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शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद से तृणमूल में मची है खलबली, जंगलमहल बचाने का ये है ममता बनर्जी प्लान

पूर्वी मेदिनीपुर जिला के कद्दावर तृणमूल नेता और ममता बनर्जी की सरकार में परिवहन मंत्री समेत कई अहम जिम्मेदारी संभाल रहे शुभेंदु अधिकारी के मंत्री एवं सभी सरकारी पदों से इस्तीफा देने के बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी में खलबली मच गयी है. जंगलमहल में पार्टी के गढ़ को बचाने के लिए ममता बनर्जी खुद सक्रिय हो गयी हैं. इसका प्लान भी उन्होंने बना लिया है.

कोलकाता : पूर्वी मेदिनीपुर जिला के कद्दावर तृणमूल नेता और ममता बनर्जी की सरकार में परिवहन मंत्री समेत कई अहम जिम्मेदारी संभाल रहे शुभेंदु अधिकारी के मंत्री एवं सभी सरकारी पदों से इस्तीफा देने के बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी में खलबली मच गयी है. जंगलमहल में पार्टी के गढ़ को बचाने के लिए ममता बनर्जी खुद सक्रिय हो गयी हैं. इसका प्लान भी उन्होंने बना लिया है.

ममता बनर्जी की सरकार को छोड़ने के बाद शुभेंदु रविवार (29 नवंबर, 2020) को अपनी पहली राजनीतिक रैली करने जा रहे हैं. वह नंदीग्राम के महिषदल में एक रैली करेंगे. उनके संभावित कदम से तृणमूल कांग्रेस सशंकित है. चूंकि शुभेंदु ने अब तक तृणमूल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है, पार्टी का कोई नेता उनके खिलाफ कुछ भी नहीं बोल रहा है.

मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी 4 दिसंबर को पार्टी के जिला अध्यक्षों के साथ मुलाकात करेंगी. इससे पहले टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं को पश्चिमी मेदिनीपुर, मुर्शिदाबाद और मालदा जिला के नेताओं के साथ मुलाकात के लिए भेजा गया है. इसका एकमात्र उद्देश्य यह है कि शुभेंदु अधिकारी की कमी को कैसे पूरा किया जाये. हालांकि, पार्टी इसे रूटीन बैठक करार दे रही है.

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लेफ्ट के गढ़ रहे जंगलमहल को तृणमूल के गढ़ में तब्दील करने वाले शुभेंदु यदि पार्टी छोड़ देते हैं, तो इन तीन जिलों में अपनी स्थिति को कैसे मजबूती से कायम रखा जाये, इस पर पार्टी में चर्चा शुरू हो चुकी है. यही वजह है कि मेदिनीपुर में 7 दिसंबर को ममता बनर्जी की रैली से पहले इसकी तैयारियों का जायजा लेने के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सुब्रत बख्शी को वहां भेजा गया था.

सुब्रत समेत तृणमूल के किसी नेता ने अब तक शुभेंदु के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है. इस बीच, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों शुभेंदु अधिकारी को अपने पाला में करने में जुट गयी है. भाजपा तो काफी पहले से उनके स्वागत के लिए तैयार थी, अब कांग्रेस ने भी उन्हें अपने पाले में करने के लिए हाथ-पैर मारने शुरू कर दिये हैं.

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उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से पहले तृणमूल में उठापटक मच गयी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा और वामदलों से तो निबटना ही है, उन पर शुभेंदु अधिकारी के बगावती तेवर के बाद तृणमूल को भी फूट से बचाने की चुनौती है. ममता बनर्जी को इस बात का एहसास है और इसलिए उन्होंने पार्टी को एकजुट रखने पर भी पूरी तरह फोकस कर रखा है.

ज्ञात हो कि तृणमूल ने अभी हाल ही में जो बैठक की थी, मेदिनीपुर जिला के चार वरिष्ठ नेता उससे अनुपस्थित थे. बताया जाता है कि ये सभी नेता शुभेंदु अधिकारी के वफादार हैं. इसके बाद पार्टी और पार्टी आलाकमान की आशंकाएं और संदेह बलवती हो गयी हैं. उधर, तृणमूल सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने मालदा जिला के नेताओं के साथ कोलकाता स्थित अपने दफ्तर में शनिवार को मुलाकात की.

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Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
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