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West Bengal : कुक, ड्राइवर, माली बन गये थे निदेशक, शिक्षक पात्रता परीक्षा में हुई थी धांधली

पश्चिम बंगाल राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी में बिचौलियों का हाथ होने की बात सामने आ रही है.ज्यादातर कंपनियों के निदेशक भी अवैध तरीके से बनाये गये थे, जिनमें कुक, माली, ड्राइवर भी थे. उन्हें निदेशक होने की बात भी नहीं मालूम थी.

पश्चिम बंगाल राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी में बिचौलियों का हाथ होने की बात सामने आ रही है. इसका उल्लेख घोटाले में धनशोधन पहलू की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट में है. असल में सोमेन नंदी बनाम पश्चिम बंगाल सरकार के एक मामले में आठ जून 2022 को कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( सीबीआई) ने राज्य के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में सहायक शिक्षकों के चयन में कथित अनियमितता के आरोप में उत्तर 24 परगना के चंदन मंडल उर्फ रंजन (बिचौलिए की भूमिका निभाने का आरोपी) और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की. इसके बाद 24 जून को मामले की जांच में जुटी. ईडी ने बैंकशाल कोर्ट स्थित स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में दाखिल किये गये अपने 172 पन्नों के आरोप पत्र में प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पदाधिकारियों के साथ चंदन मंडल की सांठ-गांठ के बारे में बताया हैं.

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शिक्षक पात्रता परीक्षा में कैसे हुई धांधली

ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी दे दी गयी. शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी) 2014 का आयोजन 11 अक्तूबर 2015 को हुआ था. आरोप है कि सफल अभ्यर्थियों की पहली मेरिट लिस्ट बदल कर दूसरी जारी की गयी. दूसरी मेरिट लिस्ट में मनमाने ढंग से अयोग्य उम्मीदवारों को चयनित किया गया. प्राथमिक स्कूलों में सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ति पाने के लिए अयोग्य उम्मीदवारों की लिस्ट भी ईडी के पास है. ईडी के अनुसार, टीइटी 2014 की प्राथमिक चयन प्रक्रिया में प्रश्न पत्र और इसकी मूल्यांकन प्रक्रिया को संदिग्ध रूप से किया गया था. ईडी के अनुसार, योग्य उम्मीदवारों को लिस्ट से बाहर करने के लिए ओएमआर शीट में बदलाव किया गया. कुछ असफल या टीइटी के अयोग्य उम्मीदवारों को प्राथमिक स्कूलों में सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्तियां दे दी गयीं. आरोप है कि कई ऐसे अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरी मिली, जिन्होंने बहुवैकल्पिक प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया था और केवल अपने बारे में जानकारी लिखकर कॉपी को रिक्त छोड़ दिया था.

हस्ताक्षर करा कर बना दिया निदेशक

आरोप है कि घोटाले के रुपयों की हेराफेरी निजी व शेल कंपनियों के जरिये की गयी थी. ज्यादातर कंपनियों के निदेशक भी अवैध तरीके से बनाये गये थे, जिनमें कुक, माली, ड्राइवर भी थे. उन्हें निदेशक होने की बात भी नहीं मालूम थी. पार्थ चटर्जी ने किसी भी कंपनी के मालिक होने से इनकार किया. हालांकि, ईडी के अनुसार कम से कम चार कंपनियां उनके नियंत्रण में थीं. एक में वह मनोज जैन नामक व्यक्ति की मदद से डमी निदेशक थे. अतीम गोस्वामी, मनोज जैन के घर में रसोइया सह माली का काम करता था. उसने वहां पिछले साल अक्टूबर तक काम किया और तब तक उसका वेतन आठ हजार रुपये था. उसे पता ही नहीं था वह जमीरा सनशाइन्स लिमिटेड कंपनी में निदेशक है.

कंपनी के बने निदेशक नहीं थी जानकारी 
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अर्पिता मुखर्जी का ड्राइवर कई कंपनियों का था निदेशक

एक अन्य गवाह कल्याण धर ने इडी को बताया कि अर्पिता मुखर्जी ने उसे 18 हजार रुपये मासिक वेतन पर ड्राइवर के रूप में भर्ती किया था. हालांकि, उसने दावा किया कि उसे नहीं मालूम था कि वह अर्पिता मुखर्जी के साथ एचे एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और सिम्बोसिस मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक था. उसने दावा किया कि अर्पिता मुखर्जी ने उससे डायमंड साउथ सिटी फ्लैट और एचे हाउस के कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराये थे.

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रिपोर्ट : अमित शर्मा

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Guest Contributor - Prabhat Khabar

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