आजकल शहरों में अपार्टमेंट में रहना एक आम बात हो गई है, जहाँ हर व्यक्ति अपने घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा चाहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके अपार्टमेंट में बने पूजा घर का वास्तु आपके जीवन की खुशियों और समृद्धि पर सीधा असर डालता है? गलत दिशा या अनुचित स्थान पर बना पूजा घर नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है, जिससे घर में अशांति फैल सकती है. इसी को देखते हुए, लोग अपने पूजा घर के वास्तु नियमों को लेकर आजकल अधिक जागरूक हो रहे हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि छोटे से छोटे अपार्टमेंट में भी कुछ आसान और जरूरी वास्तु नियमों का पालन करके घर को सकारात्मकता से भरा जा सकता है. यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि किन नियमों का पालन करके आप अपने घर में सुख-शांति और समृद्धि ला सकते हैं.

वास्तु शास्त्र का महत्व
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो वास्तुकला और डिजाइन से संबंधित है। इसमें स्थान, व्यवस्था, लेआउट और माप जैसे सभी प्रकार के वास्तुशिल्प और डिजाइन विचार शामिल हैं. घर का वास्तु सकारात्मक ऊर्जा लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वास्तु दोष जीवन में कई परेशानियों का कारण बन सकते हैं, जैसे कि घर में कलह, धन हानि और रोग। इसलिए, वास्तु के नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है.
पूजा घर की सही दिशा और स्थान
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर के लिए सबसे उत्तम दिशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) मानी जाती है. यह दिशा ऊर्जा का भंडार होती है और इसे देव दिशा भी कहा जाता है.
- यदि ईशान कोण में पूजा घर बनाना संभव न हो, तो आप उत्तर या पूर्व दिशा में भी पूजा घर बना सकते हैं.
- पूजा घर को कभी भी बेडरूम में, सीढ़ियों के नीचे, किचन या बाथरूम के आसपास नहीं बनवाना चाहिए.
- इसके अलावा, घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में पूजा घर का निर्माण नहीं करना चाहिए.
- पूजा घर भूतल पर होना सबसे उत्तम माना जाता है.
- पूजा घर के दरवाजे और खिड़कियां उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खुलने चाहिए.
पूजा घर में मूर्तियों की स्थापना
- भगवान की मूर्तियों को पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर रखना चाहिए, ताकि पूजा करने वाला व्यक्ति भी पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करे.
- हालांकि, पूर्व दिशा को भगवान के मुख की सबसे उत्तम दिशा माना गया है.
- मूर्तियां एक-दूसरे के सामने नहीं होनी चाहिए और दीवार के बहुत करीब भी नहीं होनी चाहिए. मूर्तियों और दीवार के बीच कम से कम एक इंच का फासला रखना चाहिए.
- गणेश जी की मूर्ति हमेशा बैठी हुई मुद्रा में होनी चाहिए. गणेश जी को मां लक्ष्मी के बाईं ओर और देवी सरस्वती को देवी लक्ष्मी के दाहिनी ओर रखना चाहिए.
- मां लक्ष्मी की मूर्ति सदैव बैठी हुई अवस्था में होनी चाहिए. खड़ी हुई लक्ष्मी जी की मूर्ति पूजा घर में नहीं रखनी चाहिए.
- पूजा घर में एक से ज़्यादा गणेश जी की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए.
- पूजा घर में खंडित मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए.
- पूजा घर में पितरों के चित्र या महाभारत की प्रतिमाएं, प्राणी तथा पक्षियों के चित्र नहीं होने चाहिए.
पूजा घर का रंग और अन्य नियम
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर के लिए सफेद, पीला, हल्का नीला और नारंगी रंग सर्वोत्तम हैं.
- पूजा घर में काला, भूरा या किसी भी गहरे रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- पूजा घर में सफेद रंग की लाइटें लगा सकते हैं.
- पूजा घर को स्टोर रूम नहीं बनाना चाहिए.
- पूजा घर में शंख जरूर रखना चाहिए, क्योंकि यह सारी अशांति को दूर कर घर-परिवार में शांति बनाए रखता है.
- पूजा घर में धन-संपत्ति छुपाकर रखना शुभ नहीं माना गया है.
- पूजा स्थल पर खंडित मूर्तियां लगाने से बचें.
- पूजा स्थल को कभी भी ढक कर नहीं रखना चाहिए.
- पूजा के समय अपना मुख पूर्व दिशा में रखें.
- पूजा घर में दीपक हमेशा जलाए रखना चाहिए.
- पूजा के बाद पुराने और सूखे फूल हटा देने चाहिए और रोज़ नया जल व फूल चढ़ाना चाहिए.
- पूजा घर को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। पूजा घर में टूटा-फूटा सामान, पुराने कपड़े, पुराने बर्तन, चमड़े से बनी चीजें आदि नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.
अपार्टमेंट में पूजा घर के लिए विशेष सुझाव
- अपार्टमेंट में पूजा घर बनाते समय, यदि ईशान कोण में जगह न हो, तो पूर्व या उत्तर दिशा का चुनाव करें.
- फ्लैट में पूजा घर पिरामिड के आकार में होना चाहिए, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा और अच्छी किस्मत को आकर्षित करता है.
- बेडरूम में छोटा पूजा स्थान बनाया जा सकता है, बशर्ते वह कमरे के उत्तर-पूर्व दिशा में हो और सोते समय पैर मंदिर की ओर न हों.
- अध्ययन कक्ष (स्टडी रूम) भी उत्तर-पूर्व में होने पर उसके साथ पूजा स्थान हो सकता है, क्योंकि अध्ययन भी सरस्वती की पूजा का एक रूप है.
- बालकनी में पूजा घर बनाने से बचें, लेकिन यदि आवश्यक हो तो यह पूरी तरह ढका हुआ होना चाहिए और पूर्व दिशा की ओर खुलने वाली बालकनी में मंदिर स्थापित करना शुभ माना जाता है.
वास्तु शांति पूजा का महत्व
वास्तु शांति पूजा घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मक माहौल बनाती है. वास्तु शांति पूजा से अनपेक्षित आपदाएं रुकती हैं और किसी भी जगह का वास्तु बेहतर बनाने में मदद मिलती है. यह पूजा प्यार और रिश्तों में आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी मदद करती है. वास्तु शांति पूजा मुख्य रूप से वास्तु दोषों को दूर करने और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है.