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टैरिफ पर ट्रंप का बड़ा ऐलान, इंडोनेशिया की तरह भारत के साथ होगा ट्रेड डील

Trade Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ इंडोनेशिया जैसी व्यापार डील का संकेत दिया है, जिसमें अमेरिकी उत्पादों को बाजार पहुंच और भारतीय वस्तुओं पर शुल्क शामिल हो सकता है. इस प्रस्तावित समझौते को लेकर भारत और अमेरिका के बीच पांचवें दौर की वार्ता जारी है. जीटीआरआई ने असंतुलित समझौते पर चिंता जताई है. भारत ने डेयरी, स्टील, एल्युमीनियम और वाहन सेक्टर में छूट पर कड़ा रुख अपनाया है. सितंबर-अक्टूबर तक अंतरिम व्यापार समझौते की संभावना जताई जा रही है.

Trade Deal: रेसिप्रोकल टैरिफ पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा ऐलान किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) इंडोनेशिया के साथ किए गए करार के समान होगा. ट्रंप का कहना है कि अमेरिका अब ऐसे देशों में प्रवेश पा रहा है, जहां पहले कोई पहुंच नहीं थी और यह शुल्क नीति की वजह से संभव हो रहा है.

क्या था अमेरिका-इंडोनेशिया डील में खास

ट्रंप ने बताया कि इंडोनेशिया-अमेरिका समझौते के तहत अमेरिकी उत्पादों को इंडोनेशिया में पूरी बाजार पहुंच दी गई है. बदले में, अमेरिका में इंडोनेशियाई वस्तुओं पर 19% शुल्क लगाया गया. इंडोनेशिया ने अमेरिका से 15 अरब डॉलर की ऊर्जा, 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद, और 50 बोइंग जेट खरीदने की प्रतिबद्धता जताई. ऐसा ही मॉडल अब भारत के साथ भी अपनाया जा सकता है.

भारत के साथ बातचीत के अगले दौर की शुरुआत

भारतीय वाणिज्य मंत्रालय का प्रतिनिधिमंडल अमेरिका दौरे पर है और प्रस्तावित व्यापार समझौते पर पांचवें दौर की वार्ता कर रहा है. वार्ता में कृषि, वाहन, डेयरी जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से शामिल हैं. अमेरिका डेयरी, इलेक्ट्रिक वाहन, शराब और पेट्रोकेमिकल जैसे उत्पादों पर शुल्क में छूट चाहता है, जबकि भारत कपड़ा, चमड़ा, रत्न-आभूषण, अंगूर, केले और झींगा जैसे श्रम-प्रधान उत्पादों के लिए रियायत चाहता है.

जीटीआरआई ने जताई आशंका

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत को असंतुलित और एकतरफा समझौते से बचना चाहिए. जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “बिना पारस्परिक लाभ के कोई भी व्यापार समझौता नुकसानदायक हो सकता है. भारत को पारदर्शी तरीके से बातचीत करनी चाहिए और अल्पकालिक राजनीतिक दबावों में आकर दीर्घकालिक हितों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.”

भारत की सख्ती और अमेरिका की मांगें

भारत ने अब तक किसी भी मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी उत्पादों पर कोई रियायत नहीं दी है और मौजूदा वार्ता में भी इसी रुख पर कायम है. इसके अलावा भारत अमेरिका द्वारा लगाए गए 26% अतिरिक्त शुल्क, साथ ही स्टील (50%), एल्युमीनियम, और वाहन (25%) क्षेत्रों पर से शुल्क हटाने की मांग कर रहा है. भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर अमेरिका अपनी मांगों पर अड़ा रहा, तो वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के तहत जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखेगा.

शुल्क स्थगन की समयसीमा और आगे की राह

डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत समेत कई देशों पर शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जिसे पहले 90 दिनों के लिए 9 जुलाई तक, और फिर 1 अगस्त तक स्थगित कर दिया गया. भारत के लिए यह अवधि महत्वपूर्ण है, क्योंकि तब तक अंतरिम या प्राथमिक व्यापार समझौते पर सहमति बन सकती है.

सितंबर-अक्टूबर तक पहली डील की कोशिश

दोनों देश सितंबर-अक्टूबर 2025 तक प्रस्तावित समझौते के पहले चरण को पूरा करने की योजना बना रहे हैं. उससे पहले वे एक इंटरिम ट्रेड एग्रीमेंट पर भी विचार कर रहे हैं, ताकि अस्थायी रूप से व्यापार में संतुलन और पारदर्शिता लाई जा सके.

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भारत के लिए चुनौती और अवसर

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौता यदि इंडोनेशिया की तर्ज पर होता है तो यह भारत के लिए एक अवसर और चुनौती दोनों होगा. जहां अमेरिका भारत को अपने बाजार में प्रवेश देना चाहता है, वहीं भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह घरेलू उद्योग, खासकर कृषि और डेयरी को असुरक्षित न छोड़े. संतुलन और पारदर्शिता ही इस वार्ता की सफलता की कुंजी होंगी.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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