24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Sam Bahadur Review: विक्की कौशल के शानदार अभिनय के बावजूद सैम मानेकशॉ को यादगार ट्रिब्यूट नहीं दे पाई फिल्म

Sam Bahadur Movie Review: सैम बहादुर की जिंदगी की इस कहानी में उनके जज्बे, हौसले और वीरता को दिखाने के साथ-साथ फ़िल्म आर्मी वालों के जज्बे और परिवार के बलिदान को भी दिखाती है. फिल्म में बंटवारे के दर्द को एक आर्मी ऑफिसर के नज़रिये से बखूबी छुआ गया है. जीशन की स्पीच दिल को छूती है.

फ़िल्म – सैम बहादुर

निर्माता- आरएसवीपी

निर्देशक- मेघना गुलज़ार

कलाकार- विक्की कौशल, फ़ातिमा सना शेख,सान्या मल्होत्रा,नीरज काबी,जीशान अयूब और अन्य

प्लेटफार्म- सिनेमाघर

रेटिंग- ढाई

Sam Bahadur Movie Review: यह फिल्म फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बायोपिक है, जिन्हे भारत के महान युद्ध नायकों में से एक माना जाता है. सेना के नायक की इस कहानी में वीरता और देशभक्ति फ़िल्म का आधार है. निर्देशिका मेघना गुलज़ार ने पूरी संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी के साथ इस परदे पर उतारा है, लेकिन यह फ़िल्म फ़ीचर फ़िल्म का फील कम और डाक्यूमेंट्री का फील ज़्यादा लिए हुए है. इसके साथ ही शैम बहादुर से जुड़ी जिन कहानियों को उन्होंने फ़िल्म में जोड़ा है. उनमें से लगभग सबकुछ इंटरनेट पर भी मौजूद है .यह फ़िल्म सैम बहादुर की बायोपिक है लेकिन कहानी 1933 में सीधे पहुंच जाती है. उनके बचपन, स्कूल और कॉलेज के दिनों और आर्मी से उनके जुड़ाव इन पहलुओं पर थोड़ा फ़ोकस करने की ज़रूरत थी. इसके साथ ही फ़िल्म में एक साथ सैम बहादुर की ज़िंदगी की कई घटनाओं को दिखाया गया है, लेकिन उन्हें प्रभावी ढंग से जोड़ा नहीं गया है. कुल मिलाकर ढाई घंटे की इस कहानी का स्क्रीनप्ले लेजेंडरी सैम बहादुर को यादगार ट्रिब्यूट नहीं दे पायी है, जैसा की फ़िल्म से उम्मीद थी. इन ख़ामियों के बावजूद भारतीय सेना के इस नायक की कहानी एक बार सभी को देखनी चाहिए.

सैम मानेकशॉ की यह कहानी भारत की भी है कहानी

फिल्म की कहानी सैम मानेकशॉ के जीवन पर आधारित है, जो फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत होने वाले पहले भारतीय सेना अधिकारी थे. यह फ़िल्म द्वितीय विश्व युद्ध से 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध तक की उनकी जर्नी को दर्शाती है. ख़ास बात है कि यह उनकी ज़िंदगी की कहानी है, भारत के अहम ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी है. मानेकशॉ ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे बांग्लादेश का निर्माण हुआ. 1948 में कश्मीर के भारत में विलय होने के भी वह गवाह थे. 1962 में चीन के साथ युद्ध की भी उनकी अपनी रणनीति थी. भारत से जुड़े इन महत्वपूर्ण घटनाओं के अलावा फिल्म में सैम बहादुर की निजी जिंदगी को भी जोड़ा गया है. जिसमें उनके हयूमर के साथ साथ उनकी वीरता भी शामिल है. दूसरे विश्व युद्ध में सात गोलियों लगने के बावजूद सैम बहादुर ने कहा था कि आई एम ओके यह प्रसिद्ध क़िस्सा भी इस फ़िल्म की कहानी से जुड़ा है. फिल्म उनके निजी जिंदगी को छूने के साथ साथ राजनीतिक दांव पेंच को भी दिखा गयी है. फ़िल्म में यह भी दिखाया गया है कि एक सच्चा सैनिक किस तरह से राजनीति से ऊपर उठकर देखता है.

