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क्या है झरिया पुनर्वास संशोधित मास्टर प्लान! प्रभावितों को क्या-क्या मिलेगा, यहां पढ़ें

Revised Jharia Master Plan: झरिया कोलफील्ड में संचालित कोयला खदानों में आग लगने की पहली घटना वर्ष 1916 में सामने आयी थी. उसके बाद से खदान में कोयले भंडार से ऊपर की सतह में कई बार आग लग चुकी है. राष्ट्रीयकरण होने से पहले ये खदानें निजी स्वामित्व में थीं और लाभ कमाने के मकसद से संचालित होती थीं. खनन के अवैज्ञानिक तरीके होने से इन खदानों में सुरक्षा, संरक्षण और पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा जाता था. इस वजह से झरिया में जमीनी सतह का गंभीर क्षरण, भूमि का धंसान, कोयला खदानों में आग लगना और अन्य सामाजिक-पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हुईं.

PM Modi Cabinet Decisions|Revised Jharia Master Plan: झरिया के लोगों के लिए देश में आपातकाल लागू होने के 50वें वर्ष के दिन बड़ी खुशखबरी आयी है. झारखंड के धनबाद जिले के झरिया में रहने वाले कोयला खदान से विस्थापित और प्रभावित हुए लोगों का ‘आपातकाल’ बहुत जल्द खत्म होने वाला है. इनके लिए मोदी सरकार ने 5,940 करोड़ रुपए के संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दे दी है.

भूमिगत आग से निबटने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए है यह प्लान

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने धनबाद जिले के झरिया में भूमिगत आग से निपटने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी है. इसके तहत केंद्र सरकार झरिया के लोगों के पुनर्वास के लिए 5,940 करोड़ रुपए देगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार 25 जून 2025 को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने इस फैसले को मंजूरी दी.

संशोधित झरिया मास्टर प्लान क्यों?

झरिया कोयला क्षेत्र में आग, जमीन धंसने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास से संबंधित मसलों के समाधान के लिए संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी गयी है.

संशोधित योजना पर कितना होगा खर्च?

संशोधित योजना के कार्यान्वयन के लिए कुल 5,940.47 करोड़ रुपए खर्च किये जायेंगे.

संशोधित झरिया मास्टर प्लान पर कैसे होगा काम?

  • इस योजना का चरणबद्ध दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि आग एवं भू-स्खलन से निपटने और प्रभावित परिवारों का पुनर्वास सबसे संवेदनशील स्थलों से प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा.
  • प्रभावित क्षेत्रों से दूसरी जगह बसाये जाने वाले परिवारों के लिए सतत आजीविका सृजन पर विशेष बल जायेगा.
  • लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम चलाये जायेंगे और पुनर्वास वाले परिवारों की आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए आय-सृजन के अवसर भी पैदा किये जायेंगे.

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2009 के झरिया मास्टर प्लान में क्या था?

झारखंड के धनबाद जिले में आग, भू-स्खलन से निबटने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए झरिया मास्टर प्लान को केंद्र सरकार ने अगस्त, 2009 में मंजूरी दी थी. इसकी कार्यान्वयन अवधि 10 वर्ष और कार्यान्वयन-पूर्व अवधि 2 वर्ष थी. इस पर 7,112.11 करोड़ रुपए का अनुमानित निवेश किया गया था. पिछली मास्टर प्लान योजना वर्ष 2021 में खत्म हो गयी.

संशोधित मास्टर प्लान में क्या-क्या है प्रावधान

  • प्रभावित परिवारों को एक-एक लाख रुपए का आजीविका अनुदान और संस्थागत ऋण के जरिये 3 लाख रुपए तक की कर्ज सहायता मुहैया करायी जायेगी.
  • पुनर्वास स्थलों पर व्यापक बुनियादी ढांचे एवं सड़क, बिजली, पानी की आपूर्ति, सीवरेज, स्कूल, अस्पताल, कौशल विकास केंद्र, सामुदायिक हॉल जैसी जरूरी सुविधाएं भी विकसित की जायेंगी.

समर्पित झरिया वैकल्पिक आजीविका पुनर्वास कोष की स्थापना होगी

आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन प्रावधानों को संशोधित झरिया मास्टर प्लान के कार्यान्वयन के लिए गठित समिति की सिफारिशों के अनुरूप लागू किया जायेगा, ताकि समग्र और मानवीय पुनर्वास दृष्टिकोण सुनिश्चित हो. आजीविका सहायता उपायों के क्रम में रोजगार से संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक समर्पित झरिया वैकल्पिक आजीविका पुनर्वास कोष की स्थापना की जायेगी. क्षेत्र में संचालित बहु-कौशल विकास संस्थानों के सहयोग से कौशल विकास पहल भी की जायेगी.

राष्ट्रीयकरण से पहले लाभ कमाने के लिए होता था खनन

झरिया कोलफील्ड में संचालित कोयला खदानों में आग लगने की पहली घटना वर्ष 1916 में सामने आयी थी. उसके बाद से खदान में कोयले भंडार से ऊपर की सतह में कई बार आग लग चुकी है. राष्ट्रीयकरण होने से पहले ये खदानें निजी स्वामित्व में थीं और लाभ कमाने के मकसद से संचालित होती थीं. खनन के अवैज्ञानिक तरीके होने से इन खदानों में सुरक्षा, संरक्षण और पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा जाता था. इस वजह से झरिया में जमीनी सतह का गंभीर क्षरण, भूमि का धंसान, कोयला खदानों में आग लगना और अन्य सामाजिक-पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हुईं.

कोयले में आग के अध्ययन के लिए 1978 में बना था विशेषज्ञ दल

राष्ट्रीयकरण के बाद झरिया में कोयला में आग की समस्या के अध्ययन के लिए वर्ष 1978 में एक विशेषज्ञ दल बनाया गया था. इसकी जांच में पता चला कि बीसीसीएल की 41 कोयला खदानों में आग की 77 घटनाएं हुई थीं. केंद्र सरकार ने वर्ष 1996 में झरिया कोयला क्षेत्रों में आग और जमीन धंसने की समस्याओं की समीक्षा के लिए कोयला सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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