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झारखंड के बेतला नेशनल पार्क से लुप्त हो गये वाइल्ड डॉग!, 2010 के बाद से नहीं दिखा कोइया, जानें कारण

कभी बेतला नेशनल पार्क में सैकड़ों की संख्या में वाइल्ड डॉग यानी कोइया पाये जाते थे, लेकिन वर्ष 2010 के बाद से इसे नहीं देखा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना के समय से ही बेतला नेशनल पार्क में वाइल्ड डॉग की लगातार उपस्थिति रही थी. विशेषज्ञों की माने, तो रेबीज बीमारी के कारण कोइया लुप्त हो गये.

बेतला (लातेहार), संतोष कुमार : बेतला नेशनल पार्क (Betla National Park-BNP) में करीब 200 की संख्या में पाये जाने वाले वाइल्ड डॉग (कोइया) अब लुप्त हो गये हैं. इसे स्थानीय भाषा में कोइया कहा जाता है. अब यह लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में घोषित कर दिया गया है. वर्ष 2010 के बाद अबतक उन्हें नहीं देखा गया है. जबकि इसके पहले झुंड के झुंड सैकड़ों की संख्या में वाइल्ड डॉग बेतला नेशनल पार्क में देखे जाते थे. वाइल्ड डॉग के गायब होने का कारण रेबीज जैसी खतरनाक बीमारी रही. जिसके कारण झुंड के झुंड वाइल्ड डॉग मर गये. बेतला नेशनल पार्क में हिरन, बायसन की तरह निश्चित रूप से दिखने वाला वाइल्ड डॉग आज ढूंढने के बाद भी नहीं मिलता है.

बेतला से लेकर बारेसाढ़ के जंगलों में पाया जाता था वाइल्ड डॉग

1974 में पलामू टाइगर रिजर्व की स्थापना के समय से ही बेतला नेशनल पार्क में वाइल्ड डॉग की लगातार उपस्थिति बनी रही. बेतला से लेकर बारेसाढ़ के जंगलों तक इसका आना-जाना होता रहता था. विशेषज्ञों की माने, तो जंगली वाइल्ड डॉग घरेलू कुत्ते के संपर्क में आये होंगे और उनसे ही रेबीज बीमारी इनके शरीर में प्रवेश कर गयी.

नुनाही ग्रास प्लॉट के पास इनका था बसेरा

बेतला नेशनल पार्क के नुनाही ग्रास प्लॉट के पास बड़े-बड़े पत्थरों की गुफा है. इन गुफाओं में ही वाइल्ड डॉग का निवास होता था. यहां की गुफा में यह लोग शिकार करने के बाद छिप जाते थे. इतना ही नहीं, शाम के समय में वाइल्ड डॉग बड़े-बड़े पत्थरों पर बैठ जाते थे. जिनका दीदार पर्यटकों के द्वारा कर लिया जाता था.

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योजनाबद्ध तरीके से करते थे शिकार

वाइल्ड डॉग बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से जंगली जानवरों का शिकार करते थे. इनका प्रिय भोजन सांभर और हिरण था. यह झुंड में रहते थे जब इन्हें शिकार करना होता था, तो वे चारों तरफ से शिकार को घेर लेते थे. एक तरफ से जब कोई उन्हें पकड़ने के लिए दौड़ता था, तो दूसरी तरफ के वाइल्ड डॉग उसे पकड़ लेता था. वाइल्ड डॉग का जंगली जानवरों का शिकार करने का दृश्य कई बार पर्यटकों ने स्वयं ही देखा था. जिसकी चर्चा लोग आज भी करते हैं. बेतला के गाइड बताते हैं कि मुख्य गेट के सामने भी कई बार हिरण को पकड़ने के लिए वाइल्ड डॉग का समूह पहुंच जाता था और आंखों के सामने उन्हें घेर कर हमला द्वारा मार दिया जाता था. हिरण के मांस को नोच-नोच कर सभी वाइल्ड डॉग खा जाते थे. कोई गर्दन के पास, तो कोई पैर के पास, तो कोई पेट को फाड़ कर उसके मांस को चटकर जाता था. इस दृश्य को देखकर लोग काफी रोमांचित हो जाते थे.

रेबीज हो सकता है वाइल्ड डॉग के मौत का कारण

वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि वाइल्ड डॉग के बेतला से लुप्त होने के प्रमुख कारणों में एक रेबीज है. संभवत घरेलू कुत्ते द्वारा पीये गये पानी में संक्रमण होने के कारण वाइल्ड डॉग भी संक्रमित हो गये होंगे और उनकी मौत हो गयी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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