराना आसान नहीं था. फिर भी काफी मशक्कत के बाद पहले उसके ढांचे को तैयार किया गया, उसके बाद भवनों और गर्भगृह को तैयार किया गया.

प्राण प्रतिष्ठा के बाद सजीव हो जाते हैं भगवान

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बारे में विशेष बात की जानकारी देते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के दौरान वैदिक मंत्रों के माध्यम से भगवान की मूर्तियों में प्राणवायु प्रतिष्ठित की जाती है. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद वे सजीव हो जाते हैं और फिर वे मनुष्यों की तरह व्यवहार करना शुरू कर देते हैं. जिस प्रकार एक व्यक्ति अपने जीवन में हर प्रकार की दिनचर्या को पूरा करता है, उसी प्रकार प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान भी मनुष्य की तरह अपनी दिनचर्या को करते हैं. उन्होंने कहा कि जैसे एक व्यक्ति को भूख लगती है, वैसे भगवान को भी लगती है. जैसे आदमी को नींद आती है, वैसे भगवान भी अपने शयनकक्ष में जाते हैं और सारे आहार-व्यवहार मनुष्योंं की तरह करते हैं. इसीलिए, मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद प्रत्येक दिन पूजा करना बेहद जरूरी हो जाता है.

48 दिनों तक होगी पूजा

उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा एक वैदिक विधि है, जो 6 से 8 दिन की चलती है. इसके बाद 48 दिन का पूजन भी होता है. इसे मंडल पूजा कहते है. उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा में भगवान की प्रतिमा को अन्न, जल, फल और औषधियों में निवास कराया जाता है. इसके बाद उन्हें गर्भगृह में निवास के दौरान शैय्या पर लिटाया जाता है. इसकी भी अपनी प्रक्रिया है और इसका अनुपालन आचार्याें के दिशा-निर्देश पर ही किया जाता है. उन्होंने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान हवन भी किया जाता रहेगा, जिसमें आहुतियां प्रदान करते रहेंगे. 150 लोगों की टोली आ रही है जो इस पूजा को संपन्न करवाएगी.

350 फीट लंबा और 250 फीट चौड़ा है राम मंदिर

उन्होंने मंदिर के बारे में बताते हुए कहा कि मंदिर बहुत विशाल है. केवल पत्थर से बना है. मंदिर तीन मंजिला है और 350 फीट से अधिक लंबा है वहीं 250 फीट चौड़ा है. बात करे ऊंचाई की तो जमीन के गर्भ गृह से शिखर की ऊंचाई 161 फीट है. एक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है. प्राण प्रतिष्ठा भूतल पर होगी और भूतल तैयार हो गया है. उन्होंने आगे बताया कि जिस प्रतिमा को स्थापित करना है, वो तैयार हो गई है और जो लोग विधि विधान समर्पण करवाएंगे, वो निर्णय भी हो गया है. यज्ञशालाएं बन गई हैं.

4000 संत और 2500 वीआईपी लोगों को निमंत्रण

उन्होंने कहा कि अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए देशभर के करीब 4000 संत-महात्माओं को आमंत्रित किया गया है. इसके साथ ही, सामाजिक जीवन में सभी क्षेत्रों के लगभग 2500 विशिष्ट महानुभावों को भी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्योता दिया गया है. इन सबकी सूची तैयार करके सभी लोगों के पास संदेश भेज दिया गया है. इन सबके ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम हो गया है.

बालू के पहाड़ पर  मंदिर बनाना एक चुनौती

चंपत राय ने कहा मंदिर बनाने का मतलब भगवान का घर तैयार करना है और बड़े काम की बड़ी बाधाएं होती हैं. उन्होंने बताया कि जमीन में मिट्टी थी ही नहीं. बालू और मलबा था, जो बहुत बड़ी चुनौती थी. इसके बाद हिंदुस्तान के इंजीनियरों की बैठक हुई और सभी ने इसका निदान निकाला. इसके लिए भारत के सारे इंजीनियर ग्रुप में को हम सभी को बधाई के साथ साथ धन्यवाद देना जरूरी है.

मूर्तियां कहेंगी श्रीरामकथा

राम मंदिर की विशेषताओं के बारे में उन्होंने कहा कि इस मंदिर कि विशेषताएं यह होगी कि सतयुग से जितनी भी भारतीय संस्कृति की घटनाएं है, उन सबका मूर्तियों के द्वारा चित्रण होगा. समुद्र मंथन भी दिखाया जाएगा. उनको देखने के बाद भारतीय संस्कृति को कोई भी युवा आसानी से समझ सकेगा. प्रभु श्री राम के जीवन में जितनी घटनाएं हुई हैं, उन सबका मूर्तियों के द्वारा चित्रण होगा. ये एक बहुत बड़ी चुनौती है और ये कुछ दिनों के लिए नहीं होगा. यह हमेशा के लिए किया जा रहा है, जो पत्थर से तैयार होगा. उन्होंने कहा कि अभी तक अयोध्या उपेक्षित थी. दिल्ली और मुंबई के लोग यह भी नहीं जानते थे कि अयोध्या में कोई रेलवे स्टेशन भी है. अब अयोध्या संसार के केंद्रबिंदु में आ गया और अब नया अयोध्या बन रहा है. इसके लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है.

स्थानी निवासियों के लिए संदेश

स्थानी निवासियों के लिए उन्होंने संदेश दिया कि पूरे हिंदुस्तान से आने वाला तीर्थयात्री जो पहली बार अयोध्या आया है, अयोध्या के बारे में अच्छी से अच्छी धारणा लेकर जाए. बाहर से आने वाले यात्रियों के साथ कैसी वाणी बोलना है, कैसा व्यवहार करना है, किसी वस्तु की डिमांड ज्यादा है और उत्पादन कम तो उसके रेट मत बढ़ाइए. चाय पीने वालों की संख्या ज्यादा है, तो रेट कम रखिए. आश्रमो में कमरों के किराए नहीं बढ़नी चाहिए, हमारा व्यवहार दुनिया में अच्छी धारणा बनाए और इन सब के साथ ऑटो, रिक्शा कितना किराया लेंगे. ये सब तय हो ,ताकि किसी के अनजान होने का फायदा न उठाया जाए. इस आचरण से अयोध्या की इज्जत बढ़ेगी.

Mahima Singh
Mahima Singh
I have 3+ years of experience in digital journalism with a focus on video production, anchoring, and reporting. I’m especially passionate about political and crime stories, as well as documentary filmmaking. Skilled in end-to-end video storytelling for digital platforms.

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