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झारखंड में 2250 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन का लक्ष्य, कोल्हान में होता 35% तसर कोसा का उत्पादन

तसर वैज्ञानिकों की टीम कोल्हान के विभिन्न अग्र परियोजना केंद्रों का निरीक्षण किया. इस दौरान बताया गया कि इस वर्ष 2250 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, राज्य के 35 फिसदी तसर कोसा का उत्पादन कोल्हान में होता है. इस बार भी कोल्हान में तसर का उत्पादन बढ़ाने पर फोकस है.

खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीटीआरटीआई), रांची के निदेशक डॉ एनबी चौधरी ने तसर वैज्ञानिकों की टीम के साथ कोल्हान के विभिन्न अग्र परियोजना केंद्रों का निरीक्षण किया. टीम ने खरसावां, चक्रधरपुर एवं चाईबासा पीपीसी के साथ चाईबासा स्थित तसर कच्चा बाल बैंक, पी-4 सेंटर चक्रधरपुर, खरसावां के बुनियादी बीज प्रगुणन एवं प्रशिक्षण केंद्र का अवलोकन करने के साथ-साथ परिक्षेत्र का भी दौरा किया.

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तसर उत्पादन में अग्रणी राज्य है झारखंड

इस दौरान सीटीआरटीआई के निदेशक डॉ एनबी चौधरी ने कहा कि झारखंड में वर्ष 2022-23 में 872 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन किया गया. इस वर्ष 2250 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. झारखंड हमेशा से तसर उत्पादन में अग्रणी राज्य रहा है. पूरे राज्य के 35 फिसदी तसर कोसा का उत्पादन कोल्हान में होता है. इस बार भी कोल्हान में तसर का उत्पादन बढ़ाने पर फोकस है. तसर रेशम के उत्पादन में गुणात्मक एवं संख्यात्मक वृद्धि के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 में 6250 रेशम उत्पादकों को उन्नत कीट पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

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झारखंड में तसर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर हुई चर्चा

इस अवसर पर ‘झारखंड में तसर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण’ पर चर्चा की गई. इस दौरान पीपीसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर झारखंड में तसर उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कार्य प्रणाली पर चर्चा की गयी. बताया गया कि झारखंड में तसर रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर चर्चा एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर मुख्य रूप से केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची के वैज्ञानिक डॉ जगदज्योति बी एवं डॉ जयप्रकाश पांडेय, खरसावां पीपीओ कृष्ण कांत यादव, पीपीओ प्रदीप कुमार, केबीके के वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार आदि उपस्थित थे.

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पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त से मिले डॉ एनबी चौधरी

कोल्हान दौरा के क्रम में केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची के निदेशक डॉ एनबी चौधरी ने अपनी टीम के साथ पश्चिमी सिंहभूम जिला के उपायुक्त अनन्या मित्तल से मुलाकात की. इस दौरान तसर रेशम उद्योग में उद्यमशीलता के अवसरों पर चर्चा किया.

तसर सिल्क पर शोध करने वाली देश की एकमात्र संस्थान है सीटीआरटीआई

बताया गया कि केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची देश का इकलौता संस्थान हैं जहां पर तसर सिल्क के प्रचार, प्रसार और शोध पर काम होता है. इस संस्थान से ही देश के अन्य राज्य में स्थित अनुसंधान केंद्र कार्य करते हैं. यह केंद्रीय रेशम बोर्ड के तहत कार्य करता है जो देश में ग्रामीण उद्यम तसर रेशम उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुसंधान और विकास करता है. सीटीआरटीआई, रांची की स्थापना 1964 में केंद्रीय रेशम और बोर्ड के तत्वावधान में देश में आदिवासी आधारित ग्रामीण सूक्ष्म उद्यम उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण तसर को अनुसंधान और विकास सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी. छह क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान स्टेशनों (आरएसआरएस), तीन अनुसंधान विस्तार केंद्रों (आरईसी), एक पी4 ब्रीडिंग स्टेशन और एक कच्चे माल बैंक के अपने नेटवर्क के साथ, सीटीआरटीआई हितधारकों को अत्याधुनिक तकनीकी जानकारी प्रदान करता है.

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Samir Ranjan
Samir Ranjan
Senior Journalist with more than 20 years of reporting and desk work experience in print, tv and digital media

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