Blood Money: यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रुकवाने के लिए ब्लड मनी को अहम माना जा रहा है. मीडिया की रिपोर्ट्स में यह बताया जा रहा है कि पीड़ित परिवार अगर ब्लड मनी लेने के लिए तैयार हो जाता है, तो निमिषा प्रिया को मिली मौत की सजा टल सकती है. यह बात सामने आने के बाद लोगों के मन में यह सवाल पैदा होने लगे हैं कि आखिर, ये ब्लड मनी क्या है, जो निमिषा प्रिया को मौत के मुंह से बाहर निकाल सकती है? आइए, इस ब्लड मनी के बारे में विस्तार से जानते हैं.
ब्लड मनी क्या है?
इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अरबी में ब्लड मनी को “दिया” कहा जाता है. इस्लामी शरिया कानून में यह एक ऐसी आर्थिक क्षतिपूर्ति है, जो किसी हत्या या गंभीर अपराध के दोषी व्यक्ति की ओर से पीड़ित के परिवार को दी जाती है. यह व्यवस्था कुरान की दो प्रमुख आयत सूरह अल-बकरा (2:178) और सूरह अन-निसा (4:92) में वर्णित है. इसके जरिए पीड़ित परिवार को यह अधिकार दिया गया है कि वे या तो किसास (प्रतिशोध) या दिया (मुआवजा) को चुन सकते हैं.
ब्लड मनी का उद्देश्य शांति, क्षमा और पुनर्स्थापनात्मक न्याय को बढ़ावा देना है, जिसमें सजा के बजाय समझौता और मानवीय दृष्टिकोण को महत्व दिया जाता है. यह केवल अपराधी के लिए नहीं, बल्कि पीड़ित परिवार के लिए भी राहत का माध्यम हो सकता है. खासकर, जब वे आर्थिक संकट में हों.
कहां, क्यों और कैसे इस्तेमाल होती है ब्लड मनी?
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लड मनी का इस्तेमाल मुख्य रूप से उन देशों में होता है, जहां शरिया कानून पूरी या आंशिक रूप से लागू है. इनमें सऊदी अरब, यमन, यूएई, ईरान और सूडान शामिल हैं. यह प्रथा विशेष रूप से उन मामलों में अपनाई जाती है, जहां हत्या जानबूझकर नहीं की गई हो या जहां अपराध की परिस्थितियां जटिल हों. इस व्यवस्था में पीड़ित परिवार दोषी से सीधे बातचीत के जरिए मुआवजे की राशि तय करते हैं. कई बार सरकारें, सामाजिक संगठन या विदेशी दूतावास इस बातचीत में मध्यस्थता करते हैं. ब्लड मनी की राशि पीड़ित की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, आयु और अपराध की प्रकृति के अनुसार तय होती है. सऊदी अरब में एक भारतीय नागरिक अब्दुल रहीम को करीब 34 करोड़ रुपये की ब्लड मनी देकर फांसी से बचाया गया था.
निमिषा प्रिया का मामला
केरल की भारतीय नर्स निमिषा प्रिया 2017 से यमन में जेल में बंद हैं. उन पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है. अदालत ने 2018 में उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई. निमिषा का दावा है कि महदी ने उनका लंबे समय तक यौन और मानसिक शोषण किया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और देश छोड़ने से रोका. उन्होंने आत्मरक्षा में उसे बेहोशी का इंजेक्शन देने की कोशिश की, जिससे उसकी मौत हो गई. यमन में ब्लड मनी की कानूनी वैधता है और यदि पीड़ित परिवार सहमत हो जाए, तो सजा को माफ किया जा सकता है. भारत सरकार और ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ इस दिशा में प्रयासरत हैं.
बातचीत की स्थिति और चुनौतियां
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने ब्लड मनी के तौर पर 40,000 डॉलर (लगभग 34 लाख रुपये) की राशि स्वीकृत की है. लेकिन महदी के परिवार ने 3 से 4 लाख डॉलर (2.5-3.5 करोड़ रुपये) की मांग की है. यह मामला और भी जटिल इसलिए हो गया है, क्योंकि महदी का परिवार “किसास” यानी मृत्युदंड की मांग पर अड़ा हुआ है. ब्लड मनी केवल तभी प्रभावी होती है, जब पीड़ित परिवार सहमति दे. बिना उनकी मंज़ूरी के अदालत मौत की सजा को रद्द नहीं कर सकती. इसके अलावा, यमन में हूती विद्रोहियों का नियंत्रण, युद्ध की स्थिति और भारत की सीमित राजनयिक पहुंच भी इस प्रक्रिया को कठिन बना रही है.
क्या बच सकती हैं निमिषा?
आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार, निमिषा प्रिया की जान बचाने की एकमात्र आशा ब्लड मनी और मानवीय आधार पर क्षमा है. इसके लिए भारत सरकार, सामाजिक संगठनों और यमन के स्थानीय नेताओं के बीच समझदारी, मध्यस्थता और प्रभावी बातचीत जरूरी है. सेव निमिषा प्रिया काउंसिल भारत में फंड इकट्ठा कर रही है, लेकिन अंतिम निर्णय पीड़ित के परिवार के हाथ में है. यदि वे क्षमा नहीं करते, तो फांसी को रोका नहीं जा सकता.
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इस्लामी न्याय में ब्लड मनी महत्वपूर्ण
ब्लड मनी इस्लामी न्याय व्यवस्था में क्षमा और पुनर्संधान का एक महत्वपूर्ण अंग है. निमिषा प्रिया का मामला मानवीय, कानूनी और कूटनीतिक सभी स्तरों पर चुनौतीपूर्ण है. यदि महदी का परिवार ब्लड मनी स्वीकार करता है, तो निमिषा की जान बच सकती है, अन्यथा भारत को वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को और अधिक गंभीरता से उठाना होगा.
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