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कंगना रनौत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, जानें क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के खिलाफ दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) के खिलाफ दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उनके सभी भविष्य के सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

सिख समुदाय के खिलाफ कंगना रनौत के बयानों के लिए उनके खिलाफ एफआईआर को क्लब करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत ऐसे मामले में तीसरे पक्ष की याचिकाओं पर विचार नहीं करेगी. हालांकि, अदालत मुंबई पुलिस को मामले में अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दे रही है.

इस वजह से हुई थी FIR

बता दें कि देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक्ट्रेस द्वारा भविष्य में किए गए पोस्ट पर सेंसरशिप की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. अधिवक्ता चरणजीत सिंह चंद्रपाल द्वारा दायर याचिका में किसानों के विरोध पर उनकी टिप्पणी के लिए पूरे भारत में दर्ज सभी प्राथमिकी को मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. उन्होंने छह महीने की अवधि में चार्जशीट दाखिल करने के साथ-साथ दो साल की अवधि के भीतर त्वरित सुनवाई की भी मांग की.

याचिकाकर्ता ने किया था ये दावा

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह रनौत के एक इंस्टाग्राम पोस्ट से काफी आहत हुए थे जिसमें कहा गया था कि “सिख किसान खालिस्तानी आतंकवादी थे”. याचिका में कहा गया है कि इंस्टाग्राम पोस्ट ने 1984 के सिख विरोधी नरसंहार को सही ठहराया. याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस तरह के बयान से नस्लीय भेदभाव और आस्था में अंतर के आधार पर नफरत पैदा हो सकती है और यहां तक कि दंगे भी हो सकते हैं.

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कंगना के इस बयान पर हुआ विवाद

शिकायतकर्ताओं को कंगना की इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट मिली थी, जिसमें लिखा था, “खालिस्तानी आतंकवादी आज भले ही सरकार का हाथ मरोड़ रहे हों, लेकिन उस महिला को मत भूलना. एकमात्र महिला प्रधानमंत्री ने इनको अपनी जूती के नीच क्रश किया था. उसने इस देश को कितनी भी तकलीफ दी हो. उसने अपनी जान की कीमत पर उन्हें मच्छरों की तरह कुचल दिया, लेकिन देश के टुकड़े नहीं होने दिए. उनकी मृत्यु के दशक के बाद भी आज भी उसके नाम से कांपते हैं ये… इनको वैसा ही गुरु चाहिए.”

Prabhat Khabar Digital Desk
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