फ़िल्म की खूबियां और खामियां

सैम बहादुर की जिंदगी की इस कहानी में उनके जज्बे, हौसले और वीरता को दिखाने के साथ-साथ फ़िल्म आर्मी वालों के जज्बे और परिवार के बलिदान को भी दिखाती है. फिल्म में बंटवारे के दर्द को एक आर्मी ऑफिसर के नज़रिये से बखूबी छुआ गया है. जीशन की स्पीच दिल को छूती है. फ़िल्म की स्क्रीनप्ले में शैम बहादुर और इंदिरा गांधी और उनके रसोइये के साथ के रिश्ते को बहुत ही रोचक अन्दाज़ में पेश किया गया है. फिल्म में आर्मी की हर यूनिट को बहुत ही दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है, जो फ़िल्म की खूबी है .ख़ामियों की बात करें तो फ़िल्म की शुरुआत प्रभावी ढंग से होती है लेकिन फिर कहानी कमज़ोर पड़ने लगती है और धीमी भी पड़ जाती है . फ़िल्म में सैम बहादुर से जुड़े कई मामलों को एक साथ दिखाने की कोशिश की है . जिससे फर्स्ट हाफ में तो यह भी कई बार महसूस होता है कि कुछ भी कहीं से शुरू हो जा रहा है. कभी भी ख़त्म हो जा रहा है . फ़िल्म की एडिटिंग कमजोर रह गई है. दूसरे भाग में कहानी रफ़्तार पकड़ती है, लेकिन क्लाइमेक्स यहां भी अधूरा सा लगता है . 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध का सबसे अहम नायक सैम बहादुर को माना जाता है लेकिन यह युद्ध पर्दे पर उस तरह से नहीं आ पाया था, जैसी की ज़रूरत थी. फ़िल्म में गुलज़ार का गीत और शंकर एहसान लॉय का संगीत के अनुरूप है. बढ़ते चलो और बंदा गीत कहानी के साथ न्याय करने के साथ – साथ एक जोश भी भरता है . कहानी का कालखंड 1933 से 1972 दिखाया गया है. प्रोडक्शन डिज़ाइन, वेशभूषा, लुक पर बहुत ही बारीकी के साथ काम किया गया है, जिसके लिये इसकी तकनीकी टीम बधाई की पात्र है.

Also Read: Sam Bahadur Twitter Review: विक्की कौशल की फिल्म FLOP रही या HIT, दर्शकों ने दिए इतने स्टार्स, पढ़ें रिव्यू
विक्की कौशल की है शानदार एक्टिंग

विक्की कौशल मौजूदा दौर के समर्थ कलाकारों में से एक हैं. किरदारों में रच बस जाने में उन्हें महारत हासिल है. इंटरनेट पर फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के मौजूद वीडियो फ़ुटेज देखकर यह बात समझी जा सकती है कि किस कदर उन्होंने अपना होमवर्क किया है. उन्होंने अपनी बॉडी लैंग्वेज के साथ-साथ अपने लहजे पर भी बहुत काम किया है. उनका अभिनय इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खूबी है. यह कहना ग़लत ना होगा. फ़ातिमा सना शेख़ पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी के करिश्माई व्यक्तित्व को पर्दे पर उस तरह से नहीं ला पाई है, जो उस ऐतिहासिक किरदार के लिए ज़रूरत थी. उनकी बॉडी लैंग्वेज हो या फिर संवाद अदाएगी सभी में वह कमजोर रह गयी है. जीशान अयूब पर प्रोस्थेटिक इस कदर थोपने की बात समझ नहीं आती है कि उनके फेशियल एक्सप्रेशन भी नज़र नहीं आये हैं. इस बार सान्या मल्होत्रा भी औसत रह गयी हैं, तो नीरज काबी और गोविंद नामदेव प्रभावित करने में चूक गये हैं.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel