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अशरफ अहमद का साला सद्दाम दिल्ली से गिरफ्तार, एक लाख का है इनामी, शाइस्ता परवीन-जैनब के बारे में होगी पूछताछ

एसटीएफ सद्दाम को गुरुवार को बरेली के बिथरी चैनपुर थाना पहुंची. एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त टीम सद्दाम से पूछताछ कर रही है. उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाएगा. माना जा रहा है कि सद्दाम से अशरफ और अतीक अहमद के कई राज खुल सकते हैं.

Bareilly: माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ के साले अब्दुल समद उर्फ सद्दाम को एसटीएफ बरेली यूनिट ने दिल्ली से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड के बाद से सद्दाम फरार था. उसकी काफी तलाश की जा रही थी. सद्दाम के फरार होने पर उसके खिलफ इनाम की धनराशि बढ़ाते हुए एक लाख रुपए की गई थी. सद्दाम अतीक अहमद गैंग का सक्रिय सदस्य है. एसटीएफ की टीमें लगातार उसके संबंध में सुराग जुटा रही थीं. इस बीच एसटीएफ को सद्दाम के दिल्ली में होने का सुराग मिला. इसके बाद डीएसपी अब्दुल कादिर के नेतृत्व में टीम ने दिल्ली में डेरा डाला और सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया. बरेली कारागार में अशरफ अहमद से अवैध मुलाकात कराने और सहूलियत पहुंचाने के मामले में सद्दाम के खिलाफ बिथरी चैनपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. इसके बाद सद्दाम चर्चा में आ गया था और उसके खिलाफ कानूनी शिकंजा कसने के प्रयास शुरू हो गए थे.


पूछताछ में अहम खुलासा होने की उम्मीद

इसके बाद एसटीएफ की टीम सद्दाम को गुरुवार को बरेली के बिथरी चैनपुर थाना पहुंची. एसटीएफ और पुलिस की संयुक्त टीम सद्दाम से पूछताछ कर रही है. उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाएगा. माना जा रहा है कि सद्दाम से अशरफ और अतीक अहमद के कई राज खुल सकते हैं. एसटीएफ अब सद्दाम से अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा के संबंध में सवाल करेगी. दोनों फरार हैं, माना जा रहा है कि उन्हें लेकर सद्दाम से जानकारी मिल सकती है. गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी सद्दाम के नहीं मिलने पर प्रयागराज में उसकी संपत्ति कुर्की करने की तैयारी की जा रही थी. लखनऊ और प्रयागराज की टीम भी उसकी तलाश में जुटी थी. इसके बाद अब एसटीएफ उसे गिरफ्तार करने में कामयाब हुई.

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बरेली जेल में रची गई थी उमेश पाल हत्याकांड की साजिश

जांच पड़ताल में सामने आया है कि प्रयागराज में बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड की साजिश बरेली जिला कारागार में रची गई थी. यहां बंद रहे माफिया अशरफ अहमद का साला सद्दाम तीन साल से बरेली में ही किराये पर रहता था. वह प्रयागराज के रसूखदारों, शूटरों व अन्य जगह से आए लोगों की अशरफ से मुलाकात कराता था. जांच में सामने आया है कि यहां जिला जेल में अफसरों से लेकर सिपाहियों तक उसने नेटवर्क फैला रखा था. जीजा-साले दोनों मिलकर जेल प्रशासन से अपने मुताबिक काम करा रहे थे. अशरफ से जेल में अवैध मुलाकात मामले में सद्दाम के कई वीडियो भी सोशल मीडिया में सामने आए थे.

प्रेमिका से मिलने जाते वक्त एसटीएफ ने दबोचा

एसटीएफ के मुताबिक सद्दाम को दिल्ली के मालवीय नगर इलाके से गिरफ्तार किया गया. वह गिरफ्तारी से बचने के लिए दिल्ली, कर्नाटक, मुंबई में जगह-जगह अपना ठिकाना बदलकर रह रहा था. वह अपनी प्रेमिका अनम से मिलने जा रहा था, इसी दौरान एसटीएफ ने उसे दबोच लिया. सद्दाम ने बताया कि वह बरेली में खुशबू एनक्लेव में रहता था, क्योंकि उसका बहनोई अशरफ बरेली जेल में था. सद्दाम जेल कर्मचारियों की मिलीभगत से अशरफ को कई सामान पहुंचाता था. वहीं अशरफ जेल के अंदर रहने के बावजूद गैर कानूनी धंधों में सक्रिय था. अशरफ की जमीन की खरीदारी और बेचने का काम सद्दाम करता था. अशरफ के दोस्त जो रुपए आदि देते थे, उसकी जिम्मेदारी सद्दाम की ही थी. बरेली में लाल गद्दी, नाजिश, सैयद साहब फुरकान आदि के साथ मिलकर सद्दाम विवादित जमीनों में हस्तक्षेप कर धन अर्जित करता था. सद्दाम के खिलाफ प्रयागराज और बरेली में कुल 6 मामले दर्ज हैं.

उमेश पाल की हत्या करने वाले तीनों शूटर की अशरफ अहमद से मुलाकात कराने में भी सद्दाम और उसके खास गुर्गे बरेली निवासी लल्ला गद्दी की भूमिका सामने आई थी. इसके बाद बिथरी थाने में सद्दाम, लल्ला गद्दी और उसके अन्य गुर्गों पर एफआईआर दर्ज की गई थी. दूसरा मुकदमा सद्दाम और उसके साथियों के खिलाफ बारादरी थाने में दर्ज किया गया था.

उमेश पाल की हत्या के बाद फरार हो गया था सद्दाम

दोनों मुकदमों की विवेचना के लिए सीओ तृतीय के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी. अशरफ और सद्दाम के गुर्गों को जेल भेजा गया था. जेल के आरक्षी भी जेल गए थे. इसके बाद नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. उमेश पाल की हत्या के बाद सद्दाम फरार हो गया था. उसने हर वह मुमकिन कोशिश की, जिससे पुलिस को उसका सुराग नहीं मिल सके. बताया जा रहा है कि प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या के बाद एनकाउंटर के खौफ से वह छिपा था.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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